Kumbh Mela 2025: आज हम आपको प्रयागराज के कुछ दर्शनीय स्थल के बारे में जानकारी दे रहे हैं. इस दर्शनीय स्थलों में फ्लोटिंग रेस्टोरेंट भी है तो भारद्वाज आश्रम भी. विक्टोरिया भवन है तो प्रयाग संगीत समिती भी शामिल है. तो चलिए आज हम आपको तस्वीरों में दिखाते हैं प्रयागराज के दर्शनीय स्थल. ऐसे में अगर आप कुंभ नहाने जा रहे हैं और आपके पास समय है तो आप इन जगहों पर जाकर इसे देख सकते हैं.
यह भवन रानी विक्टोरिया को समर्पित है जो कि इटालियन चूना पत्थर से निर्मित है. इस स्मारक को स्थापत्य कला का एक जीवंत उदाहरण कहा जाता है. इसे 24 मार्च, 1906 को जेम्स डिगेस ला टच के द्वारा साल 1906 में खोला गया था.
लोगों को भारतीय शास्त्रीय संगीत पढ़ाने और इस कला को लोकप्रिय बनाने के लिए इसे स्थापित किया गया था. इस संस्था का मूल उद्देश्य गायन, वादन एवं नृत्य को शामिल करते हुए संगीत कला की प्रतिष्ठा दिलाना और छात्रों को प्रशिक्षण देना है. इसके अलावा इस समिति का उद्देश्य अधिकतम लोगों तक पहुंचने का है. इसकी स्थापना साल 1926 में की गई थी.
प्रयागराज में एक बड़े केंद्रीय कॉलेज की स्थापना और इसे एक यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित करने का श्रेय सर विलियम म्योर को जाता है. विलियम म्योर तत्कालीन यूनाइटेड प्राविन्स के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे. उनके प्रयासों के कारण ही म्योर सेन्ट्रल कालेज की आधारशिला 9 दिसम्बर, 1873 को वायसराय लार्ड नार्थब्रुक ने रखी. जो कि आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में प्रसिद्ध हुआ.
भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम 1861 ने कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास उच्च न्यायालयों की स्थापना के प्राविधान किए. इस अधिनियम नें महारानी विक्टोरिया को यह शक्ति भी प्रदत्त की कि वे देश के अन्य भागों में भी इस प्रकार के अन्य उच्च न्यायालयों की स्थापना कर सकें. उसी क्रम में दिनांक 17 मार्च 1866 को लेटर पेटेंट/चार्टर ज़ारी करते हुए उत्तर-पश्चिम प्रांत हेतु देश के चैथे उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी जिसने 18 जून 1866 से आगरा में कार्य करना प्रारंभ किया.
पब्लिक लाइब्रेरी शहर की सबसे पुरानी लाइब्रेरी है. यह चन्द्रशेखर आजादा पार्क परिसर के अंदर है. इसमें ऐतिहासिक पुस्तकों, पाण्डुलिपियों एवं पत्रिकाओं का बहुत ही बड़ा संग्रह है. राज्य की प्रथम विधान सभा ने अपनी पहली बैठक इसी भवन में की थी जो कि 8 जनवरी, 1887 को संपन्न हुआ था. यह भवन गोथिक आर्कीटेक्चर का एक सुंदर उदाहरण है.
महाकुम्भ-2025 के लिए शानदार तैयारी को देखा जाए तो उसमें फ्लोटिंग रेस्टोरेंट अहम है. इसे बहुत ही शानदार तरीके से डिजाइन किया गया है. जिससे कि पर्यटकों को शानदार अनुभव मिले. इस रेस्टोरेंट में इनोवेटिव सुविधाएं आध्यात्मिकता और मनोरंजन का एक अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है.
अक्षयवट यानी की 'अविनाशी वटवृक्ष' जो कि हिंदू पौराणिक कथाओं और हिंदू ग्रंथों में वर्णित एक पवित्र बरगद का पेड़ है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक यह वृक्ष बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. क्योंकि, ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर रामायण के नायक राम, लक्ष्मण और सीता ने अयोध्या से निकलकर वनवास के दौरान विश्राम किया था.
महर्षि भारद्वाज आश्रम जो कि मुनि भारद्वाज से सम्बद्ध यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. मुनि भारद्वाज के समय यह प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र था. कहा जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के शुरुआत में चित्रकूट जाते समय सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ इस स्थान पर आए थे. वर्तमान में यहां भारद्वाजेश्वर महादेव, मुनि भारद्वाज समेत कई देवी देवताओं के मंदिर हैं.
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