Teesta ।।। hydropower project: बीजेपी और कांग्रेस सियासत में हैं धुर विरोधी, लेकिन इस मुद्दे पर आए साथ
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Teesta ।।। hydropower project: बीजेपी और कांग्रेस सियासत में हैं धुर विरोधी, लेकिन इस मुद्दे पर आए साथ

क्‍या बीजेपी के किसी प्रस्‍ताव पर कांग्रेस का समर्थन मिल सकता है? लुटियंस दिल्‍ली की सियासत में मौजूदा दौर को देखते हुए ये सवाल दूर की कौड़ी लगता है 

Teesta ।।। hydropower project: बीजेपी और कांग्रेस सियासत में हैं धुर विरोधी, लेकिन इस मुद्दे पर आए साथ

क्‍या बीजेपी के किसी प्रस्‍ताव पर कांग्रेस का समर्थन मिल सकता है? लुटियंस दिल्‍ली की सियासत में मौजूदा दौर को देखते हुए ये सवाल दूर की कौड़ी लगता है लेकिन राष्‍ट्रीय राजधानी से सैकड़ों किमी दूर नॉर्थ-ईस्‍ट में कुछ अलग ही माहौल देखने को मिला. पूर्वोत्‍तर राज्‍य सिक्किम में एक हाइड्रोकार्बन प्रोजेक्‍ट के मसले पर बीजेपी को कांग्रेस का साथ मिला है. सिक्किम बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष डीआर थापा ने तीस्‍ता-।।। हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्‍ट को सेंट्रल पैनल की मंजूरी का विरोध किया है. इस प्रोजेक्‍ट के तहत तीस्‍ता नदी पर बांध बनाए जाने को लेकर केंद्र के पैनल ने मंजूरी दी है. इसका विरोध करते हुए डीआर थापा ने मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और इस मसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया. अपनी बात के समर्थन में इस महीने के आखिर में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से सिक्किम बीजेपी के पदाधिकारी मुलाकात भी करने वाले हैं. 

अब बीजेपी के सुर में कांग्रेस ने भी सुर मिलाए हैं. कांग्रेस ने भी बांध की मंजूरी का विरोध करते हुए कहा है कि बिना सोचे-समझे इस प्रोजेक्‍ट को मंजूरी दी जा रही है. कांग्रेस नेता और पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्‍स पर पोस्‍ट करते हुए कहा कि इसके बनने से बांध स्‍थल पर डिजास्‍टर का खतरा पहले की तरह बना रहेगा और निचले इलाकों के जनजीवन पर विपरीत और विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा. 

उन्होंने पिछले साल अगस्त में दिए गए कांग्रेस के एक बयान को भी साझा किया जिसमें विपक्षी दल ने सरकार पर निशाना साधा था और कहा था कि पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में जलविद्युत परियोजनाएं उनके पर्यावरणीय प्रभाव पर पर्याप्त विचार किए बिना पिछले कुछ वर्षों से अमल में लाई जा रही हैं.

कांग्रेस ने यह भी कहा था कि तीस्ता नदी पर बांध इस बात का प्रमुख उदाहरण है कि कैसे पारिस्थितिकी को मौलिक रूप से बदला जा रहा है, जिसके आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर परिणाम होंगे.

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क्‍यों हो रहा विरोध?
3-4 अक्‍टूबर, 2023 की आधी रात को दक्षिण ल्‍होनक झील का प्राकृतिक हिमोढ़ बांध ढहे हुए ग्‍लेशियर के मलबे से टूट गया था. ग्‍लेशियर झील के फटने से आई बाढ़ (जीएलओएफ) ने भारी तबाही मचाई. 40-50 लोग मारे गए और 1200 मेगावाट की तीस्‍ता-।।। हाइड्रोपावर प्रोजेक्‍ट का 60 मी ऊंचा रॉकफिल कंक्रीट बांध बह गया था. हजारों लोगों को विस्‍थापन का दंश झेलना पड़ा. अभी भी स्थिति पूरी तरह सामान्‍य नहीं हुई है. 

इन्‍हीं वजहों के मद्देनजर बीजेपी की सिक्किम इकाई नए प्रोजेक्‍ट का विरोध कर रही है. थापा ने 2 फरवरी को पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा कि पहले सुरक्षा चिंताओं का समाधान होना जरूरी है उसके बाद ही किसी नए प्रोजेक्‍ट पर विचार किया जाना चाहिए. उन्‍होंने पत्र में लिखा कि इस क्षेत्र की सभी हाइड्रोवर प्रोजेक्‍ट के वैज्ञानिक पुनर्मूल्‍यांकन की जरूरत है. उन्‍होंने कहा कि पिछले सारे आकलन खराब थे इसलिए ही पुराना बांध बहा था. नए सिरे से पहले सुरक्षा दृष्टिकोण को देखते हुए पूरी तरह से वैज्ञानिक आधार पर आकलन होना चाहिए तभी इस दिशा में आगे बढ़ना सही होगा. 

थापा ने पत्र में लिखा कि सिक्किम पारिस्थिकीय दृष्टि से संवेदनशील हिमालयी राज्‍य है. लिहाजा जलवायु डाटा, जीएफओएफ जोखिम समेत सभी चुनौतियों को देखते हुए पहले ठोस वैज्ञानिक ढंग से पड़ने वाले व्‍यापक पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन किया जाए. पूरी तरह से सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद ही बांध निर्माण की दिशा में आगे बढ़ा जाए.

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