Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने बेरोजगारों से जुड़े प्रकरण जताई नाराजगी, अदालत ने राज्यपाल को दिलाया ध्यान
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Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने बेरोजगारों से जुड़े प्रकरण जताई नाराजगी, अदालत ने राज्यपाल को दिलाया ध्यान

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने बेरोजगारों से जुड़े प्रकरण जताई नाराजगी है.संबंधित मामले पर अदालत ने आदेश की कॉपी राज्यपाल,मुख्य सचिव और प्रमुख विधि सचिव को भेजी है.जानें इस पूरे मामले पर हाईकोर्ट ने क्या कहा है..

 

फाइल फोटो, राजस्थान हाईकोर्ट

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने बेरोजगारों से जुड़े प्रकरण में चार साल में भी राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने आदेश की कॉपी राज्यपाल,मुख्य सचिव और प्रमुख विधि सचिव को भेजी है. अदालत ने कहा कि इस मामले को राज्यपाल के ध्यान में लाना चाहिए,ताकि मुकदमेबाजी के दौरान राज्य सरकार के हितों की रक्षा की जा सके.

तीन अप्रैल तक का समय दिया है

इसके साथ ही अदालत ने दस हजार रुपए हर्जाने की शर्त पर राज्य सरकार को जवाब पेश करने के लिए तीन अप्रैल तक का समय दिया है. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश रेखा कुमारी व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

मामला तृतीय श्रेणी विशेष शिक्षक पद पर नियुक्ति से जुडा हुआ है

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले में 22 जनवरी, 2020 को राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता के कार्यालय में नोटिस तामील करा दी गई थी. अतिरिक्त महाधिवक्ता ने समय-समय पर जवाब पेश करने के लिए समय मांगा.वहीं, चार साल बीतने के बाद अब भी राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा जा रहा है.अदालत ने कहा कि मामला तृतीय श्रेणी विशेष शिक्षक पद पर नियुक्ति से जुडा हुआ है.

 बेरोजगारों को अदालतों में आना पड़ रहा है

याचिकाकर्ता बेरोजगार है और न्याय के लिए हाईकोर्ट आया है. राज्य सरकार,जिसे लोक कल्याणकारी राज्य कहा जाता है,पिछले चार साल से जवाब पेश करने के लिए समय मांग रहा है. सरकार के इस रवैये को किसी भी सूरत में लोक कल्याणकारी नहीं कहा जा सकता है.सरकार की ऐसी सुस्ती के चलते न्याय व्यवस्था विफल हो रही है, और बेरोजगारों को अदालतों में आना पड़ रहा है.

पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं

अदालत ने कहा कि देखने में आया है कि बीते दो माह से सरकारी वकील और अधिकारी पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं.अदालत पूर्व में मुख्य सचिव और प्रमुख विधि सचिव को भी तलब कर चुकी है, लेकिन अब तक कोई संतोषजनक व्यवस्था नहीं हुई है. कई बार सरकारी वकील की उपस्थिति नहीं होने के कारण सुनवाई टालनी पड़ी है. इसके अलावा कई मौकों पर तो खुद राज्य सरकार की ओर से पेश याचिका में सरकारी ही पेश नहीं हुए.

रिपोर्टर- महेश पारीक

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