Sawan Pradosh Vrat 2022: सावन का दूसरा सोमवार है बेहद खास, इस दिन यूं करेंगे पूजन तो बरसेगी शिव जी की कृपा
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Sawan Pradosh Vrat 2022: सावन का दूसरा सोमवार है बेहद खास, इस दिन यूं करेंगे पूजन तो बरसेगी शिव जी की कृपा

Pradosh Vrat 2022 In Sawan: हिंदू धर्म में हर तिथि का विशेष महत्व है. किसी भी माह के दोनों पक्षों की त्रियोदशी भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भोलेनाथ का प्रिय प्रदोष व्रत रखा जाता है. सावन माह में इनका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. जानें कैसे करें प्रदोष व्रत की पूजा. 

 

फाइल फोटो

Som Pradosh Vrat 2022: हिंदू पंचाग में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. मान्यता है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से भगवान शिव का प्रिय प्रदोष व्रत रखता है भोलेशंकर उससे प्रसन्न होकर उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. साथ ही, जीवन को सुखमय बनाते हैं. सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी 25 जुलाई, सोमवार को पड़ रही है. इस दिन सोमवार होने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा. 

बता दें कि सप्ताह के जिस भी दिन प्रदोष व्रत होता है, उसे उसी नाम से जाना जाता है. सोम प्रदोष व्रत का संबंध चंद्रमा से होता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा आदि करने से ग्रहों का अशुभ प्रभाव खत्म होता है. साथ ही व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है. आइए जानते हैं सावन माह में सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में. 

सावन सोम प्रदोष व्रत 2022

सावन में आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया है. इस बार प्रदोष व्रत सावन के सोमवार में ही पड़ रहा है. इस दिन भक्तों को व्रत रखने से सावन के सोमवार और प्रदोष व्रत दोनों का लाभ मिलेगा. सावन में प्रदोष व्रत 25 जुलाई, सोमवार को पड़ रहा है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 7 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 21 मिनट तक है. पूजा की कुल अवधि 2 घंटे 04 मिनट की है. 

बता दें कि इस बार त्रियोदशी तिथि का आरंभ 25 जुलाई, सोमवार शाम  4 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर, 26 जुलाई, मंगलवार शाम 6 बजकर 46 मिनट तक है. बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में होती है. 

प्रदोष व्रत पूजा विधि

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत कथा सुनने से ही गोदान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रती को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो लें. फिर साफ वस्त्र धारण कर लें और व्रत का संकल्प लें. इस दिन पास में किसी शिव मंदिर में जाकर बेल पत्र अर्पित करें. इसके बाद अक्षत, धूप-दीप, गंगाजल, फूल, मिठाई आदि को अर्पित करें. शिव जी की विधिपूर्वक पूजा करें और उपवास रखें. इस दिन शिवजी का स्मरण करें. साथ ही मंत्रों का जाप करें. 

शाम को प्रदोष काल में प्रदोष व्रत की पूजा के बाद ही व्रक का पारण किया जाता है. शाम के समय शिव परिवार को पंचामृत से स्नान कराया जाता है. इस दौरान उन्हें उनकी प्रिय चीजें अर्पित की जाती हैं. साथ ही, माता पार्वती को ऋंगार का सामान अर्पित करें. 

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

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