उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित आदि कैलाश के दर्शन के लिए अब तीर्थ यात्रियों को दुर्गम पैदल रास्तों से नहीं गुजरना होगा. चीन सीमा से सटे गुंजी जौलीड़कांग मार्ग से तीर्थयात्री अब गाड़ियों से ही सीधे आदि कैलाश तक पहुंच सकेंगे. जबकि पहले दुर्गम पहाड़ी रास्ता होने की वजह से यात्री 6 से 8 दिन चलकर यहां पहुंचते थे. सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ ने वर्ष 2020 में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लिपूलेख दर्रे को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण पूरा कर लिया था, लेकिन कोरोना के कहर की वजह से यात्रा दो साल बंद थी तो अब पहली बार तीर्थ यात्री इस सड़क मार्ग का लाभ उठा सकेंगे.