According To Shivpuran: सोमवार का दिन भगवान शिव के लिए समर्पित माना जाता है. यहां जाने क्यों भगवान शिव को बिल्वपत्र अति प्रिय है. सोमवार को भगवान शिव को बिल्वपत्र चढ़ाने के क्या लाभ मिलते हैं?...
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According To Shivpuran: शिव भक्त हर सोमवार को शिव की आराधना करते हैं. उनको प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाया जाता है. बेलपत्र शिव को अत्यंत प्रिय है, कहते हैं बेलपत्र पर ॐ लिखकर शिव को अर्पित करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. शिव को हमेशा 3,5,7 जैसी विषम संख्याओं वाले बेलपत्र चढ़ाने चाहिए. ऐसा माना जाता है कि 3 पत्तियों वाला बेलपत्र त्रिदेवों और शिव जी के त्रिशूल का रूप है. बेलपत्र शिव को इतना प्रिय क्यों है इसके बारे में दो कहानियां प्रचलित हैं.
स्कंदपुराण के अनुसार बेलपत्र का उत्पति
स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार काम करते समय माँ पार्वती के पसीने की एक बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और यहाँ से एक पेड़ उत्पन्न हुआ . यह बेल का पेड़ था. इस बेल के पेड़ में, माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं. पेड़ की जड़ में गिरिजा, तनों में माहेश्वरी और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती का रूप विराजमान है. इसके फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप बसता है. इसलिए बेलपत्र शिव को अत्यंत प्रिय है.
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शिवपुराण के अनुसार बेलपत्र का महत्त्व
शिवपुराण के अनुसार जब समुद्र मंथन से विष की उत्पति हुई तो शिव शंकर ने इसे अपने कंठ में धारण किया और नीलकंठ हो गए. विष के प्रभाव के कारण शिव के शरीर का तापमान बढ़ने लगा और पूरा प्राणी जगत तपने लगा. चारों और हाहाकार मच गई. विष के असर को कम करने के लिए देवताओं ने शिव को ठन्डे पानी से स्नान करवाया और उन्हें बेलपत्र खिलाए. बेलपत्र खाने से शिवजी के शरीर का तापमान कम हुआ और बेलपत्र शिव को प्रिय हो गए.
बेलवृक्ष का महत्त्व
बेल का पेड़ धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. कहते हैं अगर कोई शवयात्रा बेलवृक्ष के नीचे से गुजरे तो मृत व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. बेलवृक्ष को काटने से वंश बढ़ने में रुकावट होती है और बेल के पेड़ को लगाने से उत्तम संतान प्राप्त होती है. सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से सभी पापों का नाश होता है. बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते हैं. पितर दोष से मुक्ति पाने के लिए बेल वृक्ष की सेवा करें.