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Geeta written By Gold: कोलकाता के रहने वाले डॉक्टर मंगल त्रिपाठी, जिनकी उम्र लगभग 87 साल की है. उन्होंने कड़ी मेहनत कर सोने, चांदी और हीरे का इस्तेमाल करके श्रीकृष्ण उवाच् श्रीमद्भागवदगीता लिखी है. हैरान कर देने वाली बात यह है कि श्रीमद्भागवदगीता का एक-एक शब्द सोने,चांदी और हीरे से लिखा हुआ है और गीता को लिखने में 50 साल लगे हैं. गीता को लिखनें में डॉक्टर मंगल त्रिपाठी ने अपनी जीवनभर की पूंजी पगा दी. डॉक्टर मंगल को गीता के लिए मोटी रकम दी जा रही थी, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने स्वर्णिम गीता नहीं बेची.
23 कैरेट सोना
डॉक्टर मंगल त्रिपाठी की जानकारी के अनुसार श्रीमद्भागवदगीता में करीब 22 ब्लॉक हैं, जिसकों आम भाषा में पत्र कहते हैं. गीता में करीब 23 कैरेट सोने की पन्नी लगी है. उन्होंने बताया कि हर पन्नी के साथ एक अध्याय को एक-एक पत्र में लिखा गया है. श्रीमद्भागवदगीता को लिखने में डॉक्टर मंगल त्रिपाठी ने अपने जीवनभर की पूंजी लगा दी. मंगल त्रिपाठी ने इस काम के लिए किसी से कोई मदद नहीं ली. उन्हें इस गीता के बदले में मोटी रकम मिल रही थी, लेकिन उन्होंने करोड़ों रूपयों में भी श्रीमद्भागवदगीता नहीं बेची. आपको बता दें कि आठ पत्रों की इस गीता को चांदी पर लिखा गया है.
मिल रही थी मोटी रकम
मंगल त्रिपाठी ने ये भी बताया कि श्रीमद्भागवदगीता को लोग करोड़ो रुपये की कीमत देकर खरीदना चाहते थे, लेकिन उहोने इसे नहीं बेचा. डॉक्टर मंगल त्रिपाठी ने इस स्वर्ण श्रीमद्भागवदगीता को लिखने का पूरा श्रेय भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को दिया है. उन्होंने खा कि पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने ही सबसे पहले उन्हें गीता पर काम करने के लिए कहा था. देसाई ने कहा था कि वो किसी से भी मदद ने लिए बिना ही श्रीमद्भागवदगीता पर काम करे. अब 50 साल की कड़ी मेहनत और जीवन भर की पूंजी जोड़कर उन्होंने 23 कैरेट सोने से यह गीता लिखी है. सोने से बनी इस गीता को 23 पत्रों में लिख कर उसके 18 अध्यायों को समाहित किया गया है. इतना ही नहीं हजार पन्नों की गीता में 500 चित्र भी हैं.
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