पूनिया ने अपने दिल की बात ज़ी राजस्थान न्यूज के संपादक मनोज माथुर के सामने रखी. इस दौरान उन्होंने साल 2020 में प्रदेश में राज्य सरकार पर छाए अस्थिरता के बादलों के साथ ही ब्यूरोक्रेसी और नेताओं के रिश्ते पर भी अपनी बात रखी. वहीं मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की तबीयत और राजनीतिक बुखार का जिक्र भी पूनिया ने किया.
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Jaipur: बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया राजनीति में नई सोच के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं. पूनिया का कहना है कि वह व्यक्तिगत स्तर पर उनका मानना है कि 70 साल की उम्र में वे खुद युवा पीढ़ी को अवसर देने के लिए सक्रिय राजनीति से रिटायर हो जाएंगे. इसके साथ ही पूनिया यह भी कहते हैं कि प्रदेश बीजेपी में नई लीडरशिप तैयार करने की उनकी कोशिश हमेशा रहती है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि उनकी यह भी कोशिश रहेगी कि प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपने 50 फीसदी टिकट युवा चेहरों को दे.
टॉक जर्नलिस्ट कार्यक्रम में पूनिया ने की दिल की बात
पूनिया ने अपने दिल की बात ज़ी राजस्थान न्यूज के संपादक मनोज माथुर के सामने रखी और मौका था टॉक जर्नलिस्ट कार्यक्रम में हुए संवाद का. इस दौरान उन्होंने साल 2020 में प्रदेश में राज्य सरकार पर छाए अस्थिरता के बादलों के साथ ही ब्यूरोक्रेसी और नेताओं के रिश्ते पर भी अपनी बात रखी. वहीं मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की तबीयत और राजनीतिक बुखार का जिक्र भी पूनिया ने किया.
यूं तो टॉक जर्नलिज्म के दूसरे दिन के अंतिम सत्र में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष को एक साथ संवाद करना था, लेकिन बताया गया कि पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा को बुखार है, लिहाजा वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके. इसको लेकर भी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया चुटकी लेते हुए दिखे. उन्होंने कहा कि मंच के दूसरे साथी नहीं है और इसकी वजह बुखार को बताया जा रहा है. पूनिया ने कहा कि उनकी यह कामना है कि डोटासरा जी जल्द स्वस्थ हों, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि डोटासरा जी को कहीं राजनीतिक बुखार ना हो?
राजनीति में रिटायरमेंट की कोई उम्र नहीं होती- सतीश पूनिया
राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र पर भी पूनिया ने बेबाकी से अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि यूं तो राजनीति में रिटायरमेंट की कोई उम्र नहीं होती, लेकिन वह इतना जरूर चाहते हैं कि युवा पीढ़ी के लिए रास्ता बनाया जाए. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर उनका मानना है कि वह खुद 70 साल में सक्रिय राजनीति से रिटायर हो जाएंगे और युवा पीढ़ी को मौका देंगे, जिससे राजनीति में नए लोग आ सके.
पार्टी में नई लीडरशिप तैयार करने और युवाओं को आगे बढ़ाने की बात को लेकर पूनिया ने अपने दिल की बात सबके सामने रखी. उन्होंने कहा कि वह यह प्रयास करेंगे कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कम से कम 50 फीसदी टिकट ऐसे चेहरों को दिये जाएं जो राजनीति में युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाने वाले दिखें.
मुख्यमंत्री गहलोत और उनकी सरकार के कामकाज की तारीफ
इस परिचर्चा के दौरान सतीश पूनिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी सरकार के कामकाज की तारीफ तो की, लेकिन यह तारीफ भी सरकार को घेरने वाली ही थी. जब ज़ी राजस्थान न्यूज के संपादक मनोज माथुर ने उनसे पूछा कि राज्य सरकार का ऐसा कोई तो काम होगा जिसको वह पसंद करते होंगे?
सभागार में बैठे लोगों ने टॉक जर्नलिज्म कार्यक्रम की तारीफ की
इस सवाल पर सतीश पूनिया ने जवाब दिया तो सभागार में बैठे लोगों की तालियां भी बटोरी. पूनिया का कहना था कि बीजेपी तो कांग्रेस मुक्त भारत के अभियान में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि इस अभियान में सहयोग देने का काम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी सरकार ने बखूबी किया है. पूनिया ने कहा कि कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील ठोकने के मामले में गहलोत कांग्रेस के बहादुर शाह जफर साबित होंगे और यह काम उन्होंने बखूबी अंजाम देते हुए बीजेपी को मजबूत किया है.
