UP Electricity Strike: यूपी में सर्दियों में गहराएगा बिजली संकट! निजीकरण के खिलाफ विद्युतकर्मियों का बेमियादी हड़ताल का ऐलान
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UP Electricity Strike: यूपी में सर्दियों में गहराएगा बिजली संकट! निजीकरण के खिलाफ विद्युतकर्मियों का बेमियादी हड़ताल का ऐलान

Bijli Vibhag Strike: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भीषण बिजली संकट का खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है. क्योंकि बिजली विभाग के कर्मचारियों के द्वारा आगामी 6 दिसंबर से बेमियादी हड़ताल का ऐलान कर दिया है. पढ़िए पूरी खबर ... 

UP Electricity Strike

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भीषण बिजली संकट का खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है. क्योंकि बिजली विभाग के कर्मचारियों के द्वारा आगामी 6 दिसंबर से बेमियादी हड़ताल का ऐलान कर दिया है. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने राज्य सरकार के बिजली वितरण प्रणाली के निजीकरण के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कर्मचारियों का कहना है कि निजीकरण के कारण आम जनता को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, जबकि सरकार इसे सुधारने का एकमात्र तरीका मान रही है. 

निजीकरण के खिलाफ विरोध
बिजली कर्मचारियों की संयुक्त संघर्ष समिति ने 6 दिसंबर से बेमियादी हड़ताल की घोषणा की है. यह हड़ताल विभाग के निजीकरण को लेकर की जा रही है. आपको बता दें कि 2022 में बिजली कर्मचारियों के द्वारा बिजली उत्पादन इकाइयों के निजीकरण के खिलाफ हड़ताल की थी. जिससे प्रदेश में भारी संकट पैदा हो गया था. जिसके बाद इसी साल मार्च में हुई चार दिन की हड़ताल ने राज्य सरकार को बैकफुट पर ला दिया था.

अधिकारियों को अलर्ट किया गया
यूपी सरकार ने वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी जिलों के डीएम, कमिश्नर और पुलिस कप्तानों को अलर्ट कर दिया है. शासन ने उन्हें हड़ताल की स्थिति से उत्पन्न होने वाली समस्याओं का पहले से समाधान करने के निर्देश दिए हैं. इसके तहत आवश्यक कर्मचारियों की पहचान और तैनाती सुनिश्चित करने को कहा गया है. इसके अलावा, अस्पतालों, जल आपूर्ति प्रणालियों और सरकारी दफ्तरों जैसी संवेदनशील जगहों पर वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की व्यवस्था करने के आदेश दिए गए हैं.

क्यों कर रहे हैं विरोध 
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के निजीकरण चर्चा तेज हो गई है. यह चर्चा निगम का लगातार घाटे में होने की वजह से हो रही है. इस समस्या से निपटने के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल अपनाए जाने का फैसला लिया गया है. हाल ही में इस पर अधिकारियों की बैठक में सहमति भी बन चुकी है. हालांकि, इस कदम के खिलाफ विरोध भी देखा जा रहा है. 

एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये का घाटा
वर्तमान में प्रदेश की बिजली कंपनियों पर करीब एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये का घाटा बताया जा रहा है. जबकि पावर कॉरपोरेशन यह भी मानता है कि राज्य के उपभोक्ताओं पर लगभग एक लाख 15,825 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है. गौरतलब है कि अगर पावर कॉरपोरेशन को यह बकाए पैसे मिल जाते हैं तो इस निजीकरण की प्रक्रिया को रोका जा सकता है. 

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