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Budget Expectation 2023: मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट बुधवार को पेश करने जा रही है. पूरे देश की नजरें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर टिकी होंगी. ऐसे में देश के कारोबारियों को आने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैं कि सरकार उन्हें टैक्स में छूट देगी या नहीं. इसी के चलते देश के कारोबारी संगठन सरकार को मांग पत्र भेज रहे हैं. इसी क्रम में ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री ने भी सरकार को मांग पत्र भेजा है. आइए बताते हैं क्या हैं उनकी मांगें...
बजट से ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री की उम्मीदें
1) इंडस्ट्री की पहली मांग है कि डीजल और पेट्रोल को GST के दायरे में लाना चाहिए जो परिवहन व्यवसाय की बहुत समय से लंबित मांग है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत कम हुई है. इसलिए सरकार से उम्मीद की जा रही है कि आगामी बजट में डीजल और पेट्रोल की दरों में कमी लाए ताकि ट्रांसपोर्ट व्यवसाय एवं आम आदमी की मुश्किलें कम हों.
2) 2014 से पहले ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर TDS लागू नहीं था. लेकिन, 2015 बजट में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर टीडीएस लागू किया गया. तभी से आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने अनगिनित ज्ञापन दिए, इसे समाप्त करने के लिए वाजिब तर्क दिए गए, आंदोलन हुए और इसके लिए हमारे नितिन गडकरी ने भी कई बार इसे हटाने के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री को पत्र लिखा, पर सरकार ने अभी तक इसे नहीं हटाया. उम्मीद है कि आगामी बजट में IT अधिनियम की धारा 194 ,C एवं 194 N, को समाप्त कर ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से टीडीएस उन्मूलन किया जाएगा. इस समय यह व्यावहारिक नहीं है और निरर्थक है अपितु ट्रांसपोर्ट व्यवसाय अतिरिक्त भार बन गया है.
2) इंडस्ट्री को IT अधिनियम की धारा 44 AE में व्यावहारिक सुधार की अपेक्षा है. इसके प्रावधानों के चलते छोटे ट्रांसपोर्ट व्यवसायी काफी त्रस्त हैं. इसके बारे में काफी विस्तृत चर्चा हुई है और सरकार ने माना था कि इसके प्रावधान तर्कसंगत नहीं हैं और इसको ठीक किया जाएगा. लेकिन अभी तक इसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई. हमें उम्मीद है कि इसे भी तर्कसंगत बनाया जाएगा.
3) टायर ट्रांसपोर्ट व्यवसाय का एक अहम खर्चा है. देश में टायर कंपनियों ने कार्टेल बना लिया और उपभोगताओं को लूटा जा रहा है. व्यवसाय की मांग है कि टायरों के निर्यात पर नियंत्रण एवं एन्टी डंपिंग ड्यूटी हटनी चाहिए ताकि निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा कायम हो सके और ट्रांसपोर्ट लागत में कमी लाई जा सके.
4) टोल मार्गों के रख-रखाव के लिए टोल दर को नियमानुसार 40% पर लाने और टोल कलेक्शन पद्धिति में सार्थक बदलाव की जरूरत है. NHAI के विभिन्न टोल मार्गों के संबंध में जहां बी.ओ.टी (BOT) सड़कों का कार्यकाल पूरा होने और पब्लिक फंडेड (PPP) सड़कों पर 100% पूंजी वसूली जा चुकी है, वहां टोल 40% के बजाय 100% एकत्र किया जा रहा है. इस तरह की कई टोल सड़कें हैं जहां या तो (BOT) सड़कों का कार्यकाल पूरा हो गया है और पब्लिक फंडेड (PPP) सड़कों पर 100% पूंजी वसूली जा चुकी है या कई सड़क मार्गों को रख रखाव के लिए OMT और TOT नियमों के तहत अनुबंधित किया गया है. व्यवसाय की मांग है कि देशभर में सभी टोल मार्गों का अध्ययन कर उन मार्गों को चिन्हित करना चाहिए जहां टोल की दर 40% पर लानी चाहिए और गरीब सड़क उपयोगकर्ताओं लाभ प्रदान करना चाहिए.
5) BS VI गाड़ियों की कीमत और उनका रख रखाव काफी महंगा है. व्यवसाय की मांग है कि BS VI गाड़ियों पर, एड ब्लू, लुब्रिकेंट्स, स्पेयर पार्ट्स, इन्योरेंस आदि पर GST एवं अन्य कराधान कम होने चाहिए.
6) व्यवसाय की मांग है कि स्क्रेपिंग पालिसी जो पिछले बजट में रखी गई थी उसे व्यावहारिक बनाया जाए और वाहन स्वामियों के लिए उत्प्रेरक योजनाएं लाई जाएं. साथ ही BS VI गाड़ियों जो अतिआधुनिक हैं, इनकी आयु 15 साल से बढ़ाकर 25 साल करनी चाहिए.