जयपुर न्यूज: राजस्थान सरकार को आबकारी विभाग ने अब तक का सबसे बड़ा घाट दिया है. इस वजह से सरकार के 1026 करोड़ डूब गए. वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार को घाटा हुआ.
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Jaipur: राज्य सरकार के दूसरे सबसे बड़े कमाऊ पूत आबकारी विभाग ने राज्य सरकार को बड़ी आर्थिक चपत लगाई है. वित्त विभाग के लिहाज से देखें तो यह सबसे बड़ा घाटा रहा है. आबकारी विभाग के अफसरों ने राज्य सरकार के 1026 करोड़ रुपए डुबो दिए हैं. बड़ी बात यह है कि इस बकाया को वसूलने में भी विभागीय अफसर पीछे हैं. क्योंकि सालभर के अभियान में भी अफसर करीब 50 करोड़ ही वसूल सके हैं. क्यों इतनी बड़ी राशि रही बकाया, कौन हैं जिम्मेदार?
सालाना करीब 15 हजार करोड़ रुपए कमाने वाले आबकारी विभाग ने राज्य सरकार को बड़ा घाटा दिया है. आबकारी विभाग का राजस्व नुकसान 1026.19 करोड़ रुपए का रहा है. यह राजस्व नुकसान महज एक साल पुराना है. दरअसल आबकारी विभाग को वित्त वर्ष 2021-22 में कुल 13500 करोड़ रुपए का टारगेट दिया गया था. राजस्व लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में विभागीय अफसरों ने विभाग के लाइसेंसियों यानी शराब ठेकेदारों पर 1076 करोड़ रुपए की राशि बकाया छोड़ दी है. दरअसल यह बकाया राशि इतनी अधिक है कि आबकारी विभाग के इतिहास में अब तक कभी भी इतनी राशि बकाया नहीं रही है.
सूत्रों के मुताबिक आबकारी विभाग की पिछले करीब 2 दशक की कुल बकाया राशि भी 300 करोड़ रुपए से कम रही है. जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में ही बकाया राशि 1076 करोड़ रुपए रही है. नियमानुसार राज्य सरकार ने 26 मार्च 2022 तक शराब ठेकेदारों को बकाया जमा कराने के लिए छूट दी थी. 3 दिन बाद इन सभी बकायादारों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे. राज्य सरकार के निर्देशों के बाद इक्का-दुक्का जिलों में तो आबकारी अधिकारियों ने निर्देशों पर अमल कर बकायादारों के शराब ठेकों को निरस्त कर दिया था. इन अफसरों ने ठेकेदारों की जमा धरोहर राशि और एडवांस ईपीए राशि को जब्त कर लिया था. लेकिन ज्यादातर जिलों में ज्यादातर लाइसेंसियों पर यह कार्रवाई नहीं की गई. इस कारण विभाग की 1076 करोड़ रुपए की राशि बकाया रह गई.
विशेष अभियान चलाया, पर रहा विफल
- वित्त वर्ष 2021-22 के 2842 प्रकरणों में 1076.45 करोड़ की राशि थी बकाया
- आबकारी आयुक्त कुमार पाल गौतम ने विशेष अभियान शुरू किया
- अगस्त 2022 में बकाया वसूली के लिए विशेष अभियान छेड़ा गया
- 2 महीने आबकारी अफसरों ने प्रयास किए, बाद में अभियान धीमा पड़ गया
- 8 माह के अभियान में करीब 50 करोड़ की राशि ही वसूल सके अफसर
- इस तरह 1026.19 करोड़ की राशि 31 मार्च 2023 तक बकाया रह गई
- अभी भी 2787 प्रकरणों में बकायादारों से राशि वसूलना बाकी
दरअसल अभियान के दौरान भी बकाया वसूली में महज खानापूर्ति की गई है. विभाग के पास जिन बकायादारों की धरोहर राशि और अग्रिम वार्षिक लाइसेंस फीस के पेटे राशि जमा थी, उसे जब्त कर बकाया पूर्ति में दिखाया गया. इसके अलावा आरएसबीसीएल और आरएसजीएसएम ने जो दुकानें चलकार छोड़ दी थी, उनकी पूर्ति भी दोनों एजेंसियों ने की. इस तरह जमा 50 करोड़ की राशि में विभागीय अफसरों के प्रयास कम, बल्कि हथकंडे ज्यादा दिख रहे हैं.
इससे पहले कितनी राशि थी बकाया
- 31 मार्च 2018 तक आबकारी विभाग की बकाया 167.89 करोड़ बकाया
- 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2021 तक की आबकारी विभाग की बकाया 109.71 करोड़ बकाया
- इस तरह 31 मार्च 2021 तक की कुल बकाया थी करीब 277 करोड़ रुपए
- जबकि अकेले वित्त वर्ष 2021-22 में कुल बकाया रही 1076 करोड़ रुपए
बकाया रहने के क्या रहे बड़े कारण
- वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले शराब दुकान के लाइसेंस निरस्त कर सकते थे, नहीं किए
- सांठगांठ के चलते लाइसेंसियों की धरोहर राशि और एडवांस ईपीए राशि जब्त नहीं की
- ज्यादातर जिला आबकारी अधिकारियों ने लाइसेंसियों के जमा चैक भी काम में नहीं लिए
- लाइसेंसियों के पोस्ट डेटेड चैक नहीं लगाए, यदि वो लगाते तो भी राशि वसूल हो सकती थी
- वित्त वर्ष 2021-22 में RSBCL और RSGSM को पावरफुल किया गया
- आबकारी निरीक्षकों के लाइसेंसियों को माल देने के परमिट का अधिकार छिन गया
- प्रथम त्रैमास में बकाया रहते ही अगले माह ठेका निरस्त कर देना चाहिए था
- माल परमिट का अधिकार नहीं रहने से ठेकेदारों ने निरीक्षकों की सुनवाई नहीं की
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