Sambhal Hindi News: यूपी के संभल में मंदिर मस्जिद विवाद के एक नया मामला सामने आ रहा है. आपको बता दे कि वक्फ बोर्ड ने संभल में 4 किलो मीटर तक ने उसकी जमीन होना का दावा किया. आइए जानते है क्या वास्तव में ये जमीनें वक्फ बोर्ड की हैं?
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Sambhal Latest News: संभल में वक्फ संपत्तियों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया और एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि संभल सदर का चार किलोमीटर क्षेत्र वक्फ संपत्ति में दर्ज है. इसमें शाही जामा मस्जिद, सदर कोतवाली, प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मंदिर, तहसील, डाकघर और कई सरकारी दफ्तर शामिल हैं.
फर्जी वक्फनामा और हजारों बीघा भूमि का मामला
डीएम ने बताया कि 23 अगस्त 1929 को मोहम्मद अब्दुल समद द्वारा अनरजिस्टर्ड वक्फनामा तैयार किया गया, जिसमें हजारों बीघा भूमि को मदरसे के नाम पर वक्फ में दिखाया गया. वक्फनामे में स्वामित्व और जमीन के उपयोग का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है. नगर पालिका के पास मौजूद विवादित भूमि और अन्य सरकारी संपत्तियां भी इसी वक्फनामा में शामिल हैं.
तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट
तीन सदस्यीय टीम (एसडीएम, सीओ और नगर पालिका ईओ) द्वारा किए गए परीक्षण में पाया गया कि वक्फनामे के दस्तावेज प्रथम दृष्टया फर्जी हैं. डीएम ने कहा कि वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और दोषियों पर एफआईआर दर्ज होगी.
सदर कोतवाली भी वक्फ संपत्ति में दर्ज
एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि सदर कोतवाली, जो 1905 में बनी थी, उसे भी वक्फ संपत्ति के तहत दर्ज किया गया है. वक्फ संपत्ति से संबंधित सभी दस्तावेजों की जांच की जाएगी और 1995 के वक्फ अधिनियम के सेक्शन 56 के तहत उल्लंघन के मामलों पर कार्रवाई की जाएगी.
फर्जी दस्तावेज और मुकदमे की तैयारी
डीएम और एसपी ने कहा कि अनरजिस्टर्ड वक्फनामा और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर संपत्ति का दावा करना गैरकानूनी है. फिलहाल अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा और जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी.
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