राजस्थान में नागौर के मेड़ता ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय गोटन की एक अध्यापिका पर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के अध्यक्ष और अखिल भारतीय एक्टिविस्ट मंच एवं लीगल एमबिट के सह संस्थापक राव धनवीर सिंह ने फर्जी तरीके से लाखों रुपये का एचआरए उठाने का आरोप लगाया है.
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Merta, Nagaur News: मेड़ता ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय गोटन की एक अध्यापिका पर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के अध्यक्ष और अखिल भारतीय एक्टिविस्ट मंच एवं लीगल एमबिट के सह संस्थापक राव धनवीर सिंह ने फर्जी तरीके से लाखों रुपये का एचआरए उठाने का आरोप लगाया है.
साथ ही चिकित्सा अवकाश के प्रमाणपत्रों में भारी विरोधाभास की शिकायत शिक्षा निदेशक सहित विभाग के अधिकारियों को कर एचआरए की राशि वसूलने तथा अध्यापिका पर नियमानुसार कार्रवाई की मांग की है.
वहीं, शिकायत की जांच कर रहे अधिकारी द्वारा एचआरए राशि में गबन की बात को निराधार बताया है. इस संबंध में मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कुछ भी कहने से बचते रहे. आलम यह रहा कि प्रातः 11:30 बजे तक कार्यालय कार्यालय में केवल पांच कर्मचारी उपस्थित थे.
जानिए पूरा मामला
मेड़ता उपखंड के गोटन की राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत अध्यापिका संतोष टाक पर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के अध्यक्ष और अखिल भारतीय एक्टिविस्ट मंच एवं लीगल एमबिट के सह संस्थापक राव धनवीर सिंह ने फर्जी तरीके से लाखों रुपये का एचआरए उठाने एवं चिकित्सा अवकाश का फर्जी तरीके से लाभ उठाने का आरोप लगाते हुए शिक्षा विभाग से लाखों रुपए के गबन की वसूली करने की मांग की है.
अपडाउन कर रही अध्यापिका
आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया कि अध्यापिका प्रतिदिन जोधपुर से गोटन अप डाउन कर रही है, जिसका प्रमाण सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना में विभागीय अधिकारियों द्वारा दिया गया. इसके उपरांत भी उक्त अध्यापिका द्वारा गत 20 वर्षों से एचआरए का लाभ लेकर विभाग को लाखों रुपये का चूना लगाया गया है. कार्यकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि शिक्षिका का पति चिकित्सा विभाग में कार्यरत है, जिसके चलते अध्यापिका द्वारा दिए गए रोग और आरोग्य प्रमाण पत्रों को जारी करने तथा अध्यापिका को कार्य ग्रहण कराने की तिथि में भारी विरोधाभास प्राप्त की गई सूचना में पाया गया है. उन्होंने कहा कि विभागीय स्तर पर यदि निष्पक्ष जांच नहीं की गई तो वह उच्च न्यायालय की शरण लेंगे.
क्या बोले प्रधानाचार्य सुखराम कड़वासरा
इस संबंध में शिकायत की जांच कर रहे प्रधानाचार्य सुखराम कड़वासरा ने बताया कि अध्यापिका द्वारा गोटन में ही किराए के मकान में निवास करने का प्रमाण पत्र मकान मालिक के जरिए प्रस्तुत किया गया है एवं चिकित्सा अवकाश की जांच की जा रही है.
खाली पड़ी थी कुर्सियां
इस संबंध में जानकारी लेने ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचे जी राजस्थान न्यूज़ के प्रतिनिधि ने पाया कि 11:30 बजे तक कार्यालय की कुर्सियां खाली पड़ी थी. उपस्थित कर्मचारी भी इधर-उधर मटरगश्ती करते दिखाई दिए ऐसे में मेड़ता मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारी स्वयं ही समय पर कार्यालय नहीं पहुंचते हैं तो वह अपने कर्मचारियों के आवागमन पर कैसे प्रतिबंध लगा पाएंगे.
Reporter- Hanuman Tanwar