Atal Bihari Vajpayee : अटलजी ने कानपुर से सीखा राजनीति का ककहरा... लखनऊ से 5 बार सांसद रहे पर कानपुर हमेशा उनकी जुबान पर रहा
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Atal Bihari Vajpayee : अटलजी ने कानपुर से सीखा राजनीति का ककहरा... लखनऊ से 5 बार सांसद रहे पर कानपुर हमेशा उनकी जुबान पर रहा

अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी: अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee Jayanti) की का प्रारंभिक जीवन कैसा था, उनका राजनैतिक करियर कैसा था, कानपुर का उनके जीवन में क्या स्थान था आइए इस बारे में विस्तार से जानें.

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Atalji Birth Anniversary: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बुधवार को 100वीं जयंती है. मध्य प्रदेश में जन्म और लखनऊ को कर्मभूमि बनाने के बावजूद कानपुर कभी भी अटल की यादों से भुलाया नहीं गया. कानपुर ही वो जगह थी जहां से अटल ने राजनीति का ककहरा सीखा. कानपुर का डीएवी कॉलेज, जहां से उन्होंने राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की और फिर छात्र राजनीति में कदम रखा.

अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवनकाल 
भारत का राजनैतिक इतिहास जब लिखा जाएगा तब अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 25 दिसंबर को जयंती मनाई जाती है. पूर्व दिग्गज भारतीय राजनीतिज्ञ अटल बिहारी वाजपेयी 16 मई 1996 से 1 जून 1996 तक केवल 15 दिन के लिए और फिर 1996 में 13 दिन के लिए भारत के 10वें प्रधानमंत्री बनाए गए. इसके बाद उनका प्रधानमंत्री के रूप में दूसरा कार्यकाल 1998 से 1999 तक चला, इस तरह यह कार्यकाल 13 महीने का रहा था. इसके बाद साल 1999 से लेकर 2004 तक प्रधानमंत्री के रूप में पूर्ण कार्यकाल के लिए अटल बिहारी बाजपेयी ने देश की कमान अपने हाथों में ली. आइए अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर उनके जीवनकाल पर एक नजर डालते हैं. 

वाजपेयी जी का जन्म
अटल बिहारी वाजपेयी दी साल 1924 के 25 दिसंबर को एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में जन्में. उनकी माता कृष्णा देवी और पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी थे. पिता एक स्कूल शिक्षक थे. ग्वालियर के सरस्वती शिशु मंदिर में वाजपेयी ने अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा पूरी की. एंग्लो-वर्नाकुलर मिडिल (एवीएम) स्कूल में उन्होंने 1934 में उज्जैन जिले के बड़नगर में उन्होंने आगे की पढ़ाई की. ग्वालियर में विक्टोरिया कॉलेज जोकि अब महारानी लक्ष्मी बाई सरकारी कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस हो चुका है, यहां से उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत में बीए किया. 

एक अनुभवी सांसद 
वाजपेयी जी की पहचान एक अनुभवी सांसद के रूप में हुआ करती थी. इसके पीछे का कारण ये था कि वाजपेयी जी ने 9 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. भारत की स्वतंत्रता के बाद की घरेलू से लेकरविदेश नीतियों में अटल जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. अपने छात्र जीवन में यानी 1942 के उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया. राजनीति विज्ञान के छात्र के तौर पर वाजपेयी जी की विदेशी मामलों में काफी रुचि रही. इस रुचि का प्रदर्शन तब हुआ जब उन्होंने अलग अलग  द्विपक्षीय व बहुपक्षीय मंचों पर उन्होंने भारत का आगे बढ़कर प्रतिनिधित्व किया. 

कानपुर से गहरा नाता 
अटल जी के जीवन में कानपुर के डीएवी कॉलेज का बड़ा योगदान रहा क्योंकि इस कॉलेज से उन्होंने राजनीति विज्ञान में एमए की पढ़ाई पूरी की. उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज में साल 1945 में दाखिला लिया था. इसके बाद से उनके जीवन में कानपुर ने कैसे बदलाव किए ये इसी से पता लगता है कि डीएवी कॉलेज में पढ़ाई करते हुए ही छात्र राजनीति में उन्होंने कदम रखा. वाजपेयी जी डीएवी कॉलेज के हॉस्टल में रहा करते थे और शाम के समय गंगा किनारेदोस्तों की मंडली लगती थी जहां वोवीर रस और शृंगार रस की कविताएं सुनाया करते. दोस्तों की मंडली देश भक्ति की पंक्तियों से खुशनुमा हो जाती थी. 

राजनैतिक करियर
एक छात्र के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी पहले ही 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया. 
1939 में उन्होंने एक स्वयंसेवक के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का हिस्सा बने.
साल 1942 तक एक सक्रिय सदस्य के रूप में वे आरएसएस के सदस्य बने रहे. 
साल 1951 में आरएसएस ने तत्कालीन नवगठित हिंदू दक्षिणपंथी राजनीतिक पार्टी यानी भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय सचिव के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी को चुना. 
वाजपेयी ने 1957 के भारतीय आम चुनाव में कदम रखते हुए लोकसभा का चुनाव लड़ा.
साल 1968 में दीनदयाल उपाध्याय की जब मृत्यु हुई तो वाजपेयी जी को भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. 
भारतीय जनसंघ समेत कई दलों के गठबंधन ने 1977 के आम चुनावों में जनता पार्टी बनाई, इस पार्टी ने आम चुनावों में जीत भी हासिल कर ली. 
वहीं, साल 1980 में भारतीय जनसंघ ने आज की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का निर्माण किया जिसके अध्यक्ष भी वाजपेयी जी को बनाया गया. 

अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी विशेष बातें
भारत छोड़ो आंदोलन के समय 24 दिनों के लिए वाजपेयी और उनके बड़े भाई को गिरफ्तार किया गया. 
साल 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में उन्होंने हिंदी में भाषण देकर सबको चौंका दिया था. 
तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू वाजपेयी भी अटल की के भाषण देने की कला के कायल थे. 
पुरस्कार और सम्मान की बात करें तो अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है. भारत रत्न (2015) दिया गया और पद्म विभूषण (1992) दिया गया. 
2009 में वाजपेयी को अटल बिहारी वाजपेयी जी को स्ट्रोक आया जिसके कारण उनकी बोलने की क्षमता प्रभावित हुई. 
साल 2018 में जून के महीने में उन्हें किडनी में संक्रमण की शिकायत होने पर दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था.
16 अगस्त 2018 को वाजपेयी का निधन हो गया. उन्होंने 93 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया.

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