इसे कहते हैं असली भाईचारा! हिंदू-मुस्लिम मिलकर करा रहे 400 साल पुराने देवी मंदिर का जीर्णोद्धार
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इसे कहते हैं असली भाईचारा! हिंदू-मुस्लिम मिलकर करा रहे 400 साल पुराने देवी मंदिर का जीर्णोद्धार

Durga Mandir in Kerala: केरल के मलप्‍पुरम जिले के एक गांव से हिंदू-मुस्लिम एकता की एक शानदार कहानी सामने आई है. यहां 400 साल पुराने मंदिर के जीर्णोद्धार में दोनों समुदाय के लोग जुटे हुए हैं.

इसे कहते हैं असली भाईचारा! हिंदू-मुस्लिम मिलकर करा रहे 400 साल पुराने देवी मंदिर का जीर्णोद्धार

Ancient Temple in Malappuram: केरल में मुस्लिम समुदाय बड़ी तादाद में है. यहां पर हिंदु-मुस्लिम सद्भाव की एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो दोनों समुदाय के बीच के भाईचारे को बताती है. केरल के मलप्पुरम जिले के मुथुवल्लू गांव में 400 साल पुराना एक मंदिर मुथुवल्‍लूर श्री दुर्गा भगवती मंदिर है. इस प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार का काम चल रहा है. कमाल की बात यह है कि मंदिर के जीर्णोद्धार में हिंदुओं के साथ मुस्लिम समुदाय के लोग भी पूरी तरह बढ़-चढ़कर हिस्‍सा ले रहे हैं. केरल के इस माता मंदिर में देवी मां की नई मूर्ति स्‍थापित की जानी है. साथ ही मंदिर की मरम्‍मत भी हो रही है. इस कार्य के लिए मुस्लिम लोग भी दिल खोलकर दान दे रहे हैं. 

मुस्लिम बहुल इलाके में है मंदिर 

यह मंदिर मुस्लिम बहुल इलाके में है. इसके कारण जब भी मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए या मंदिर में होने वाले आयोजनों के लिए गांव में चंदा इकट्ठा किया जाता है तो मुस्लिम समुदाय के लोग आगे आकर धनराशि देते हैं. पिछले कुछ सालों में मंदिर को मुस्लिम समुदाय के लोगों से 30 लाख रुपए से ज्‍यादा का दान मिल चुका है. इतना ही नहीं विशेष त्‍योहारों पर मंदिर में होने वाले भोज के लिए सब्जियां आदि भी मुस्लिमों द्वारा दी जाती हैं. इस मंदिर की देखरेख और व्‍यवस्‍थाओं का जिम्‍मा मालाबार देवस्वोम बोर्ड के पास है. 

मई में होनी है नई मूर्ति की स्‍थापना 

मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए 2015 से कार्य चल रहा है और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसमें लगातार योगदान दिया है. अब मई महीने में मंदिर में देवी मां की नई मूर्ति की स्‍थापना होनी है और इसके लिए एक बार फिर गांव के लोगों से चंदा मांगा जा रहा है, जिसके तहत मुस्लिम लोग भी बढ़-चढ़कर सहयोग कर रहे हैं. 

मस्जिद बनाने के लिए मंदिर ने दी थी जमीन 

इससे पहले मंदिर ने मस्जिद बनाने के लिए जमीन दान में दी थी. स्‍थानीय निवासियों के अनुसार पहले कोंडोट्टी के लोगों को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए तिरुरंगडी तक जाना पड़ता था. यह जगह दूर होने के कारण कई बार नमाजी समय पर नहीं पहुंच पाते थे और जुमे की नमाज नहीं पढ़ पाते थे. तब गांव के लोगों ने निर्णय किया कि गांव में ही मस्जिद बनाई जाए. तब इसके लिए मंदिर से संपर्क किया गया और मंदिर ने सहज ही मस्जिद बनाने के लिए जमीन दान में दे दी थी. 

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