क्या है 'डिजिटल डिटॉक्स' का काम? माइंड और बॉडी पर कैसे डालता है असर
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क्या है 'डिजिटल डिटॉक्स' का काम? माइंड और बॉडी पर कैसे डालता है असर

Digital Detox Benefits: डिजिटल डिटॉक्स केवल हमें इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से छुटाकार पाने का एक तरीका नहीं है, बल्कि यह हमारे मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है.

क्या है 'डिजिटल डिटॉक्स' का काम? माइंड और बॉडी पर कैसे डालता है असर

Digital Detox: आसान भाषा में कुछ समय के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और सोशल मीडिया का इस्तमाल कम करना या बंद करने को डिजिटल डिटॉक्स कहते हैं. आज के समय में सुबह उठने से रात में सोने तक हमारी आंखें मोबाइल फोन पर टीकी रहती है. काम या पढ़ाई के लिए हमें लैपटॉप टैबलेट की जरूरत पढ़ती ही है. डिस्क जॉब वाले लोग 8 से 9 घंटे लगातार लैपटॉप में काम करते हैं. वहीं खाली वक्त में हम सबको सोशल मीडिया पर स्क्रोल करना पसंद होता है. हमारी पूरी जिंदगी डिजिटल डिवाइस से जुड़ी हुई है. ऐसे देखा जाए तो, ये डिवाइस हमारे जीवन को आसान बनाते हैं. लेकिन इसका हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है. इसलिए आज के समय में "डिजिटल डिटॉक्स" हम सब के लिए बेहद जरूरी हो गया है, ताकि हम अपने शरीर और दिमाग को आराम दे सकें.

 

ब्लू लाइट का असर

इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से एक नीली रोशनी (ब्लू लाइट) निकलती है, जो हमारी सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक है. खासकर रात के समय में स्मार्टफोन या दूसरे इलेक्टॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल करने से ब्लू लाइट मेलाटोनिन (नींद हार्मोन) के प्रोडक्शन के कम कर देती है, जिससे नींद में गड़बड़ी होती है. इसलिए डिजिटल डिटॉक्स करने से हम स्क्रीन से दूर रहते हैं, जिससे हमारी नींद और मानसिक शांति बेहतर होती है. 

 

डिजिटल डिटॉक्स माइंड पर कैसे डालता है असर?

कम स्क्रीन टाइम से तनाव कम होता है. लगातार स्मार्टफन या कंप्यूटर स्क्रीन को देखने से आंखों में तनाव, सिरदर्द और मानसिक थकावट हो सकती है. डिजिटल डिटॉक्स से हमें स्क्रीन के सामने बिताए गए समय को कम करने का मौका मिलता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है. स्मार्टफोन से दूर रहते हुए हम खुद को अधिक मानसिक रूप से रिलैक्स्ड महसूस करते हैं, क्योंकि लगातार सोशल मीडिया या ईमेल्स चेक करते रहते में मेंटल प्रेशर पड़ता है. डिजिटल डिटॉक्स से हम अपने परिवार और दोस्तों के करीब आ जाते हैं, जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करता है. आपको बता दें इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हमारी मेंटल एनर्जी को चुराता है, जिससे हम अक्सर थका हुआ महसूस करते हैं. डिजिटल डिटॉक्स से हमारा ध्यान और फोकस बेहतर होता है. 

 

डिजिटल डिटॉक्स बॉडी पर कैसे डालता है असर?

डिजिटल डिवाइस से दूरी बनाने पर हम ज्यादा शारीरिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं, जैसे दौड़ना, योग, या सादे चलने-फिरने जैसे काम. इससे हमारी फिटनेस और फिजिकल हेल्थ में सुधार होता है. साथ ही डिवाइसेस का ज्यादा इस्तेमाल आंखों और फिजिकल थकावट पैदा करता है. इससे आंखों में सूजन, जलन और थकान हो सकती है. इसे 'डिजिटल आई स्ट्रेन' कहा जाता है. इसलिए स्क्रीन टाइम को कम करने से आंखों को आराम मिलता है और शारीरिक थकावट कम होती है. यह शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. 

 

इन बातों का रखें ध्यान

डिजिटल डिटॉक्स को सही तरह से करने से के लिए आप दिन में स्क्रीन पर बिताने के समय को सीमित करें. ऑफलाइन एक्टिविटी जैसे किताबें, गार्डनिंग, पेंटिंग या किसी और कला में रुचि लें. सप्ताह में एक दिन सोशल मीडिया से पूरी तरह से दूर रहने की आदत डालें. बॉडी और माइंड के लिए योग, ध्यान (मेडिटेशन) और प्राणायाम की प्रैक्टिस करें.

 

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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