दो साल पहले राजस्थान की राजनीति में उथल-पुथल मचाने वाले और सरकार पर अस्थिरता के बादल लाने वाले माहौल का जिक्र भी इस चर्चा के दौरान हुआ. संपादक मनोज माथुर के सवाल के जवाब में पूनिया ने कहा कि ऑपरेशन लोट्स जैसा कोई ऑपरेशन था ही नहीं. उन्होंने इसे कांग्रेस की आपसी लड़ाई बताते हुए कहा कि, सरकार का ही कोई विधायक या मंत्री सरकार गिराना चाहे, तो उसे कौन रोक सकता है? पूनिया ने कहा कि खुद की पार्टी का उपमुख्यमंत्री 40 दिन तक दूर रहे, दूसरा धड़ा बॉर्डर पर रहे, तो इसमें हम क्या कर सकते थे? उन्होंने सरकार में बैठे लोगों में आपस में हुए राजद्रोह के मुकदमों के साथ एसीबी और एसओजी की कार्रवाई का भी जिक्र किया. पूनिया ने कहा कि इस मामले में राजस्थान बीजेपी एक अच्छे श्रोता और दर्शक की तरह सिर्फ पूरे घटनाक्रम को देख रही थी.
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पूनिया ने साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों को लेकर दावा करते हुए कहा कि बीजेपी पूरे बहुमत के साथ चुनाव जीतेगी और प्रदेश में सरकार बनाएगी. पिछले दिनों हुए उपचुनाव पर पूनिया ने कहा कि हालांकि वह चुनाव कोरोना के साये में हुए और उपचुनाव में अक्सर सत्ताधारी पार्टी को लाभ मिलता है. लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि पंचायती राज चुनावों की बात भी होनी चाहिए 33 जिला परिषद में 18 पर बीजेपी और 10 पर कांग्रेस रही,इससे आप मान सकते की बीजेपी आगे के लिए कितनी तैयार है?
राजनीति की बात हो तो ब्यूरोक्रेसी भी चर्चा में आए बिना नहीं रह सकती. ब्यूरोक्रेसी पर हुए सवाल के जवाब में पूनिया ने विपक्ष की टीस को तो रखा, लेकिन साथ ही सरकार के मंत्रियों की ब्यूरोक्रेसी के बारे में सोच को भी एक बार फिर से लोगों के जेहन में ताजा कर दिया.
मौजूदा समय में अच्छे अधिकारियों की कमी- पूनिया
पूनिया ने पिछले दिनों सरकार के एक मंत्री के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि ब्यूरोक्रेसी का रवैया तब भी सबके सामने आया था जब मंत्री ने जलालत भरे पद से इस्तीफे की बात कही थी. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा की राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी आमतौर पर बहुत सम्मान के नजरिए से देखी जाती रही है, लेकिन मौजूदा समय में अच्छे अधिकारियों की कमी है. ब्यूरोक्रेट्स और अधिकार और नेताओं में टकराव की चर्चाएं भी आए दिन सुनाई देती हैं. पूनिया ने कहा कि अगर ब्यूरोक्रेट्स सत्ताधारी दल के विधायकों की ही नहीं सुन रहे, तो विपक्ष का नंबर तो वैसे भी उनके बाद ही आता है.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, ' राजनीति में चुनौतियां तो बहुत आती हैं, लेकिन साल 2023 के चुनाव को जीतना ही मेरा सपना है'. पूनिया ने कहा कि पार्टी उनके नेतृत्व में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाए और 52000 बूथों पर पार्टी की मजबूत जीत को यही उनकी कोशिश रहेगी.
विचार में विभेद हो सकता है लेकिन मनभेद नहीं हो सकता- पूनिया
बीजेपी में नेताओं की आपसी प्रतिस्पर्धा और मुख्यमंत्री के कई दावेदार होने के सवाल पर पूनिया ने कहा कि पार्टी में राम–राज्य की स्थापना हो गई हो या सभी के आपसी मतभेद खत्म हो गए हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता. लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि बीजेपी की खूबी यही है कि संगठन उसका विचार तत्व है. मतभेद या विचार में विभेद हो सकता है लेकिन मनभेद नहीं हो सकता. पूनिया ने कहा कि संगठन बीजेपी में सर्वोपरि है और पार्टी में कार्यकर्ताओं का सम्मान होना महत्वपूर्ण है.
मीडिया जगत की सुर्खियों के लिहाज से भी दोनों पार्टियों के प्रदेश अध्यक्षों के एक मंच पर आने को देखते हुए यह सत्र लोगों की उत्सुकता बढ़ा रहा था और इसे देखते हुए अधिकांश मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधि भी इस चर्चा को सुनने के लिए उत्सुक दिखाई दिए.
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