Dungarpur News: खड़गदा में मोरन नदी के किनारे रिवर फ्रंट का निर्माण, लोगों के सहयोग से बन रही यह परियोजना
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Dungarpur News: खड़गदा में मोरन नदी के किनारे रिवर फ्रंट का निर्माण, लोगों के सहयोग से बन रही यह परियोजना

Dungarpur News: गुजरात में साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर खड़गदा में मोरन नदी के किनारे एक नए रिवर फ्रंट का निर्माण किया जा रहा है. यह परियोजना सरकारी सहयोग के बजाय लोगों के जनसहयोग से तैयार की जा रही है. अब तक इस परियोजना पर 2.5 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. यह रिवर फ्रंट न केवल खड़गदा की सुंदरता को बढ़ाएगा, बल्कि यह स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थल भी बनेगा.

Dungarpur News: खड़गदा में मोरन नदी के किनारे रिवर फ्रंट का निर्माण, लोगों के सहयोग से बन रही यह परियोजना

Dungarpur News: गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर ही राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में मोरन नदी के तट पर खड़गदा गांव में रिवर फ्रंट तैयार हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नदियों और जल संरक्षण से प्रेरित होकर रामकथा व्यास पीठ के माध्यम से इस रिवर फ्रंट को बनानें में पूरा गांव जुट गया है. अब तक आपने सरकार कि ओर से करोड़ों खर्च कर रिवर फ्रंट बनाने की बात तो सुनी होगी. लेकिन खड़गदा में बन रहा रिवर फ्रंट पूरी तरह से लोगो के जनसहयोग से बनाया जा रहा है. 2 हजार मीटर लंबे ओर 500 मीटर चौड़े रिवर फ्रंट पर अब तक 2.5 करोड़ से ज्यादा खर्च हो गया है. 

आपने गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट के बारे में सुना हाेगा. जहां सरकार ने बड़े बजट से नदी का कायाकल्प कर दिया. लेकिन डूंगरपुर के खड़गदा गांव में भी इसी तर्ज पर माेरन रिवर फ्रंट का काम चल रहा है. वाे भी पूरी तरह जनसहयोग से 2 हजार मीटर लंबे ओर 500 फीट चाैड़े इस रिवर फ्रंट का काम पिछले 8 महीनों से चल रहा है. अब तक इस प्रोजेक्ट पर 2.5 कराेड़ रुपए खर्च किए जा चुके है. वहीं आगे फंड जुटाने 28 दिसंबर से 5 जनवरी तक 9 दिवसीय रामकथा आयाेजन किया जा रहा है. देश में ऐसा पहली बार हाे रहा है जब किसी व्यासपीठ के जरिये वागड़ क्षेत्र की नदी के कायाकल्प के लिए फंट जुटाया जा रहा है. जिसमें नदियों के पुर्नत्थान, पौधराेपण, जैविक खेती ओर सामाजिक समरसता पर जाेर दिया जाएगा.

गांव की परिक्रमा कर गुजरती है मोरन नदी, लोगो की आस्था
माेरन नदी खड़गदा गांव की परिक्रमा करते हुए गुजर रही है. जिसका आकार शिवलिंग के जैसा है. जिसके भाल पर वागड़ का सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र क्षेत्रपाल मंदिर स्थापित है. इसलिए गांव के लिए नदी का खास महत्व है. सिंचाई ओर पीने के पानी के लिए पूरे क्षेत्र के लाेग इसी नदी पर निर्भर है. वागड़ की लाइफ लाइन भी कहा जाता है. 

दुर्दशा देखकर कथावाचक ने लिया संकल्प और जुड़ गया गांव
मोरन नदी में अवैध खनन ओर कचरा बहकर आने से नदी बेहद प्रदूषित हाे गई थी. गांव की पवित्र नदी की ऐसी दुर्दशा देखकर खड़गदा गांव के प्रसिद्ध कथावाचक कमलेश भाई शास्त्री ने नदी के पुनरुत्थान के लिए शिव संकल्प धारण किया. उनके इस संकल्प में ग्रामीण भी जुड़ते गए. बीते 25 सालों से बंद हाे चुके गांव के नदी की ओर जाने वाले 13 मुख्य मार्गों काे वापस खाेलना गया. नुक्कड़ाें पर कब्जेशुदा जमीनों काे छुड़ाया गया. 

नदी के किनारों पर पैदल चलना भी काफी मुश्किल था. वहां 20 फीट चाैड़ी सड़कें बनाई गई है जहां अब बड़े वाहन भी आसानी से गुजर रहे है. आधुनिक मशीनों के जरिये हजाराें ट्रैक्टर कचरा निकाला गया. जिस नदी में 8 महीने पहले कूड़ा कचरा ओर जानवरों के अवशेष पड़े थे. उसका स्वरूप ही बदल दिया गया. महज कुछ महीनों में एक गांव की पूरी नदी का स्वरूप बदल दिया गया. पूरे काम काे सिस्टेमेटिक तरीके से अंजाम देने के लिए सर्व समाज के ग्रामीण जुटे है. प्रोजेक्ट के तहत नजागरूकता के जरिये पूरी माेरन गंगा काे स्वच्छ बनाने का संकल्प है. जिसके लिए खड़गदा काे राेल माॅडल बनाते हुए शुरुआत की गई है.

