कश्मीरी नीलकंठ पक्षी तारों को देखकर, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, सूर्य की स्थिति और फिर दिमाग के नक्शे से अपना प्रवास करते हैं.
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Pokhran: वन्यजीव और पक्षी बाहुल्य लाठी क्षेत्र में प्रवासी पक्षी यूरोपियन रोलर नजर आए है. दक्षिण-पश्चिम यूरोप से करीब 10 हजार से अधिक किमी की यात्रा के बीच इस पक्षी ने लाठी क्षेत्र के धोलिया गांव के पास जंगल में डेरा डाला है. ये अफ्रीका के दक्षिणी भाग में शीत ऋतु में रहने जा रहे हैं.
पक्षी प्रेमी राधेश्याम विश्नोई ने इन पक्षियों को धोलिया गांव के पास बर्ड वाचिंग के दौरान देखा गया. उन्होंने बताया यह पक्षी यूरोप और एशिया से सर्दी के मौसम में अफ्रीका के दक्षिण इलाकों में जाते हैं. इसी यात्रा के दौरान ये रास्ते में भोजन के लिए रुकते हैं. अपनी इतनी लंबी यात्रा में ये अपना ठिकाना कैसे ढूंढ लेते हैं. यह आज भी जिज्ञासा का विषय है. हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि ये तारों को देखकर, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, सूर्य की स्थिति और फिर दिमाग के नक्शे से अपना प्रवास करते हैं. इसकी आवाज कुछ-कुछ कौवे जैसी होती है.
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कश्मीरी नीलकंठ के नाम से जानते है
साथ ही उन्होंने बताया कि इस प्रवासी पक्षी को हिंदी में कश्मीरी नीलकंठ के नाम से नाम से भी जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम कोरेसियस गेरूलस है. इसका प्रजनन क्षेत्र यूरोप और एशिया के कुछ भागों में है. इसलिए इसे इस नाम से भी पुकारा जाता है. साथ ही विश्नोई बताते हैं यह एक संकटग्रस्त प्रजाति है. इनकी संख्या शिकार करने, कीटनाशकों के प्रयोग और जंगलों की कमी के कारण कम हो रही है.
2 साल से लाठी क्षेत्र में आ रहे नजर
विश्नोई ने बताया यह प्रवासी पक्षी है, जिसे दो सालों से धोलिया और आसपास के क्षेत्र में देखा जा रहा है. इन पक्षियों का प्रवास लगभग नवंबर तक अफ्रीका में चलता रहेगा. ये वहां अप्रैल-मई तक रुककर दोबारा अपने प्रजनन क्षेत्रों की ओर लौट जाते हैं.
Reporter: Shankar Dan
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