Karwa Chauth Vrat katha: किस महिला ने किया था सबसे पहला करवा चौथ, क्‍या थी वजह?
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Karwa Chauth Vrat katha: किस महिला ने किया था सबसे पहला करवा चौथ, क्‍या थी वजह?

Karwa Chauth 2023: करवा चौथ व्रत सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्‍य के लिए रखती हैं. करवा चौथ की कथा से जानते हैं कि पहली बार करवा चौथ का व्रत किस महिला ने रखा था. 

Karwa Chauth Vrat katha: किस महिला ने किया था सबसे पहला करवा चौथ, क्‍या थी वजह?

Karwa Chauth Vrat Katha: करवा चौथ का व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है. इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पति की उम्र लंबी होने के साथ-साथ सेहत बेहतर होती है. इस साल 1 नवंबर 2023 को करवा चौथ व्रत रखा जाएगा. आमतौर पर पहले पंजाबी समुदाय के लोग करवा चौथ व्रत रखा करते थे, लेकिन बाद में यह परंपरा बढ़ती गई. अब ऐसे में सवाल ये आता है कि सबसे पहला करवा चौथ व्रत किसने रखा था, इसके लिए करवा चौथ की कथा जानते हैं. करवा चौथ का व्रत इसकी कथा पढ़े या सुने बिना अधूरी मानी जाती है. 

करवा चौथ व्रत कथा 

धार्मिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी. एक बार नदी में स्‍नान में करते समय उसके पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया. करवा के पति ने अपने प्राण की रक्षा के लिए अपनी पत्नि को पुकारा. करवा के पतिव्रता धर्म का पालन करने के कारण उनके सतीत्व में काफी शक्ति थी. 

करवा ने अपने पति के प्राण संकट में देख यमराज से अपने पति के प्राण के लिए प्रार्थना की. करवा के पतिव्रता होने के कारण यमराज ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कि और पूछा कि देवी आप क्या चाहती हैं. इस पर करवा ने कहा मेरे पति के प्राण उस मगरमच्छ के कारण संकट में पड़े हैं. आप उसे मृत्यु दंड दे दीजिए. ऐसा कहने के बाद यमराज ने करवा से कहा कि उस मगरमच्छ की आयु अभी शेष बची है. तब करवा ने कहा कि यदि आप ने उस मगरमच्छ को मृत्यु दंड नहीं दिया तो में अपने तपोबल से आपको श्राप दे दूंगी.

चित्रगुप्‍त ने बदला निर्णय

करवा माता की बात सुनते ही यमराज के निकट में खड़े चित्रगुप्त सोच में पड़ गए. उन्होंने यमराज से कहा आप मगरमच्छ को यमलोक बुला लें और उसके पति को चिरायु का वरदान दें. क्‍योंकि उसके सतीत्‍व के कारण हम उसकी बात को अनसुना नहीं कर सकते हैं. तब यमराज देवता करवा माता के पतिव्रता होने से बड़े प्रसन्न हुए और उनसे कहा कि आपने अपने तपोबल से अपने पति के प्राण संकट से बचाए हैं. में आपसे बहुत प्रसन्न हूं और आज मैं  आपको वरदान देता हूं कि जो भी सुहागिन महिलाएं अपने पति के लिए आज के दिन यानी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन व्रत रखेंगी. उनके पति की आयु लंबी होगी और उनके सुहाग की रक्षा मैं स्वयं करूंगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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