Makar Sankranti 2025: भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन ही क्यों त्यागी थी देह? जानें इसका रहस्य
Advertisement
trendingNow12597973

Makar Sankranti 2025: भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन ही क्यों त्यागी थी देह? जानें इसका रहस्य

Makar Sankranti 2025 Story: क्या आप जानते हैं कि आखिर भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागने के लिए मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त का इतजार क्यों किया.  

Makar Sankranti 2025: भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन ही क्यों त्यागी थी देह? जानें इसका रहस्य

Makar Sankranti 2025 Bhishma Pitamah Story: हिंदू पंचांग के अनुासर, इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य देव अपनी राशि परिवर्तन करके मकर राशि में प्रवेश करेंगे. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का राशि परिवर्तन विशेष महत्व रखता है. सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य के गोचर से जहां खरमास समाप्त होता है, वहीं वसंत ऋतु के आगमन का संकेत भी मिलता है. मकर संक्रांति का ऐतिहासिक और पौराणिक संबंध महाभारत काल से भी है. महाभारत में भीष्म पितामह ने 58 दिनों तक बाणों की शैय्या पर रहते हुए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था, क्योंकि इस समय प्राण त्यागने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं आखिर भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन ही अपने प्राण क्यों त्यागे. 

मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक कथा

महाभारत के 18 दिनों तक चले युद्ध में भीष्म पितामह ने 10 दिन तक कौरव पक्ष से लड़ा. उनके युद्ध कौशल से पांडव अत्यंत व्याकुल थे. आखिरकार शिखंडी की मदद से पांडवों ने उन्हें युद्ध से हटाने की योजना बनाई. अर्जुन ने शिखंडी की आड़ लेकर पितामह पर कई बाण चलाए, जिससे वे धरती पर गिर गए.

भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद उन्होंने प्राण त्यागने से इनकार कर दिया. पितामह ने प्रण लिया था कि वे तब तक प्राण नहीं देंगे, जब तक हस्तिनापुर सुरक्षित न हो जाए. साथ ही उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने का भी इंतजार किया, क्योंकि मान्यता है कि उत्तरायण में प्राण त्यागने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

भगवान श्रीकृष्ण ने बताया उत्तरायण का महत्व

भगवान श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायण का महत्व समझाया है. उन्होंने कहा कि जब सूर्य उत्तरायण होते हैं, तब पृथ्वी प्रकाशमय हो जाती है. इस काल में शरीर त्यागने वाले व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता और वे सीधे ब्रह्मलोक को प्राप्त करते हैं. इसी कारण भीष्म पितामह ने प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया. 

मकर संक्रांति पुण्यकाल और महापुण्य काल 

हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति पर पुण्य काल सुबह 9 बजकर 3 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 47 मिनट तक है. इसके अलावा महापुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 3 मिनट से लेकर 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Trending news