राजस्थान में नए जिलों से पहले बने 1035 नए पटवार मंडल और 16 नई तहसीलें, जानें पूरी डिटेल
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राजस्थान में नए जिलों से पहले बने 1035 नए पटवार मंडल और 16 नई तहसीलें, जानें पूरी डिटेल

Rajasthan New Tehsil Patwar Mandal : राजस्थान में पटवार मंडलों और नई तहसीलों की अधिसूचना जारी, राजस्व विभाग ने 1035 और 16 नई तहसीलों का नोटिफिकेशन किया जारी, राजस्व, प्रशासनिक-सरकारी योजनाओं से जुडे काम होंगे आसान, नामांतरकरण, जाति प्रमाण पत्र, हैसियत प्रमाण पत्र,, मूल निवास प्रमाण पत्र बनाने में लोगों की परेशानी कम होगी

राजस्थान में नए जिलों से पहले बने 1035 नए पटवार मंडल और 16 नई तहसीलें, जानें पूरी डिटेल

Rajasthan New Tehsil Patwar Mandal : प्रदेश में नए पटवार मंडल के बाद अब नई तहसीलों की अधिसूचना जारी होने के बाद लोगों को सहूलियत मिलेगी. राजस्व विभाग ने 1035 और 16 नए तहसीलों का नोटिफिकेशन कर दिया है. एक तरफ जहां पटवार मंडल खुलने से राजस्व से जुडे काम के लिए दूर-दराज नहीं जाना पडेगा. वहीं तहसील खुलने से नामांतरकरण, जाति प्रमाण पत्र, हैसियत प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र बनाने में लोगों की परेशानी कम होगी.

प्रदेश में राजस्व विभाग ने बजट घोषणा के अनुसार 16 नई तहसीलों और 1035 पटवार मंडलों का नोटिफिकेशन कर दिया है. अब अपने राजस्व से जुडे काम के लिए अपने गांव और नजदीक तहसील में ही सुविधा मिल सकेगी. मुख्यमंत्री गहलोत से मंजूरी के बाद राजस्व विभाग ने नए पटवार मंडलों और नई तहसीलों की अधिसूचना जारी कर दी हैं. राज्य सरकार के इस फैसले से आमजन को राजस्व, प्रशासनिक और सरकारी योजनाओं से जुड़े कार्यों में सुगमता होगी.

तहसील और पटवार मंडल को प्रशासन की ईकाई माना जाता है. लैंड रिकॉर्ड में नामांतरण, नक्शा, जमाबंदी सहित अन्य कार्यों के लिए किसानों को अपने नजदीकी गांव में ही सुविधा मिलेगी. नामांतरकरण, जाति प्रमाण पत्र, हैसियत प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र बनाने में लोगों की परेशानी कम होगी. तहसीलों में तहसीलदार व नायब तहसील की पोस्टिंग के साथ ही यहां आम जनता से जुड़े कामकाज होने लगेगा. इसके साथ ही नए जिलों के सीमांकन में भी आसानी रहेगी. अब इन तहसीलों के अनुसार जिलों का फाइनल नोटिफिकेशन होगा. तहसीलों का कार्यक्षेत्र तय होने के साथ ही अब नए जिलों के नोटिफिकेशन को अंतिम रूप देने की तैयारी हो गई है. बताया जा रहा है कि जल्द ही नए जिलों की घोषणा हो सकती है. राजस्व विभाग की टीम इसके लिए काम कर रही है.

ये बनी नई तहसील 

दरअसल सीएम ने प्रशासनिक इकाइयों के विस्तार कर नए उपखंड, तहसील और उपतहसील की घोषणा की थी. राजस्व विभाग की अधिसूचना के अनुसार अब टोंक में की अलीगढ़, उदयपुर की घासी, फलासिया,सायरा नई तहसील बन गई हैं. वहीं झुंझुनूं की पिलानी, नागौर की छोटीखाटू तहसील बनी हैं. इसी तरह भरतपुर की जनूथर, रुदावल, जुरहरा नई तहसील, श्रीगंगानगर की गजसिंहपुरा, जोधपुर की चामू नई तहसील, अलवर की प्रतापगढ़ और मांढन नई तहसील बनी हैं. जयपुर की रामपुरा डाबड़ी, जालसू और बीकानेर की हदां नई तहसील बनी हैं.

ये बने नए पटवार मंडल

उधर अब 1035 नए पटवार मंडल की अधिसूचना जारी होने के बाद प्रदेश में अब 11 हजार 758 से बढकर 12 हजार 793 पटवार मंडल हो गए हैं....दरअसल पटवारी की अहम भूमिका रेवेन्यू लैंड रिकॉर्ड में खसरा-जमाबंदी, नामांतरण, नक्शा को मेंटेन करना, प्रशासनिक जांच, सरकारी योजनाओं को लागू करना, पेंशन की रिपोर्ट करना, लोगों को जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, हैसियत प्रमाण पत्र, वारिश जांच, लघु कृषक प्रमाण पत्र, ओलावृष्टि, अकाल सहित अन्य काम पटवारी करता है. उधर इस अधिसूचना जारी होने के बाद राजस्थान पटवार संघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र कविया का कहना है कि प्रदेश में पटवारी और वरिष्ठ पटवारी के खाली पदों को भरना होगा तभी काम की रफ्तार दिखेगी और ग्रामीणों को फायदा होगा. इसलिए पटवारियों के प्रमोशन होने के साथ नई भर्ती होना जरूरी हैं. अधिसूचना के अनुसार अजमेर में 21, अलवर में 18, बांसवाड़ा में 12, बारां, चूरू, धौलपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर में 15-15, बाड़मेर में 11, भरतपुर में 1, भीलवाड़ा में 63, बीकानेर में 128, बूंदी में 28, चित्तौडगढ़ में 10, हनुमानगढ़ में 58, जयपुर में 35, जैसलमेर में 20, जालोर में 66, झालावाड़ में 14, झुंझुनूं में 18, जोधपुर में 51, करौली में 27, कोटा में 16, नागौर में 70, पाली में 20, प्रतापगढ़ में 26, राजसमंद में 17, श्रीगंगानगर में 75, सीकर में 30, सिरोही में 14, टोंक में 34 तथा उदयपुर में 77 पटवार मण्डल बनेंगे.

बहरहाल, नए पटवार मंडल और नई तहसील की अधिसूचना जारी होने के साथ ही अस्तित्व में आ गई हैं. अब राजस्व गांवों के लोगों को स्थानीय स्तर पर ही अपने काम कराने में आसानी होगी. तहसीलों में नामांतरण के पेंडिंग मामले जल्द निपटेंगे. साथ में सरकारी जमीन में हो रहे कब्जे की सीधे मॉनीटरिंग हो सकेगी. जमीन के विवाद मामले भी स्थानीय स्तर पर निपट सकेंगे. निजी भूमि पर सीमा विवाद को सुलझाने में मदद मिलेगी.

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