Padma Shri Dr RN Singh: विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारत के प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन पद्मश्री डॉ. रवींद्र नारायण सिंह का जन्म बिहार के सहरसा जिले के गोलमा गांव में हुआ था.
Trending Photos
Padma Shri Dr RN Singh: विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारत के प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन पद्मश्री डॉ. रवींद्र नारायण सिंह का जन्म बिहार के सहरसा जिले के गोलमा गांव में हुआ था. 1970 में पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से एमबीबीएस और 1976 में एमएस की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने नालंदा मेडिकल कॉलेज में एनाटोमी के शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं सेवा दी और कुछ ही वक़्त बाद उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए इंग्लैंड रवाना हुए ! डॉ.सिंह ने नॉटिंघम के क्वींस मेडिकल कॉलेज में एनाटोमी के शिक्षक के रूप में काफी काम किया और कई अन्य संस्थानों में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.
डॉ. रवींद्र ने 1976 में एडिनबर्ग के रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स से फैलोशिप हासिल की और लिवरपूल यूनिवर्सिटी , लंदन से ऑर्थोपेडिक्स में MCH की डिग्री हासिल की. कुछ ही वक़्त बाद इन्हे विदेशों से नौकरी के कई ऑफर मिले, लेकिन उनके पिता, जो अपने समय के प्रसिद्ध जिला जज थे, वो चाहते थे कि उनका बेटा भारत लौटकर अपनी मातृभूमि और अपनों के बीच रहकर उनकी सेवा करे.
भारत लौटने के बाद, डॉ.सिंह ने अपनी निजी प्रैक्टिस आरम्भ की और इस वक़्त डॉ. आर.एन.सिंह , राधा बल्लभ हेल्थ केयर एंड फाउंडेशन के निदेशक और अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक एंड रिहैबिलिटेशन में बतौर निदेशक अपना योगदान दे रहे हैं. चिकित्सा जगत के जानकारों का कहना है की डॉ.सिंह ने अपने अनुभवों के आधार पर अपने अस्पताल का जिस प्रकार मॉडल तैयार किया है उस मॉडल पर आज भारत में केवल चार मुख्य अस्पताल ही काम कर रहे हैं जिनमे संचेती हॉस्पिटल (पुणे), कुलकर्णी इंस्टीट्यूट (मिराज), गंगा अस्पताल (पुडुचेरी) और भट्टाचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ ओर्थोपेडिक्स (कोलकाता) शामिल हैं . डॉ.आर.एन.सिंह
ने पटना में सवेरा कैंसर और मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की भी स्थापना की है और इस हॉस्पिटल में कैंसर के इलाज से सम्बंधित अनुभवी चिकित्सकों के साथ-साथ सभी अत्याधुनिक सुविधाएं भी मौजूद हैं ! उनकी उपलब्धियों को देखते हुए 2018 में आउटलुक पत्रिका ने उन्हें 'आइकन्स ऑफ बिहार' से नवाजा.
डॉ.सिंह एक चिकित्सक होने के अलावा उच्च कोटि के समाजसेवी भी हैं ! समाज की सेवा और गरीब मरीज़ों के निशुल्क इलाज को ध्यान में रखकर डॉ.सिंह साल 1983 में पटना रेड क्रॉस सोसाइटी में शामिल हो गए और पिछले तीन दशकों से हर मंगलवार को 20 रोगियों का मुफ्त इलाज भी कर रहे हैं. डॉ.सिंह साल 1990 में पटना के राजेंद्र नगर, किशोर दल शिशु भवन (अनाथालय) से भी जुड़े और इस अनाथालय में रह रही बच्चियों के लिए कमरे ,भोजन ,निशुल्क शिक्षा और अपने अस्पताल में नौकरी देने तक हर संभव सहायता की . अपनी मां, स्व. इंदु देवी की स्मृति में उन्होंने 'इंदु देवी छात्रा प्रोत्साहन राशि' की शुरुआत की, जिसके तहत उनके पैतृक गाँव, गोलमा की प्रतिभाशाली छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है.
