Aligarh: क्या AMU लैंग्वेज विभाग के चेयरमैन ने PHD छात्र का किया उत्पीड़न, जानिए पूरा मामला
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Aligarh: क्या AMU लैंग्वेज विभाग के चेयरमैन ने PHD छात्र का किया उत्पीड़न, जानिए पूरा मामला

UP News: एएमयू में मॉडर्न इंडियन लैंग्वेज विभाग के चेयरमैन पर पीएचडी छात्र के उत्पीड़न का आरोप लगा है. इसके विरोध में छात्रों ने प्रदर्शन मार्च निकाला.

Aligarh: क्या AMU लैंग्वेज विभाग के चेयरमैन ने PHD छात्र का किया उत्पीड़न, जानिए पूरा मामला

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मॉडल इंडियन लैंग्वेज विभाग के चेयरमैन पर एक रिसर्च स्कॉलर छात्र के उत्पीड़न का आरोप लगा है. इसको लेकर आज दर्जनों छात्रों ने एएमयू में प्रोटेस्ट मार्च निकाला. छात्र हाथों में पोस्टर बैनर भी लिए हुए थे. छात्रों का आरोप था कि विभाग के चेयरमैन रिसर्च स्कॉलर छात्र को परेशान करते हैं, जबकि उसका रिसर्च वर्क भी कंप्लीट हो चुकी है, लेकिन थीसिस जमा नहीं की जा रही है. जानबूझकर छात्र का उत्पीड़न किया जा रहा है. वहीं, एएमयू के असिस्टेंट प्रॉक्टर ने बताया कि मामले में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी वीसी के द्वारा बनाई गई है, जो जांच के बाद अपनी रिपोर्ट वीसी को देगी. उसी के आधार पर निर्णय लिया जाएगा.

रिसर्च कंप्लीट लेकिन थीसिस नहीं हुई सबमिट 
वहीं, इस मामले पर छात्र नेता आरिफ खान ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ये प्रोटेस्ट टीचर और चेयरमैन की तानाशाही के खिलाफ था. एक बच्चा माबूद जिसकी रिसर्च कंप्लीट हो चुकी है, थीसिस सबमिट करने का मसला है, जिस तरीके से चेयरमैन की तानाशाही बच्चे के ऊपर दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, ऐसे में उसे हक और इंसाफ के लिए हम एकजुट होकर आए हैं. उनकी यही डिमांड है बच्चे पर जुल्म न हो, चेयरमैन की तो बातचीत का लहजा ही बदल गया है.

छात्र नेता एएमयू मोहम्मद आरिफ खान ने लगाए आरोप
आपको बता दें कि छात्र नेता एएमयू मोहम्मद आरिफ खान ने कहा कि हम चाहते हैं कि तानाशाही कम करते हुए छात्र की पीएचडी सबमिट कराई जाए. अत्याचार ये है कि इनकी रिसर्च कंप्लीट हो चुकी है, लेकिन थीसिस सबमिट करने का कोई वक्त नहीं है. 6 महीने के अंदर थीसिस सबमिट हो जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि थीसिस सबमिट नहीं कराना चाह रहे हैं.

वहीं, इस मामले में एएमयू के असिस्टेंट प्रॉक्टर ने बताया कि मॉडर्न इंडियन लैंग्वेज में चेयरमैन साहब है. उनके और एक रिसर्च स्कॉलर के बीच में कुछ विवाद हुआ. रिसर्च स्कॉलर का कहना है कि मेरी पीएचडी की थीसिस जमा हुई थी, लेकिन चेयरमैन का यह कहना है कि रिपोर्ट 11 प्रतिशत थी, जो उनके द्वारा गलती से फॉरवर्ड कर दी गई थी. इसलिए रिपोर्ट फेवर में आ गई थी. अब इस मामले में वीसी ने एक कमेटी बनाई है. उसके अनुसार कार्यवाही की जाएगी.

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