Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारी बिल्कुल आखिरी चरण में है, ज्यादातर तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. मान्यता है कि कुंभ में कल्पवास करने वालों के मोक्ष का द्वार खुल जाता है. आइये आपको बताते हैं महाकुंभ 2025 में कल्पवास कब से शुरू हो रहा है और कब खत्म होगा. साथ ही ये भी जानिये सनातन धर्म में कल्पवास का क्या महत्व है.
Trending Photos
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में माघ मेले की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ इस महाकुंभ का शुभारंभ होगा. संगम की रेती पर हर साल की तरह लाखों भक्त कल्पवास का संकल्प लेकर एक महीने तक यहां रहेंगे, जो एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव होता है.
कल्पवास का महत्व और अवधि
कल्पवास सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण साधना है, जिसमें भक्त पवित्र नदियों के तट पर एक महीने तक संयमित जीवन जीते हैं. इसका उद्देश्य आत्मशुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति है. इस दौरान भक्त संगम के तट पर एक सादा और संतुलित जीवन बिताते हैं, जो उनके मानसिक और शारीरिक कायाकल्प में सहायक माना जाता है.
इस बार कल्पवास करने वाले भक्त पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक 30 दिन का साधना काल बिताएंगे यानी कल्पवास 13 जनवरी से 12 फरवरी तक रहेगा. कुछ भक्त मकर संक्रांति से शुरुआत कर 40 दिनों तक यहां ठहरेंगे. इस दौरान उनकी दिनचर्या अनुशासन और संयमित होती है. कल्पवासी रोज सूरज उगने से पहले गंगा में स्नान कर दिन की शुरुआत करते हैं और बाकी दिन पूजा-पाठ, सत्संग और कथा में बिताते हैं.
ये भी पढ़ें: महाकुंभ में चलते-फिरते अस्पताल में होगा मरीजों का इलाज, 12 मिनट में तैयार हो जाएगा 'भीष्म'
कल्पवासियों के लिए विशेष सुविधाएं
माघ मेले के लिए संगम की रेती पर दो महीनों के लिए एक अद्भुत टेंट सिटी बसाई जाती है. यहां हज़ारों तंबू लगाए जाते हैं, जहां रहने वाले भक्त एक तरह से एक नए शहर में रहते हैं. यहां हर वो सुविधा दी जाती है जो किसी भी शहर में होती है, ताकि भक्तों को किसी चीज़ की कमी न हो. टेंट सिटी में न्यूज़पेपर, दूध, नाश्ता, और अन्य जरूरी सामानों की दुकानें लगाई जाती हैं. सुरक्षा की दृष्टि से हर सेक्टर में एक पुलिस चौकी और दिनभर गश्त करने वाला पुलिस दल भी होता है ताकि भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
वृद्धों के लिए विशेष व्यवस्था
कल्पवास में अधिकतर लोग वृद्धावस्था में होते हैं, जो यहां आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की कामना से आते हैं. इनके लिए प्रशासन विशेष सुविधाएं और देखभाल की व्यवस्था करता है ताकि वे आसानी से कल्पवास का पालन कर सकें और उनकी जरूरतें पूरी हो सकें.
सदियों पुरानी परंपरा
संगम में कल्पवास की परंपरा सदियों पुरानी है, जो माघ मेले में आस्था का मुख्य आकर्षण है. यह पर्व न केवल भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है बल्कि उनके जीवन को एक नई दिशा भी देता है. संगम पर एक महीने का यह प्रवास भक्तों को सच्चे सन्यास आश्रम का अनुभव कराता है. हर दिन का एक नियम और अनुशासन होता है, जो उन्हें एक आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाता है.
Disclaimer: दी गई जानकारी पंचांग और ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है. ZEE UP/UK इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता.
ये भी देखें: महाकुंभ में मुसलमानों पर लगा बैन तो बदला लेंगे, सपा सांसद ने क्यों दी हिन्दू संगठनों को धमकी