2003 में अपनी तीसरी बेटी पुष्पांजलि सिंह की आकस्मिक मृत्यु के बाद, डॉ. रवींद्र और उनकी पत्नी कविता सिंह ने 'पुष्पांजलि शिक्षा केंद्र' की शुरुआत की, जहां गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है. डॉ. रवींद्र का यह भी मानना है कि सक्षम लोग कम से कम एक लड़की को गोद लें और उसकी शिक्षा की जिम्मेदारी उठाएं, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें.
2009 में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल, माननीय आर.एल. भाटिया द्वारा उन्हें रेड क्रॉस में उनके अद्वितीय योगदान के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया. इसके बाद, 2010 में उन्हें चिकित्सा और सामाजिक क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से नवाजा गया. डॉ.सिंह न केवल बिहार नेत्रहीन परिषद के अध्यक्ष हैं, बल्कि समाज के अन्य लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए एक आदर्श भी प्रस्तुत कर रहे हैं. डॉ. रवींद्र नारायण सिंह के जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री भी बनी है, जिसे यूट्यूब पर देखा जा सकता है.
विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. रवींद्र नारायण सिंह का कहना है कि तीर्थ यात्रा का भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में पुत्र अपने माता-पिता को तीर्थ यात्रा पर भेजकर पुण्य अर्जित करते थे, लेकिन आजकल भौतिक जीवन में बदलाव के कारण तीर्थ यात्रा की इच्छा घट रही है. इसके मुख्य कारण सामाजिक संरचना में बदलाव, समय की कमी, और वृद्धावस्था में संतान का अभाव हैं. विगत कुछ सालों में तीर्थयात्रियों की संख्या में कमी तो दर्ज़ नहीं की गयी है, लेकिन संख्या में वृद्धि नहीं होना चिंता का सबब है !
भारत में सनातन धर्म में हज़ारों तीर्थ स्थल हैं, जिनका अपना-अपना महत्व है, जिनमें चार धाम यात्रा सर्वोत्तम मानी जाती है. डॉ. रवींद्र नारायण सिंह का कहना है कि देश-विदेश में रहने वाले हिंदुओं के बीच धार्मिक विश्वास बढ़ा है, हालांकि, तेजी से बढ़ती जनसंख्या के मुकाबले हिंदू समाज अभी भी बहुत छोटा है. युवाओं को हमारे धर्म से जोड़ना हमारे देश का नैतिक कर्तव्य भी है.
20 जून 2023 को बिहार के महामहिम राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर के साथ डॉ. रवींद्र नारायण सिंह ने पटना में भारत के संभवत पहले 'हिंदू तीर्थ भवन' का उद्घाटन किया, जो हिंदू तीर्थ स्थलों की जानकारी देने वाला देश का पहला तीर्थ केंद्र है. यह भवन न केवल बिहार, बल्कि पूरे भारत के तीर्थ स्थलों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा. डॉ. रवींद्र नारायण सिंह इस भवन को एक प्रेरक केंद्र मानते हैं, क्योंकि इस प्रकार की सुविधाएं देखकर अधिक से अधिक लोग तीर्थ यात्रा के बारे में सोच सकते हैं. उनका मानना है कि यह रास्ता हिंदुओं को एकजुट करेगा और उनके धार्मिक विश्वास को और अधिक मजबूत करेगा.
डॉ.आर.एन.सिंह की अपील है कि देश और विदेशों में रहने वाले सभी हिंदू इस ट्रस्ट के खाते में दान करें ताकि पूरे भारत में और अधिक 'हिंदू तीर्थ भवन' बनाए जा सकें और सनातन संस्कृति को गति मिले.
(यह लेख दिनेश आनंद द्वारा लिखित है)
(This article is part of IndiaDotCom Pvt Lt’s sponsored feature, a paid publication programme. IDPL claims no editorial involvement and assumes no responsibility or liability for any errors or omissions in the content of the article.)