Population Control Bill: जनसंख्या नियंत्रण पर सुनवाई के पक्ष में नहीं SC, कहा- इस पर फैसला लेना सरकार का काम
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Population Control Bill: जनसंख्या नियंत्रण पर सुनवाई के पक्ष में नहीं SC, कहा- इस पर फैसला लेना सरकार का काम

Population Control: लंबे समय से देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग उठ रही है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस पर फैसला लेना सरकार का काम है.

Population Control Bill: जनसंख्या नियंत्रण पर सुनवाई के पक्ष में नहीं SC, कहा- इस पर फैसला लेना सरकार का काम

SC on Population Control: सुप्रीम कोर्ट ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रभावी कानून लाए जाने की मांग पर सुनवाई को लेकर अनिच्छा जाहिर की है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय से कहा है कि ये नीतिगत मसला है, जिस पर सरकार ही फैसला ले सकती है. कोर्ट अपनी ओर से इसे लागू करने का निर्देश नहीं दे सकता है.

सरकार ही ले सकती है फैसला

चीफ जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि हम इस मामले पर सुनवाई बंद करने जा रहे है. हर समाज में कोई न कोई दिक्कत होती है. कोई ऐसा समाज नहीं, जहां कोई दिक्कत न हो. ये सब नीतिगत मसला है, जिस पर सरकार ही कोई फैसला ले सकती है.

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की दलील

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री लालकिले से भाषण में जनसंख्या नियंत्रण की जरूरत बता चुके हैं. वेंकटचलैया आयोग ने भी जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाए जाने की सिफारिश की थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसी बहुत सी बातें है, जो आदर्श रूप में चाहिए. लेकिन सवाल ये है कि क्या कोर्ट उन्हें अपनी ओर से लागू करने का निर्देश दे सकता है.

अभी राज्यों को नोटिस नहीं

कोर्ट ने याचिका की कॉपी राज्यों को देने की याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की मांग को ठुकरा दिया. चीफ जस्टिस ने कहा, 'हम अभी राज्यों को कोई नोटिस नहीं जारी कर रहे. पहले आप दलीलों के जरिए हमें संतुष्ट कीजिए. इसके बाद कोर्ट ने ये मामला सुनवाई के लिए 11 अक्टूबर के लिए लगा दिया.

कोर्ट में लंबित याचिकाएं

अश्विनी उपाध्याय के अलावा धर्म गुरु देवकी नंदन ठाकुर, स्वामी जितेन्द्रनाथ सरस्वती और मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिविर्सिटी , हैदराबाद के पूर्व वाइस चांसलर फिरोज बख्त अहमद ने जनंसख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिकाओं में कहा गया है कि बढ़ती जनसंख्या के कारण सरकार सभी को रोजगार, भोजन, आवास जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पा रही है.

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