Shiv Ji Blessings: सावन में रोजाना करें ये काम, भोलेनाथ दिल खोलकर बरसाएंगे कृपा, सभी कष्ट हो जाएंगे छूमंतर
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Shiv Ji Blessings: सावन में रोजाना करें ये काम, भोलेनाथ दिल खोलकर बरसाएंगे कृपा, सभी कष्ट हो जाएंगे छूमंतर

Sawan Shiv Ji Puja: हिंदू धर्म में पूजा के बाद देवी-देवताओं की आरती का विशेष महत्व बताया गया है. सावन में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए उनकी पूजा के बाद शिव जी की आरती अवश्य करें. ऐसा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. 

 

फाइल फोटो

Om Jai Shiv Omkara Shiv Ji Aarti: हिंदू धर्म में हिंदी कैलेंडर के अनुसार पांचवा महीना सावन का होता है, जो कि भगवान शिव को समर्पित है. मान्यता है कि सावन के महीने में त्रिदेवों की सारी शक्तियां भगवान शिव के पास ही होती हैं. ऐसे में सावन में विशेष रूप से भगवान शिव की आरती और पूजा पाठ करना चाहिए. सावन का माह ऐसा होता है,जब हर कोई भगवान शिव की कृपा पाने के लिए उन्हें प्रसन्न करने के कोशिश करता है.

  1. सावन माह में शिव जी की पूजा-पाठ का विशेष महत्व है.
  2. इस माह में पूजास पाठ, मंत्र जाप, शिव चालीसा और आरती अवश्य करने चाहिए. 
  3. शिव जी की नियमित आरती करने से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं.

माना जाता है कि सावन के महीने में विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कहते हैं कि सावन के महीने में भोलेशंकर की पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति और मंत्र जाप अवश्य करना चाहिए. इससे विशेष लाभ होता है. साथ ही, सावन में पूजा के बाद भगवान शिव का आरती भी अवश्य करें. 

ओम जय शिव ओंकारा आरती 

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

दूसरी आरती- हर हर महादेव की

सत्य, सनातन, सुन्दर शिव! सबके स्वामी ।
अविकारी, अविनाशी, अज, अन्तर्यामी ॥
हर हर हर महादेव ॥ १॥

आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी ।
अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी ॥
हर हर हर महादेव ॥ २॥

ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर, तुम त्रिमूर्तिधारी ।
कर्ता, भर्ता, धर्ता तुम ही संहारी ॥
हर हर हर महादेव ॥ ३॥

रक्षक, भक्षक, प्रेरक, प्रिय औढरदानी ।
साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता, अभिमानी ॥
हर हर हर महादेव ॥ ४॥

मणिमय-भवन-निवासी, अति भोगी, रागी ।
सदा शमशान विहारी, योगी वैरागी ॥
हर हर हर महादेव ॥ ५॥

छाल-कपाल, गरल-गल, मुण्डमाल, व्याली ।
चिताभस्मतन, त्रिनयन, अयनमहाकाली ॥
हर हर हर महादेव ॥ ६॥

प्रेत-पिशाच-सुसेवित, पीतजटाधारी ।
विवसन विकट रूपधर, रूद्र प्रलयकारी ॥
हर हर हर महादेव ॥ ७॥

शुश्र-सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी ।
अतिकमनीय, शान्तिकर, शिवमुनि-मन-हारी ॥
हर हर हर महादेव ॥ ८॥

निर्गुण, सगुण, निरञ्जन, जगमय, नित्य-प्रभो ।
कालरूप केवल हर! कालातीत विभो ॥
हर हर हर महादेव ॥ ९॥

सत्, चित्, आनँद, रसमय, करुणामय धाता ।
प्रेम-सुधा-निधि, प्रियतम, अखिल विश्व-त्राता ॥
हर हर हर महादेव ॥ १०॥

हम अति दीन, दयामय! चरण-शरण दीजै ।
सब बिधि निर्मल मति कर, अपनो कर लीजै ॥

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

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