Chandigarh News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज चंदीगढ़ में थे इस दौरान वो चंडीगढ़ पुलिस द्वारा तैयार किए गए एक क्राइम सीन का मुआयना करने पहुंच गए. उनके साथ गृह मंत्री अमित शाह भी थे. पीएम का मुख्य कार्यक्रम पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में था. यहीं पर चंडीगढ़ पुलिस ने एक क्राइम सीन तैयार किया था. PM मोदी सबसे पहले इसका मुआयना करने पहुंचे. पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने मर्डर से लेकर इन्वेस्टिगेशन तक पूरी प्रॉसेस का डेमो देखा LIVE देखा. इसके बाद प्रधानमंत्री ने संबंधित टीम की हौसला अफजाई करते हुए पुलिसिंग का सही मायना समझाया.
देश में पुलिस चाहे किसी राज्य की हो जनता उसे मित्र समझने के बजाए डरकर दूर रहना चाहती है. पुराने जमाने में तो अगर पुलिसवाला किसी के घर के सामने से भी निकल जाता था तो पूरे मोहल्ले में हल्ला हो जाता था. फलाने के यहां पुलिस आई थी. पुलिस का खौफ कमोबेश अभी तक दूर या खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में देश की न्याय पालिका के साथ-साथ पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए सुझाव दिए जा रहे थे. अब जाकर कहीं स्थिति कुछ हद तक बेहतर हुई है. केंद्र और राज्य सरकारों की इच्छाशक्ति और सोशल मीडिया की वजह से भी थोड़ा बहुत बदलाव आया है.
एक कहावत है. न्याय में देरी न्याय से वंचित करने के समान है. इसका मतलब है कि अगर किसी को कानूनी समाधान या न्यायसंगत राहत मिलने में बहुत देरी हो, तो इसे इंसाफ कहना बेमानी होता है. ऐसी बातों को लेकर न्यायिक सुधारों की मांग देश में बीते कम से कम 50 सालों से हो रही थी. ऐसे में बात चाहे FIR दर्ज करने की बात हो. FIR लिखाने में आने वाली मुश्किलों की हो या फिर इन्वेस्टिगेशन के हर स्टेज पर आईओ द्वारा परेशान किए जाने की अनगिनत घटनाओं के बैकग्राउंड से उपजा डर हो या जांच का अपडेट, शिकायतकर्ता तक पहुंचाने की व्यवस्था से लेकर अदालत में ट्रायल चलने से लेकर इंसाफ मिलने तक आम आदमी के मन में कहीं न कहीं डर बना रहता है. मोदी सरकार नए कानूनों के जरिए देश की न्याय व्यवस्था और पुलिसिंग व्यवस्था दोनों में सुधार चाहती हैं.
मुकदमों के स्पीडी ट्रायल से लेकर त्वरित न्याय की अवधारणा की बातों के बीच सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला अदालतों तक लाखों केस पेंडिंग पड़े हैं. न्याय में देरी की शुरुआती दो प्रमुख वजहों की बात करें तो ज्युडिशियरी में जजों की कमी और दूसरा पुलिस का जांच को समय में पूरा न कर पाना है. इस वजह से अक्सर लोग इंसाफ पाने के लिए तारीख पर तारीख लेने को मजबूर दिखते हैं. ऐसे में मोदी सरकार ने व्यापक विचार विमर्श के बाद लागू किए गए 3 न्याय कानूनों से अब तक क्या बदलाव आया और आगे क्या बदलाव आ सकता है? जानने के लिए एक मामले की जांच का LIVE DEMO देखा. पुलिस अधिकारियों ने पीएम मोदी को स्टेप बाय स्टेप नए क्रिमिनल लॉ के पूरे प्रोसेस को समझाया. पीएम मोदी ने क्राइम सीन पर पुलिस एक्शन को देखा.
प्रधानमंत्री मोदी ने तीन नए आपराधिक कानूनों के सफल कार्यान्वयन के लोकार्पण के मौके पर प्रदेश के नागरिकों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा, 'पहले अपराधियों से ज्यादा डर निर्दोषों में रहता था. कई अहम कानून चर्चा से दूर हैं. अनुच्छेद 370, ट्रिपल तलाक पर खूब चर्चा हुई और आजकल वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा हो रही है. देश के नागरिकों के लिए हमारे संविधान ने जिन आदर्शों की कल्पना की थी, उन्हें पूरा करने की दिशा में ये ठोस प्रयास है. हम हमेशा से सुनते आए कि कानून की नजर में सब बराबर होते हैं लेकिन व्याहवारिक सच्चाई कुछ और होती है. नए अपराधिक कानून हर पीढ़ी के प्रति संवेदना से परिपूर्ण है.आजादी के बाद दशकों तक हमारे कानून उसी दंड संहिता और पीनल माइंड सेट के इर्द गिर्द ही मंडराते रहे, जिसका इस्तेमाल नागरिकों को गुलाम मानकर होता रहा.'
पीएम मोदी ने BNS को समझाते हुए कहा, "भारतीय न्याय संहिता का मूल मंत्र है- सिटिजन फर्स्ट. देश के नए कानून नागरिक अधिकारों के प्रोटेक्टर बन रहे हैं, 'Ease of justice' का आधार बन रहे हैं. पहले FIR कराना भी मुश्किलों भरा काम होता था, लेकिन अब जीरो FIR को भी कानूनी रूप दे दिया गया है.' वहीं गृहमंत्री शाह ने नए कानूनों पर बात करते हुए कहा, 'देश की संसद में बना कानून है, किसी भी FIR पर 3 साल में उस पर न्याय मिलेगा'. आपको बताते चलें कि नए कानून के मुताबिक, 90 दिन में पुलिस को प्रोग्रेसिव रिपोर्ट अनिवार्य है. संगठित अपराध और आतंकी पहले किसी कानून की श्रेणी में नहीं थे लेकिन इसमें उनको कैरेक्ट्राइज किया गया है.
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