सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राज्य सरकार की बीस मई 2019 की रिपोर्ट के अनुसार आना सागर झील में 11 नालों के जरिए सीवरेज का अनट्रीटेड पानी छोड़ा जाता था.
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Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह सुनिश्चित करे कि अजमेर की आनासागर झील में किसी भी नाले से सीवरेज का अनट्रीटेड नहीं छोड़ा जाए. इसके साथ ही अदालत ने सीवर लाइन निर्माण करने का इंतजार करने के बजाए गंदे पानी के निस्तारण की वैकल्पिक व्यवस्था करे. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश कॉमन कॉज सोसायटी, अजमेर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राज्य सरकार की बीस मई 2019 की रिपोर्ट के अनुसार आना सागर झील में 11 नालों के जरिए सीवरेज का अनट्रीटेड पानी छोड़ा जाता था. वहीं नौ साल बीतने के बाद इनमें से सिर्फ दो नालों के अनट्रीटेड पानी को रोका गया है. वहीं राज्य सरकार की ओर से नई तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश कर अदालत को बताया गया कि अब सिर्फ दो नालों का पानी ही झील में डाला जा रहा है. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से इस रिपोर्ट का विरोध किया गया. इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह नालों की स्थिति और सीवरेज निर्माण के संबंध में अपनी आपत्तियां दो सप्ताह में पेश करें. इसके साथ ही अदालत ने अनट्रीटेड पानी को झील में छोडने पर रोक लगा दी है. याचिका में आना सागर झील का संरक्षण करने की गुहार की गई है.
Reporter- Mahesh Pareek
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