JP Nadda and RSS: सुनील आंबेकर से लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की ओर से दिये गए उस बयान के बारे में पूछा गया जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी उस दौर से काफी आगे निकल चुकी है, जब उसे आरएसएस की जरूरत थी और अब वह अपना काम खुद संभालने में सक्षम है.
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RSS 100 Years: क्या भाजपा सहित संघ-प्रेरित अन्य संगठनों के बीच समन्वय की कमी है? केरल के पलक्कड़ में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय समन्वय बैठक के समापन के बाद आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सोमवार को इसका जवाब दिया. उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘2025 में आरएसएस 100वीं वर्षगांठ पूरी करने जा रहा है. इसलिए यह एक लंबी यात्रा है.’’ इस यात्रा में एक चीज जो निरंतर बनी रही, वह है ‘राष्ट्र प्रथम’ के प्रति प्रतिबद्धता. उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारा दृष्टिकोण रहा है और प्रत्येक स्वयंसेवक ने इसमें विश्वास किया है.’’
आंबेकर ने कहा कि एक लंबी यात्रा में कामकाज से संबंधित मामले अनिवार्य रूप से सामने आते हैं लेकिन संगठन के पास इन मुद्दों को हल करने के लिए एक तंत्र है.
आंबेकर से लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की ओर से दिये गए उस बयान के बारे में भी पूछा गया जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी उस दौर से काफी आगे निकल चुकी है, जब उसे आरएसएस की जरूरत थी और अब वह अपना काम खुद संभालने में सक्षम है. इसके जवाब में आंबेकर ने कहा, ‘‘अन्य मुद्दों का समाधान किया जायेगा. यह पारिवारिक मामला है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या परिवार में सब कुछ ठीक है, उन्होंने जवाब दिया, ‘‘बिल्कुल.’’
जातिगत जनगणना की बात
इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा कि उसे विशेष समुदायों या जातियों के आंकड़े एकत्र करने पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते इस जानकारी का उपयोग उनके कल्याण के लिए हो, ना कि चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक औजार के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाए. सुनील आंबेकर ने कहा कि जाति और जाति-संबंध हिंदू समाज के लिए एक ‘बहुत संवेदनशील मुद्दा’ है और यह ‘हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता’ के लिए भी अहम है.
आंबेकर ने कहा, ‘‘इसलिए, जैसा कि आरएसएस का मानना है, हां, निश्चित रूप से सभी कल्याणकारी गतिविधियों के लिए, पिछड़ रहे विशेष समुदाय या जाति से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिये, क्योंकि कुछ समुदायों और जातियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. इसलिए, इसके वास्ते सरकार को आंकड़ों की आवश्यकता है. यह कवायद बहुत अच्छे तरीके से की जाती है. इसलिए, सरकार आंकड़े एकत्र करती है. पहले भी उसने आंकड़े एकत्र किये हैं. इसलिए, वह ले सकती है. कोई समस्या नहीं है.’’
आंबेकर ने कहा, ‘‘लेकिन यह केवल उन समुदायों और जातियों के कल्याण के लिए होना चाहिए. इसे चुनाव प्रचार के लिए एक राजनीतिक औजार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. इसलिए हमने सभी के लिए एक लक्ष्मण रेखा तय की है.’’
आंबेकर का बयान विपक्षी दलों (कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों) द्वारा प्रभावी नीति निर्माण के लिए जाति आधारित जनगणना कराने की मांग को लेकर अभियान चलाने के बीच आया है.
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महिलाओं के लिए त्वरित न्याय की मांग
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की राष्ट्रीय समन्वय बैठक में पश्चिम बंगाल में एक महिला चिकित्सक से कथित दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना की निंदा करते हुए कहा गया कि अत्याचार की शिकार महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए कानूनों और दंडात्मक कार्रवाइयों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है.
आंबेकर ने कहा, ‘‘उनका (बैठक में मौजूद रहे लोगों का) मानना है कि इन सभी पर दोबारा विचार करने की जरूरत है ताकि हमारे पास उचित प्रक्रिया, फास्ट-ट्रैक प्रक्रियाएं उपलब्ध हों और हम पीड़ित के लिए न्याय सुनिश्चित कर सकें.’’
उन्होंने कहा कि बैठक में निष्कर्ष निकला है कि इस मुद्दे को पांच मोर्चों पर हल किया जा सकता है - कानूनी, सार्वजनिक जागरूकता, पारिवारिक मूल्य (संस्कार), शिक्षा और आत्मरक्षा - आत्मरक्षा कौशल.
आंबेकर ने कहा, ‘‘इस तरह का प्रशिक्षण (आत्मरक्षा कौशल) स्कूल और कॉलेज स्तर के साथ-साथ कामकाजी महिलाओं के लिए भी आवश्यक है.’’
(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)
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