Diwali 2022 Tips: गलती से भी घर ना लें आएं लक्ष्मी-गणेश की ऐसी मूर्ति, खरीदते वक्त रखें इन बातों का ध्यान
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Diwali 2022 Tips: गलती से भी घर ना लें आएं लक्ष्मी-गणेश की ऐसी मूर्ति, खरीदते वक्त रखें इन बातों का ध्यान

Diwali 2022: लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदते वक्त इन बातों का ध्यान रखें...

Happy Diwali

Diwali 2022: आज दिवाली का त्योहार है. दिवाली या दीपावली हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है. दिवाली हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. दिवाली पूजन प्रदोष काल में किया जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश की का विशेष महत्व है. लोग मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की सुंदर-सुदर मूर्तियां घर लाते हैं. उनकी शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से पूजा करते हैं. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की ये मूर्ति सालभर घर में रखी जाती है. इनका हमारे जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है. इसलिए इन मूर्तियों को बहुत ध्यान से खरीदना चाहिए. आइये जानते हैं. 

ऐसी होनी चाहिए लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति
1. कई बार बाजार में मां लक्ष्मी और गणपति आपस में जुड़ी मूर्तियां होती हैं. कभी भी ऐसी मूर्ति ना लें. ध्यान रखें कि मां लक्ष्मी और गणपति की मूर्ति अलग-अलग होनी चाहिए.
2. मां लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश जी उस मूर्ति को खरीदना चाहिए जो बैठी मुद्रा में नजर आ रही हो.
3. गणेश जी की प्रतिमा में सूंड में एक से ज्यादा घुमाव न हो. इसके साथ ही उनकी सूंड बायीं ओर घूमी हुई हो. 
4. उल्लू पर बैठी हुई माता लक्ष्मी की प्रतिमा अशुभ मानी जाती है. इसलिए लक्ष्मी माता की वो तस्वीर लाएं, जिसमें वे कमल या हाथी पर विराजमान हों. 

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5. प्रतिमा में खड़ी लक्ष्मी चलायमान मानी जाती हैं. ऐसे में स्थिर लक्ष्मी के लिए बैठी लक्ष्मी ही घर लाएं ताकि वो आपके घर में हमेशा निवास करें.
6. गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि उसमें उनका वाहन मूषक जरूर हो, साथ ही वे हाथों में लड्डू या मोदक लिए हों. ऐसी मूर्ति को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.

अगर तस्वीर ला रहे हैं तो ध्यान रखें की तस्वीर में मां लक्ष्मी के हाथों से धन की वर्षा होना जरूरी है. माना जाता है कि ऐसी मूर्ति लाने से परिवार में भी धन की कमी दूर होने लगती है.

पुरानी मूर्ति का क्या करें? 
अगर आप लक्ष्मी-गणेश की मिट्टी की मूर्ति ला रहे हैं, तो पुरानी प्रतिमा को जल में प्रवाहित कर दें या फिर मिट्टी में दबा देना चाहिए. नई प्रतिमा आने के बाद पुरानी को घर में नहीं रखना चाहिए. 

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दिवाली पूजा का शुभ -मुहूर्त
इस साल अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर दोनों दिन ही है. लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो जाएगी. इसलिए दीपावली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी. 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर अमावस्या शुरू होगी जो मंगलवार शाम को 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी.  24 अक्टूबर को दिवाली का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक है.

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