Iran-Israel Conflict: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि उनको उम्मीद है कि ईरान नहीं करेगा इजरायल पर हमला. अमेरिकी राष्ट्रपति ने संकट से निकलने का 'रास्ता' भी बताया. लेकिन दूसरी तरफ व्हाइट हाउस एक्शन मोड में भी है.
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Israel-Hamas War: हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या के बाद ईरान ने इजरायल से बदला लेने की कसम खाई थी. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामनेई ने कहा था कि हमारी सरजमीं पर इजरायल की इस नापाक हरकत का बदला लिया जाएगा. उसके बाद से ही पश्चिम एशिया के हालात एकदम बिगड़ गए. गाजा पर इजरायल-हमास के बीच जारी जंग के बीच इस धमकी का ऐसा प्रभाव पड़ा कि अमेरिका समेत दुनिया के कई देश किसी तरह इजरायल और ईरान के बीच सीधी जंग के टालने के प्रयास में पड़ गए.
अमेरिका एक तरफ आसन्न युद्ध के खतरे को देखते हुए जहां लगातार खतरे का अलर्ट जारी कर रहा है वहीं बीच-बचाव की स्थिति भी करता दिख रहा है. साथ ही इस अस्थिर हालात का मौका भुनाने से भी नहीं चूक रहा. हालांकि अमेरिका किसी भी हालत में जंग को टालना चाहता है क्योंकि खुली जंग होने की स्थिति में उसको खुलकर इजरायल के पक्ष में उतरना होगा. नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव भी है. इसलिए अमेरिकी राजनीति पर भी इस मुद्दे का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है.
इसी बदलती परिस्थिति के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ये कहकर सबको चौंका दिया है कि यदि एक काम किया जाए तो इजरायल के खिलाफ ईरान अपने संभावित हमले को टाल सकता है. उन्होंने संकेत देते हुए कहा है कि यदि गाजा में संघर्ष विराम की डील हो जाए तो ईरान अपने मंसूबों को टाल सकता है. इस बारे में जो बाइडेन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुझे ऐसी उम्मीद है. इसके साथ ही जोड़ते हुए ये भी कहा कि देखते हैं कि यदि कोई हमला होता है तो ईरान क्या करता है लेकिन मैंने उम्मीद नहीं छोड़ी है.
आर्म्स लॉबी कर रही बिजनेस
हालांकि अमेरिका पश्चिम एशिया में शांति बहाली तो चाहता है लेकिन व्हाइट हाउस दूसरी तरफ एक्शन मोड में भी है. इस हफ्ते की शुरुआत में कहा गया कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन सभी पक्षों से बातचीत के लिए वहां जाएंगे. विदेश मंत्रालय के डिप्टी प्रवक्ता वेदांत पटेल ने भी कहा था कि ब्लिंकेन उस इलाके में शांति बहाली के लिए लगातार प्रयासरत हैं और अस्थिरता समाप्त करने के लिए सभी पक्षों के संपर्क में हैं. लेकिन दूसरी तरफ मंगलवार को अचानक ब्लिंकेन की प्रस्तावित यात्रा कर दी गई और उसी दिन उन्होंने इजरायल को 20 अरब डॉलर के फाइटर जेट समेत साजो-सामान देने की बात कही.
इसके तहत ब्लिंकेन ने इजरायल को 50 से अधिक F-15 जेट 19 अरब डॉलर में बेचने के फैसले पर मुहर लगाई. इसके साथ ही 774 मिलियन डॉलर में टैंक कार्टिरेज, 60 मिलियन डॉलर में विस्फोटक मोर्टार कार्टिरेज और 583 मिलियन डॉलर में आर्मी व्हीकल देने की घोषणा की गई.
हालांकि सैन्य साजो-सामान की ये बिक्री अगले कुछ सालों में ही हो सकेगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक F-15 की डिलीवरी 2029 में होगी. इस बात से पुख्ता संकेत मिलते हैं कि वाशिंगटन जहां एक तरह शांति बहाली के प्रयास कर रहा है वहीं दूसरी तरह अमेरिकी मिलिट्री-इंडस्ट्री आर्म्स लॉबी पश्चिम एशिया के अस्थिर हालात से फायदा उठाने में नहीं चूक रही और हथियारों की ब्रिकी की जा रही है.