कोरोना काल में जिस तरह से अपराध का ग्राफ नीचे आया है उसी तरह से अपराधों के दम पर चलने वकालत का धन्धा भी मुह के बल गिरा है और हालत दिल्ली-एनसीआर में ये हो गई है कि आज वकीलों को मदद के लिये सरकार से गुहार लगानी पड़ गई है....
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नई दिल्ली. दिल्ली-एनसीआर के वकील आर्थिक संकट में आ गए हैं और कारण सभी जानते हैं. कोरोना के कारण जिस तरह से बाकी काम-धंधे पिट गए हैं, वकालत के धंधे को भी बुरी तरह नुकसान पहुंचा है. और ऐसे एक लाख वकीलों ने प्रधानमंत्री से आर्थिक मदद मांगी है.
वकीलों को भी दुहरी मार पड़ी है. कोरोना वायरस से पैदा होने वाले संक्रमण और संक्रमण के कारण पैदा होने वाले लॉकडाउन के कारण दिल्ली-एनसीआर देश भर के वकीलों का काम-धंधा चौपट हो गया है. हालत ऐसी है की तंगहाली के मारे ये वकील अपने परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ती में असमर्थ महसूस कर रहे हैं. ऐसे में दिल्ली के वकीलों ने सरकार से मदद मांगी है.
दिल्ली-एनसीआर के वकीलों ने सीधे प्रधानमंत्री से अपेक्षा कि है की वे उनकी सहायता करेंगे. बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने पीएम मोदी को एक पत्र लिया है जिसमें उन्होंने अपनी परेशानी का उल्लेख करते हुए उनसे आर्थिक मदद मांगी है. वकीलों ने कंटिंजेंसी फंड या पीएम केयर फंड के मंच से 500 करोड़ रुपये की राशि की मांग की है.
कोरोना महामारी कि वजह से अधिकांशतः वकील वित्तीय संकट ग्रस्त हो गए हैं. बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के चेयरमैन केसी मित्तल ने प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में बताया है कि दिल्ली और एनसीआर में एक लाख से ज्यादा वकील हैं जिनकी कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन की वजह से आर्थिक स्थिति दुर्गति को प्राप्त हो गई है.
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