शहीद पिता-पुत्र की अद्भुत शौर्यगाथा, 250 साल पहले गोरक्षा के लिये कटाया था सिर, अब लग रहा मेला
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शहीद पिता-पुत्र की अद्भुत शौर्यगाथा, 250 साल पहले गोरक्षा के लिये कटाया था सिर, अब लग रहा मेला

 जोधपुर जिले से मात्र 30 किलोमीटर दूर लूणी के ग्राम पंचायत लूणावास खारा में 250 वर्ष पहले गायों को बचाने के लिए पिता और पुत्र शहीद हो गए थे , उनके सम्मान में लूणावास खारा में हर अमावस्या पर विशाल मेला भरा जाता है ,

 

सम्मान में लूणावास खारा में हर अमावस्या पर विशाल मेला भरा जाता है.

लूणी: जोधपुर जिले से मात्र 30 किलोमीटर दूर लूणी के ग्राम पंचायत लूणावास खारा में 250 वर्ष पहले गायों को बचाने के लिए पिता और पुत्र शहीद हो गए थे , उनके सम्मान में लूणावास खारा में हर अमावस्या पर विशाल मेला भरा जाता है , आपको बता दें कि विक्रम संवत 1806 की वैशाख सुदी 7 के दिन पिता खरताराम और पुत्र करनाराम को लगा कि गायों को कोई हलाल करने की नियत से ले जा रहा है, तो पिता पुत्र ने अपहरणकर्ताओं को रोकने का प्रयास किया. जिससे उनके बीच लड़ाई शुरू हो गई.

दोनों पिता-पुत्र इस लड़ाई में घायल हो गए. हिम्मत नहीं हारी और उन अपहरणकर्ताओं से गायों को छुड़वाकर वापस गांव लेकर आए. पूर्ण रूप से पिता पुत्र को घायल होते देख अपहरणकर्ताओं ने तलवार से दोनों का सिर धड़ से अलग कर दिया. पर गायों की रक्षा करते करते उनमें अद्भुत शक्ति का संचार हुआ. सिर धड़ से अलग होने के बाद भी लड़ते रहे. उन्होंने अपहरणकर्ताओं को मार गिराया. उनसे गायों को मुक्त करवाया.

 वहीं,  पिता पुत्र की हालात को देखकर गांव वालों के मन में उनके प्रति श्रद्धा उमड़ पड़ी. गाय माता को बचाने के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले पिता-पुत्र को गांव के तालाब के किनारे समाधिस्थ किया गया. आज इस पवित्र स्थान पर ज्येष्ठ वदी अमावस्या को विशाल मेला भरा जाता है. वहीं, प्रत्येक माह की चौदहस को मंदिर प्रांगण में विशाल भजन संध्या का आयोजन किया जाता है. अमावस्या को दर्शन के लिए हजारों की संख्या में दूरदराज से भक्तगण आते हैं, वहीं, मंदिर के भोपाजी केसारामजी ने बताया कि आज से 250 वर्ष पहले गायों की रक्षा करने वाले पिता और पुत्र ने सिर धड़ से अलग होते हुए भी अपहरणकर्ताओं को मारकर गायों की रक्षा करते की और गायों को बचाने के लिए हिम्मत नहीं हारी और गांव में गायों को वापस लेकर आए. ठौं परिवार के कई युवा कार्यकर्ता इस संस्था से जुड़े हुए हैं.

 पिता पुत्र गायों को बचाने के लिए शहीद हुए तो उन्हें समाधिस्थ तो कर दिया, पर उन पवित्र आत्माओं की ओर किसी का ध्यान नहीं गया. तो उन आत्माओं ने अपने कुटुंबवालों को संकेत दिया तो कुटुबवालों ने समस्त ठौं परिवार ( राजस्थान एवं गुजरात ) को एकत्रित कर इस घटना की जानकारी दी. तो उसके बाद ठौं परिवार द्वारा समाधि स्थल पर एक भव्य निर्माण कर मूर्तियां स्थापित की गई.

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वर्तमान में समस्त ठौं परिवार उन्हें कुलदेव मानकर पूजा अर्चना करते हैं ओर हर अमावस्या को भोग चढ़ाने आते हैं. उनकी मनोकामना पूरी होती हैं. लूणावास खारा में आस्था का यह केंद्र गोरक्षा का जीवंत उदाहरण है. हर वर्ष की भांति इस बार भी अमावस्या को श्री झुंझार जी महाराज की बरसी धूमधाम से मनाई जाएगी. वहीं, विभिन्न जिलों व राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. वहीं, झुंझार जी मंदिर में जात देने व बच्चों के झाडोल उतारने के लिये आते हैं , श्री झुंझार जी महाराज सेवा संस्थान के ट्रस्ट अध्यक्ष मंगलाराम , उपाध्यक्ष छोगाराम , कोषाध्यक्ष केवलराम , सचिव हिम्मताराम सहित अनेक युवा कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं.

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