Baghpat News: लाक्षागृह का नाम सुनते ही हर किसी के मन में महाभारत काल की बातें ताजा हो जाती है. पांडवों को जिंदा जलाकर मारने की साजिश भी जुबां पर आ जाती है.
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Baghpat News/कुलदीप चौहान: बागपत जिला ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. कौरवों ने पांडवों के लिए लाख का महल बनवाया था, जिसमें उनको जलाने की साजिश थी. पांडव सुरंग के जरिए वहां से निकल गए थे. वह सुरंग आज भी बागपत में मौजूद है. यहां पर एएसआई सर्वेक्षण में ऐसे बहुत से सबूत मिले हैं कि इनका संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जा रहा है.
महाभारत से जुड़े कई सुबूत
बागपत जिला ऐतिहासिक दृस्टि से अहम माना जाता है और इस जिले का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. यहां पर वह लाक्षागृह भी मौजूद है. यहां लाख से बनी वह सुरंग रूपी जगह है जहां पर कौरवों ने पांडवों कों जिंदा जलाने के लिए बनवाया था. वह सुरंग आज भी मौजूद है.इस सुरंग से पांडव बाहर निकले थे. एएसआई की टीम को खुदाई के दौरान महाभारत से जुड़े कई सुबूत भी मिल चुके हैं.
पर्यटन स्थल घोषित
भारत सरकार ने उस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किया हुआ है. इतना ही सिनोली गांव के जंगलों में खुदाई की तो वहां से महाभारत काल से जुड़े सुबूत मिले.इनमें रथ, तलवारें, मृदभांड ओर मानव कंकाल मिले थे. एक बार फिर एएसआई महाभारत काल की खोज में बागपत के तिलवाडा पहुंची ओर 11 दिसंबर से खुदाई की. इस खुदाई में अभी तक उस काल से जुड़े बर्तन मिले हैं.
प्राचीन स्थल और स्मारक
महाभारत में वर्णित कथाओं के अनुसार, बागपत क्षेत्र में पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध हुआ था. इस क्षेत्र में कई प्राचीन स्थल और स्मारक हैं जो इसके ऐतिहासिक महत्व को प्रमाणित करते हैं. यहां पर वह जगह भी जहां पर कौरवों ने पांडवों को जलाने के लिए लाक्षागृह बनवाया था. इससे बचने के लिए पांडवों ने एक सुरंग का सहारा लिया था.वह सुरंग आज भी लाक्षागृह में मौजूद है, जो महाभारत कालीन होने की गवाही दे रही है.
पांच हजार साल पुराना इतिहास
लाक्षागृह के पांच हजार साल पुराने इतिहास का पता करने के लिए 15 साल पहले भी सर्वेक्षण हुआ था. यहां से महाभारत कालीन अवशेष और बड़ी ईंटों की दीवारें भी मिल चुकी हैं जिसके बाद इसे संरक्षित कर दिया गया.
बागपत जिले में कई प्राचीन मंदिर, मस्जिद, और अन्य ऐतिहासिक स्थल हैं जो इसकी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत को दर्शाते हैं. यह जिला अपनी प्राचीनता, ऐतिहासिक महत्व, और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है. दिल्ली से लाक्षागृह की दूरी 75 किलोमीटर है. जाने में 2 घंटे का समय लगता है.