Word Cancer Day : 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस है. इस बिमारी से हर साल हजारों लोग मरते हैं, लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास से कैंसर को हराने का काम किया.
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Word Cancer Day : 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस है. कैंसर विश्व में सबसे घातक बीमारी है, जिससे हर साल लाखों लोग इस बीमारी से मरते हैं, लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास से कैंसर को हराने का काम किया और समाज को नई दिशा दिखाई.
SMS अस्पताल के डॉक्टर ने कहा- अब आराम करो
आमेर के पास बिलौंची के रहने वाले नंदलाल डागर खेती किसानी करते हैं. इसके साथ ही भारतीय किसान संघ से भी वह जुड़े हुए थे. साल 2000 में उन्हें मुंह के कैंसर का पता चला. उनके मुंह में छाले हुए, खाना खाने में दिक्कत हुई तो गांव में ही आयुर्वेदिक डॉक्टर को दिखाया. उन्होंने जांच कर टोंसिल बताया. साथ ही 6 महीने की दवाई दी. छह महीने में दवा से भी कोई आराम नहीं मिला तो उन्होंने गला रोग एक्सपर्ट के पास जाने की सलाह दी.
उसके बाद एसएमएस अस्पताल में दिखाया. वहां डॉक्टर ने 3 महीने की दवा दे दी. तीन महीने की दवा से भी आराम नहीं मिला. मुंह से आवाज निकलना बंद हो गई. दोबारा डॉक्टर को दिखाया, लेकिन उन्होंने कहा कि, आम दवाईयां लेना बंद कर दे. यह अपने आप ठीक हो जाएगा. मर्ज बढ़ता देख डॉक्टर्स को ये एहसास होने लगा था कि, अब बचना मुश्किल है. इसलिए उन्होंने घर पर ही आराम करने की सलाह दी.
एक महीने की दवा से मिला आराम
डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी तो में घर जाकर वापस आयुर्वेदिक डॉक्टर से मिला. लेकिन कहा कि अब कोई संभव नहीं है. इसके बाद में भी 15 दिन घर पर ही आराम करता रहा. बाद में मैंने खुद ही इसका आयुर्वेदिक इलाज ढूंढ़ने की कोशिश की. हमारे पास संघ कार्यालय था. जिसमें स्वदेशी चिकित्सा सार रखी थी. इसमें अल्सर, ट्यूमर, कैंसर इलाज की दवा बता रखी थी. जिसके आधार पर मैंने घर पर ही आयुर्वेदिक दवाई तैयार की. जिसका मैंने लगातार सेवन किया. एक महीने में मुझे आराम आ गया. वापस मेरा गला सही हो गया. उसके बाद मैंने वापस आयुर्वेदिक डॉक्टर को दिखाया लेकिन उन्होंने यकीन ही नहीं किया.
कैंसर, लकवा, डायबिटीज की दे रहे दवा
उन्होंने बताया कि, जीवन में आत्मविश्वास सबसे ज्यादा जरूरी है. मुझे आयुर्वेदिक दवाईयों से कैंसर में आराम मिला तो मैंने आयुर्वेद चिकित्सा में रूचि लेना शुरू किया. इसके बाद कई रोगों की दवाईयां तैयार की. कई लोगों को कैंसर की दवा बनाकर दी. दो-तीन लोग बिहार से भी कैंसर के लिए आए. अब वह भी ठीक हैं. इसके साथ ही रोगों को लकवे, डायबिटीज की दवाईयां भी दे रहा हूं. जिससे लोगों को 100 फीसदी आराम मिलता है.
छोड़ना पड़ता है नशा
जब मुझे मेरे कैंसर का पता चला तो घर वालों को टेंशन हो गई, लेकिन मैंने कहा उन्हें डरने की बात नहीं कही. इसके बाद मैंने आयुर्वेदिक दवाईयों के बारें में पढ़ना शुरू किया. साल 2000 से अब तक में बिल्कुल स्वस्थ हूं. आयुर्वेदिक दवाईयों की सबसे खास बात यही है कि आपको नशा बिल्कुल छोड़ना पड़ेगा. इसमें शराब, तंबाकू का सेवन नहीं कर सकते. इसके साथ ही चाय से भी परहेज करना पड़ेगा. तब ही इन दवाईयों का असर देखा जा सकता है.