8 महीनों पहले रेती खनन होती थी, अब बाेटिंग की तैयारी
 प्रोजेक्ट की शुरुआत पहली बार 22 फरवरी काे सर्वसमाज के युवाओं के श्रमदान से की गई. जिसमें बुजुर्ग ओर महिलाएं तक जुटी ओर सफाई शुरू कर दी. लेकिन तब महसूस हुआ कि क्षेत्र बड़ा है. इसलिए बड़े प्रयास की जरूरत है. जिसके बाद कथावाचक कमलेश भाई शास्त्री के नेतृत्व में रिवर फ्रंट की रूपरेखा बनाई गई. बीते 8 महीनों में 2.5 कराेड़ से भी ज्यादा बजट खर्च कर 2 हजार मीटर लंबा नदी का रिवर फ्रंट बनाया गया है. नदी में 8 महीने पहले रेती खनन हाेती थी. वहां अब बाेटिंग की तैयारी की जा रही है. नदी के किनारों पर साबरमतीन रिवर फ्रंट की तर्ज पर ही आकर्षक पाथ-वे बनाए जा रहे है. जहां फलदार ओर छायादार पाैधे राेपे जाएंगे. आकर्षक संस्कृतियां स्मृतियां उकेरी जाएंगी. वहीं रात में भी लाेग यहां टहल सके. इसलिए रोड लाइट का बंदोबस्त किया जा रहा है. पूरा क्षेत्र सीसीटीवी की निगरानी में रहेगा.

वागड़ सरकार नाम से राम मंदिर ओर गाैशाला भी प्रस्तावित
कथा वाचक कमलेश भाई शास्त्री बताते है कि माेरन नदी ग्रामीणों के लिए केवल नदी नहीं है. यह जीवनदायिनी है. इसलिए इसका रूप निखारने का शिव संकल्प लिया है. रिवर फ्रंट के एक तरफ भव्य राम मंदिर का निर्माण भी करवाया जाएगा. इसकी खासियत यह है कि मंदिर में भगवान राम के वनवास काल की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. जिसमें भगवान राम 14 साल वन में जिन भीलों, काेल-किरात के साथ रहे, वह सारे भित्ति चित्रिकाएं बनाई जाएंगी. ताकि भविष्य में वागड़ में सामाजिक समरसता बनी रहे. मंदिर का नाम वागड़ सरकार के नाम से जाना जाएगा. वहीं एक किनारे पर गाैशाला भी बनाई जाएगी. रिवर फ्रंट के किनारों पर मंदिर, गाैशाला के अलावा अस्पताल ओर स्कूल भी संचालित किए जााएंगे. प्रोजेक्ट पूरा हाेने के बाद हम माेरन गंगा जिन-जिन गांवाें से गुजर रही है. उन ग्रामीणों काे आमंत्रित करेंगे ओर उनके सहयोग से दूसरी जगहाें पर भी नदी काे पूर्नजीवित करने का काम करेंगे. 

नदी के संरक्षण के लिए रामकथा
रामकथा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष ईश्वर भट्ट बताते है कि रिवर फ्रंट बड़ा प्रोजेक्ट है. इसके लिए धन जुटाने में कमलेश भाई शास्त्री के नेतृत्व में 9 दिवसीय रामकथा महोत्सव का आयोजन 28 दिसम्बर से 5 जनवरी तक किया जा रहा है. यह देश का एकमात्र रिवर फ्रंट है जाे अभी तक पूरी तरह जनसहयोग से बनाया जा रहा है. ग्रामीणों में इस प्रोजेक्ट काे लेकर कितना उत्साह है. इसका पता इसी से चल रहा है कि रामकथा के लिए 50 लाेग पाैथी यजमान के रूप सहमति आ चुकी है. पूर्व में नदी के कार्य काे लेकर कमलेश भाई शास्त्री द्वारा जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल काे योजना के बारे में बताते हुए आमंत्रण दिया है. पहले दिन माेरन गंगा के तट से 21 हजार कलशाें की यात्रा निकलेगी. 

अब तक हुए निर्माण का अवलाेकन करने ओर कथा का लाभ लेने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा काे आमंत्रित किया गया है. उनसे मिलकर समय भी मांगा गया है.कथा वाचक कमलेश भाई शास्त्री के साथ ही गांव के लोगों ने देश के प्रसद्ध कथावाचक मुरारी बापू, योग गुरु बाबा रामदेव ओर राष्ट्र संत पुलक सागर महाराज समेत कई साधु, संतों को मोरन नदी के संरक्षण, स्वच्छता को लेकर किए जा रहे कामों से अवगत करवाया गया है. सभी संतो ने भी इस पूरे कार्यों की सराहना की है. 

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