Shri Ram Motivational Story: प्रभु श्रीराम का जीवन सौम्य व्यवहार और संयमित जीवन का प्रतीक है. वे पूरा जीवन इसी तरह की जिंदगी जिए, इसके बावजूद उनकी जिंदगी में 6 ऐसे अवसर आए, जब वे क्रोधित हो उठे थे.
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When Lord Shri Ram Got Angry: भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जाना जाता है. वे शांत चित्त और संयम के प्रतीक हैं. उनके जीवन में कई परेशानियां आईं लेकिन उन विकट से विकट परिस्थितियों का भी उन्होंने शांत रहकर मुकाबला किया. इसी गुण की वजह से वे अपनी प्रजा में बेहद लोकप्रिय थे. केवल अपने ही नहीं, विरोधी भी उन्हें ईश मानकर हाथ जोड़ लेते थे. लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि उनके जीवन में भी 6 ऐसे मौके रहे, जब भगवान श्रीराम का भी धैर्य जवाब दे गया था और क्रोध में भरकर उन्होंने अपने धनुष पर बाण चढ़ा लिया था. आज आपको उन्हीं घटनाओं के बारे में बताते हैं, जब दुनिया को चलाने वाले प्रभु भी अपना संयम गंवा बैठे थे.
प्रभु श्रीराम को कब-कब क्रोध आया?
काकभुशुण्डि क्रोध
रामायण के बालकांड में वर्णन है कि जब प्रभु राम छोटे थे तो वे एक दिन भोजन कर रहे थे. उसी दौरान काकभुशुण्डि उनकी रोटी लेकर उड़ जाते हैं. इससे शांत रहने वाले बालक राम का क्रोध छलक जाता है. वे तीनों लोकों को अपने हाथ में भर लेते हैं. यह देख काकभुशुण्डि को अहसास हो जाता है कि उसने श्रीराम की रोटी चुराकर गलती कर दी है. इसके बाद वे प्रभु श्रीराम की शरण में आकर उनसे माफी मांगते हैं, जिससे उनका क्रोध शांत होता है.
शूर्पणखा पर क्रोध
माता कैकेयी के वरदान मांगने पर जब श्रीराम अपनी पत्नी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनगमन कर रहे होते हैं तो शूर्पणखा उनके रूप पर मोहित होकर विवाह की जिद करने लगती है. जब वे बताते हैं कि वे पहले से विवाहित हैं और सीता उनकी पत्नी है तो शूपर्णखा माता सीता को परेशान करने लग जाती है. इससे प्रभु श्रीराम का धैर्य जवाब दे जाता है और वे लक्ष्मण को उसे देने का आदेश देते हैं.
बाली पर क्रोध
मां सीता की खोज करते हुए प्रभु श्रीराम जब किष्किंधा पर्वत पहुंचते हैं तो जब सुग्रीव उन्हें बताते हैं कि किस तरह भाई बाली ने उनकी पत्नी को छीनकर उन्हें अपमानित कर राज्य से बाहर निकाल दिया. यह सुनकर मर्यादा पुरुषोत्तम क्रोध से भर जाते हैं. वे कहते हैं कि छोटे भाई की पत्नी पुत्री समान होती है. उसे जबरन अपने पास रखना वाला व्यक्ति मरण योग्य है.
सुग्रीव पर क्रोध
बाली के वध के बाद प्रभु श्रीराम के आदेश पर सुग्रीव को किष्किंधा प्रांत का राजा घोषित कर दिया जाता है. राजा बनने के बाद सुग्रीव भोग-विलास में लगकर मां सीता को ढूंढने के कार्य को भूल जाते हैं. कई दिनों तक इंतजार के बाद भी जब सुग्रीव नहीं आते तो वे लक्ष्मण के जरिए उन्हें संदेश भिजवाते हैं कि जिस बाण से उन्होंने बाली का वध किया था, वह अब भी उनके तरकश में मौजूद है और जिस मार्ग से बाली स्वर्ग गया था, वह भी अब तक बंद नहीं हुआ है.
समुद्र देवता पर क्रोध
मां सीता की खोज में रामेश्वरम पहुंचने पर प्रभु राम लंका जाने के लिए समुद्र देवता से रास्ता मांगते हैं. वे 2 दिनों तक समुद्र किनारे शिवलिंग स्थापित कर समुद्र देव की पूजा करते हैं लेकिन इसके बावजूद जब समुद्र देव कोई प्रत्युत्तर नहीं देते तो प्रभु श्रीराम का धीरज जवाब दे जाता है. अपने धनुष पर तीर चढ़ाकर वे समुद्र देव को धमकी देते हैं कि अगर उन्होंने रास्ता नहीं दिया तो वे उसे सुखा देंगे. इससे डरकर समुद्र देव तुरंत प्रकट होकर क्षमा मांगते हैं और सेतु बनाने का सुझाव देते हैं.
रावण का वध
लंका में युद्ध के दौरान रावण अपने बाणों की वर्षा कर काफी वानरों को मार देता है. ऐसा कई दिनों तक चलता है. आखिर में जिस दिन राम-रावण का युद्ध होता है, तब भी रावण कहर मचा देता है. इससे प्रभु श्रीराम बुरी तरह क्रोधित हो जाते हैं. वे कहते हैं कि अच्छा होता है कि मैंने युद्ध के पहले ही दिन इस दुष्ट पापी का अंत कर दिया होता तो इतना विनाश देखने को नहीं मिलता.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)