ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के खेती-किसानी के कामों से मुक्त होने के बाद एक बार फिर से लोग महात्मा गांधी नरेगा योजना का रुख करने लगे हैं. गत मार्च और अप्रैल में फसल की कटाई और थ्रेसिंग का कार्य जोर पकड़ने से मनरेगा में श्रमिकों का टोटा हो गया था.
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Sangod: ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के खेती-किसानी के कामों से मुक्त होने के बाद एक बार फिर से लोग महात्मा गांधी नरेगा योजना का रुख करने लगे हैं. गत मार्च और अप्रैल में फसल की कटाई और थ्रेसिंग का कार्य जोर पकड़ने से मनरेगा में श्रमिकों का टोटा हो गया था.
श्रमिकों की कमी से हालात यह हो गए थे कि कई ग्राम पंचायतों में आधे से ज्यादा कार्य बंद करने पड़े. इन दिनों खेती-बाड़ी के काम बंद होने के बाद ग्रामीणों का फिर से मनरेगा योजना में मोह बढ़ने लगा है.
मई की शुरुआत से मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. वर्तमान में सांगोद पंचायत समिति क्षेत्र की 36 ग्राम पंचायतों में साढ़े उन्नीस हजार से ज्यादा लोग मनरेगा में काम कर रहे हैं. सूत्रों की माने तो कुछ दिनों बाद मानसून सक्रिय होने से मनरेगा के कच्चे कार्य थमने लगेंगे. ऐसे में मजदूर परिवार इस योजना के माध्यम से अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने की जुगत में लगे हैं, जिसके चलते मानसून के पूर्व अधिकाधिक लोग मनरेगा से जुड़कर रोजगार कर रहे है.
तेजी से चल रहे कार्य
डेढ़ माह पूर्व तक श्रमिकों की कम संख्या पर अधिकारियों को ग्राम पंचायतों में बार-बार श्रमिकों की संख्या बढ़ाने को लेकर कार्मिकों की बैठक लेकर कभी हिदायत तो कभी कार्रवाई की चेतावनी भी दी जा रही थी. पंचायत समिति क्षेत्र में डेढ़ माह पूर्व तक श्रमिकों की संख्या करीब 16 हजार के करीब थी, जो अब बढ़कर 19 के पार हो गई है. इन दिनों क्षेत्र की 36 ग्राम पंचायतों में 660 कार्यों पर 2601 मस्टरोल पर 19522 श्रमिक कार्य कर रहे हैं. इनमें सर्वाधिक 1071 श्रमिक बास्याहेड़ी ग्राम पंचायत में मनरेगा में काम कर रहे हैं.
मनरेगा में सांगोद पंचायत समिति क्षेत्र में इन दिनों सावनभादौं बांध का सुदृड़ीकरण और हरिश्चन्द्र सागर सिंचाई परियोजना की मुख्य नहर में चैन संख्या 730 से 790 तक रिसेक्शनिंग कार्य तेजी से चल रहा है. मानसून सक्रिय होने के बाद यह कार्य नहीं कराए जा सकते. ऐसे में इन कार्यों को प्राथमिकता से करवाया जा रहा है. साथ हीं, प्रधानमंत्री आवास निर्माण, तलाई खुदाई, चरागाह विकास, ग्रेवल सड़क निर्माण, खाळ व नाला गहराईकरण, पौधारोपण, चरागाह की खाई खुदाई आदि के जरिए श्रमिकों को रोजगार दिया जा रहा है.
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