रमजान में लोग सेहरी और इफ्तार अपनी जरूरत, सेहत और हैसियत के मुताबिक करते हैं, लेकिन अगर आप मुगल काल के दौरान रमजान की डिशेज के बारे में जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे.
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Ramzan During Mughal Empire: भारत में मुगलों का दौर साल 1526 से शुरू होता है जब जाहिरउद्दीन मुहम्मद बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हरा दिया. इसके बाद क्रमश: हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब और सबसे आखिर में बहादुरशाह जफर आए. इनके दौर में रमजान की रौनक देखते ही बनती थी. आइए जानते हैं कि सेहरी और इफ्तार के दौरान मुगल किचन में क्या-क्या पकता था.
कैंपों में होता था इफ्तार?
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक मुगलों की ये परंपरा थी कि रमजान में इफ्तार का इंतेजाम कैंपों में किया जाता था. खासकर इस पाक महीने के आखिरी दिन बड़ा जश्न भी मनाया गया था इस दौरान रोजा खोला गया, फिर चांद देखा और हवा में तोपें चलाई गईं.बाहदशाह जहांगीर उलेमा के रिए गरीबों में खैरात बांटते थे. शाहजहां के दौर मे मुगलों की शान-ओ-शौकत देखते ही बनती थी, वो अपने दौर में पूर्वजों से ज्यादा लजीज पकवान तैयार करवाते थे.
सेहरी में क्या खाया जाता था?
मौजूदा दौर में सेहरी के दौरान हल्की-फुल्की चीजें खाई जाती हैं, ताकि दिनभर पेट की हालत सही रहे, लेकिन मुगलिया दौर में सेहरी किसी दावत से कम नहीं होती है.
अलग-अलग तरह की रोटियां
रोटियों की इतनी वैरायटी होती थी कि इसे गिनना मुश्किल हो जाए, जैसे- शीरमाल, गाव दीदा, गाव जबान, बादाम की रोटी, बिरी रोटी, बेसनी रोटी, खमीरी रोटी, नान, कुल्चा, बाकर खानी रोटी, ग़ौसी रोटी, चपातियां, फुल्के, पराठे, रौगनी रोटी, बादाम की नान खटाई, पिस्ते की नान खटाई, छुहारे की नान खटाई, मिस्री की रोटी, नान पंबा, नान गुलज़ार, नान कमाश, नान तुनकी, पिस्ते की रोटी, चावल की रोटी, गाजर की रोटी वगैरह
चावल की डिशेज
चावल से बनी चीजों में बैजा पुलाव, अनानास पुलाव, कोफ्ता पुलाव, बिरयानी पुलाव, चुलाव, मुजफ्फर पुलाव,फालसाई पुलाव, आबी पुलाव, सुनहरी पुलाव, रूपहली पुलाव, मुर्ग पुलाव,सारे बकरे का पुलाव, बूंट पुलाव, यख़्नी पुलाव, मोती पुलाव, नूर महली पुलाव, नुक्ती पुलाव, किशमिश पुलाव, नरगिस पुलाव, जमुर्रदी पुलाव, लाल पुलाव, मुतंजन, शोला, खिचड़ी, कबूली, ताहिरी शामिल थे
सालन
चावल और रोटी के साथ जो सालन खाया जाता था उनमें बैगन का भर्ता, आलू का भर्ता, चने की दाल का भर्ता, कोरमा, कलिया, दो प्याजा, हिरन का कोरमा, मुर्ग का कोरमा, आलू का दलमा, बैगन का दलमा, करेलों का दलमा, बादशाह पसंद करेले, बादशाह पसंद दाल.बूरानी, रायता, मछली, पनीर की चटनी शामिल थे.
स्वीट डिशेज
मीठे में कद्दू की खीर, गाजर की खीर, कंगनी की खीर, याकूती, नमिश, जर्दा मुजफ्फर, समोसे सलोने मीठे, शाखें, खजले, कतलमे, सिवई, मन व सलवा, फिरनी, खीर, बादाम की खीर, दूध का दलमा, बादाम का दलमा शामिल थे.
कबाब की किस्में
कबाबों में सीख कबाब, शामी कबाब, नुक्ती कबाब, लवज़ात के कबाब, ख़ताई कबाब, हुसैनी कबाब, गोलियों के कबाब, तीतर के कबाब, बटेर के कबाब खाया जाता था.
इफ्तार में क्या खाया जाता था?
रोजे के वक्त का पता तोप की आवाज से लगता था, अजानें होती थीं, हरकारे झंडियां हिलाते थे, जिसके बाद इस्लामी अकीदे के मुताबिक खजूर या छुहारे खाकर रोजा खोला जाता था. ग्लास और चम्मच की मदद से लोग शर्बत पीते थे. इफ्तार के तुरंत बाद मगरिब की नमाज पढ़ी जाती थी.
इफ्तार में खाए जाने वाले लजीज फूड आइटम्स को बड़े प्लेट, कटोरी, ग्लास में सजाया जाता था. इसमें मेवे, तरकारियां, मूंग की दालों की बनी डिशेज, उबली हुई चीजें, राहत-ए-जान नामक शर्बत, रंगतरों को छील, खांड मिला, केले के कतले, कीमे जैसी चीजें होती थीं.
इसके अलावा किशमिश, अंगूर, अनार, नुक्तियां, भुने हुए पिस्ते बादाम, नून मिर्च लगे हुए, फालसे, तुखम-ए-रेहां , फालूदे, मेवे का शर्बत, नींबू पानी, तली हुई मूंग, चने की दाल, बेसन की सिवइयां,बादाम पिस्तों के नुक्ल, छुहारे खाए जाते थे.