Aditya-L1 to track Sun during Surya Grahan: 8 अप्रैल को सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक ही रेखा में होंगे. इस दौरान सूर्य पर ग्रहण की वजह से दुनियाभर के कई देशों में अंधेरा छा जाएगा. इस दौरान इसरो का आदित्य एल1 (ISRO's Aditya L1) सूर्य के व्यवहार और किरणों पर नजर रखेगा. सूर्य ग्रहण पर नजर रखने के लिए नासा (NASA) ने भी खास तैयारी की है. नासा इस दौरान पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल पर सूर्य के प्रकाश में कमी के प्रभावों की जांच करने के लिए तीन साउंडिंग रॉकेट लॉन्च करेगा.
8 अप्रैल को पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाएंगे. दिन के समय में दुनियाभर के कई देशों में अंधेरा हो जाएगा, क्योंकि चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक देगा. सूर्य कुल चार मिनट तक ढका रहेगा. हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का पहला सौर मिशन आदित्य एल1 पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को ट्रैक करने की स्थिति में है. इससे इसरो को तारे के क्रोमोस्फीयर और कोरोना यानी किसी तारे के वायुमंडल की सबसे बाहरी परत की अध्ययन करने में मदद मिलेगी.
सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को ट्रैक करने के लिए आदित्य एल1 अपने छह उपकरणों में से दो का उपयोग करेगा. ये दो उपकरण हैं विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) और सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) हैं. इस दौरान, सूर्य का कोरोना (बाहरी परत) पृथ्वी से कुछ देर के लिए दिखाई देगा, क्योंकि चंद्रमा तारे को अवरुद्ध कर देगा. आम मौकों पर सूर्य का कोरोना (बाहरी परत) पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है.
लॉन्च होने के चार महीने बाद आदित्य-एल1 इस साल की शुरुआत में 6 जनवरी को लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1 प्वाइंट) पर पहुंच गया. आदित्य एल1 मिशन छह उपकरणों से भरा हुआ है, क्योंकि यह लैग्रेंज प्वाइंट से सूर्य को ट्रैक और निरीक्षण करता है, जो पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है.
इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि आदित्य एल1 सैटेलाइट इस घटना का गवाह नहीं बन पाएगा, क्योंकि चंद्रमा अंतरिक्ष यान के पीछे लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1 बिंदु) पर है. इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा है कि आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान सूर्य ग्रहण नहीं देख पाएगा, क्योंकि चंद्रमा अंतरिक्ष यान के पीछे लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1 बिंदु) पर है. पृथ्वी पर दिखाई देने वाले ग्रहण का उस स्थान पर ज्यादा महत्व नहीं है.
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