Churu news: जहां गए बंजर जमीन पर हरियाली छा गई, मिलिए चूरू के वृक्ष मित्र निहाल सिंह लांबा से
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1653873

Churu news: जहां गए बंजर जमीन पर हरियाली छा गई, मिलिए चूरू के वृक्ष मित्र निहाल सिंह लांबा से

Churu news: वर्तमान में निहाल सिंह लांबा की पोस्टिंग पिछले 2 सालों से जिलाशिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) चूरू में है यहां पर भी लाम्बा 200 प्रकार की विभिन्न किस्मों के 5 हजार ज्यादा पौधे लगा चुके हैं.

Churu news: जहां गए बंजर जमीन पर हरियाली छा गई, मिलिए चूरू के वृक्ष मित्र निहाल सिंह लांबा से

Churu news: वसीम बरेलवी की यह लाइने चूरू के निहाल सिंह लांबा पर एकदम फिट बैठती है. "हादसों की जद पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें, जलजलों के खौफ से क्या घर बनाना छोड़ दें" पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन की वजह से दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज जैसी कई गंभीर समस्याएं खड़ी हो रही हैं. इन समस्याओं से निपटने और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए कई सरकारें, संगठन और कई व्यक्ति अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं. इसी तरह चूरू जिले के रहने वाले व्याख्याता निहालसिंह लाम्बा ने स्वतंत्रता सेनानी अपने पिता से प्रेरित होकर युवावस्था से राजस्थान जैसे मरुस्थल वाले इलाके में पौधे लगाने शुरू किए जो कि आज 57 साल की उम्र में भी जारी है. 

राजस्थान जैसे रेगिस्तानी इलाके में जहां पानी की गंभीर समस्या है उस क्षेत्र में पौधरोपण करना और इन पेड़ों को पूरी तरह से विकसित कर वृक्ष में बदल देना एक बहुत बड़ी चुनौती है. निहालसिंह लाम्बा की जहां भी पोस्टिंग होती है वही लाम्बा पौधे लगाने शुरू कर देते हैं. वर्तमान में निहाल सिंह लांबा की पोस्टिंग पिछले 2 सालों से जिलाशिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) चूरू में है यहां पर भी लाम्बा 200 प्रकार की विभिन्न किस्मों के 5 हजार ज्यादा पौधे लगा चुके हैं. 

ऐसे शुरू हुआ पौधे लगाने का सिलसिला
वृक्ष मित्र के नाम से प्रसिद्ध निहालसिंह लाम्बा अपने दिवंगत पिता स्वतंत्रता सेनानी नारायण सिंह लाम्बा की पेड़ पौधों के प्रति रुचि देखकर इतने प्रभावित हुए कि युवावस्था में आते आते निहालसिंह लांबा पर भी पेड़ लगाने का जुनून सवार हो गया जो अब भी सतत जारी है. पेड़ पौधे लगाने की रुचि ऐसी है कि ना दिन देखते हैं ना रात, अब तक निहाल सिंह लांबा ने 70 हजार से ज्यादा पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण सुधारने का प्रयास कर रहे हैं . व्याख्याता निहाल सिंह लाम्बा जहां भी जाते हैं वहीं पर पर्यावरण बचाने का संदेश लाम्बा देते हैं.

2 सालों से प्रशिक्षण की कर रहे है कायापलट
निहाल सिंह लाम्बा बताते हैं कि पिता को पेड़ लगाने का जुनून था और वही जुनून हम पर सवार हो गया, मैं अब तक 70 हजार पेड़ लगा चुका हूं. स्कूलों में, सार्वजनिक स्थानों पर, श्मशान भूमि में जहां भी जगह मिलती है मैं वहां पर पेड़ लगाने की कोशिश करता हूं. 2026 में मैं राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त हो जाऊंगा उसके बाद पूरा जीवन मेरा पर्यावरण को ही समर्पित रहेगा. पिछले 2 सालों से निहाल सिंह लाम्बा की पोस्टिंग जिलाशिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डाइट चूरू में है. यहां आने के बाद लाम्बा ने यहां की कायापलट कर दी. यहां पहले बंजर जमीन थी तो वहीं अब यहां पर बड़े-बड़े पेड़ लहलहा रहे हैं . करीब 200 प्रकार के 5000 से ज्यादा पेड़ पौधे लाम्बा यहां लगा चुके हैं. इसके साथ यहां पर आने वाले छात्र-छात्राओं को भी पर्यावरण बचाने की सीख लाम्बा देते हुए दिखाई देते हैं.

fallback

जिलाशिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्रधानाचार्य ने ये बताया
पर्यावरण शिक्षा से जुड़ा हुआ बिंदु है शिक्षा जो है पर्यावरण के माध्यम से चलती है. पर्यावरण यदि हरा भरा होगा तो निश्चित रूप से ऑक्सीजन बढ़ेगी और आम जनता के लिए फायदेमंद रहेगी. हमने भी डाइट को हरा भरा बनाने का बीड़ा उठाया था. इसके लिए निहाल जी लांबा जो कि वर्तमान में महात्मा गांधी झारिया में पोस्टेड है, वृक्ष मित्र के रुप में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, तो मैंने उनकी सेवाएं ली उनके द्वारा अब चूरु डाइट को भी हरा-भरा किया जा रहा है. डाइट में पढ़ने वाली छात्रा उर्मिला ने बताया कि जब पहले हम यहाँ आए थे तब इतनी हरियाली यहां नही थी, लेकिन धीरे-धीरे यहां का नक्शा ही बदल गया और अब यहां पर चारों और हरियाली ही हरियाली है. 

यहां पर तरह-तरह के औषधीय पौधे हैं, इन सभी पेड़ों को वृक्ष मित्र के नाम से प्रसिद्ध निहाल सिंह लाम्बा अपने बच्चों की तरह पालते हैं. छात्रा सुमित्रा ने बताया कि निहाल सिंह जी लाम्बा हमें पेड़ लगाने के बारे में जानकारी देते रहते हैं, कैसे पेड़ो की रक्षा की जाए, कैसे पौधे लगाया जाए. हम भी हमारे आसपास के क्षेत्र में पेड़ लगा रहे हैं. छात्र कल्पना ने बताया कि सुबह सुबह जब यहां पर आते हैं तो इतनी हरियाली देख कर मन खुश हो जाता है यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है. वहीं छात्र शिवशंकर प्रजापत का कहना है कि हम भी पर्यावरण बचाने की मुहिम से जुड़ रहे हैं हम भी हमारे गांव के अंदर पौधे लगा रहे हैं ताकि हमारे गांव का वातावरण भी हमारे विद्यालय की तरह शुद्ध हो सके.

शिक्षाविद प्रधानाध्यापक जितेंद्र शर्मा ने कहा ये बात
पौधारोपण एक इवेंट नहीं है, यह एक पूरा प्रोसेस है जिसमें पौधा लगाने से लेकर उसके बड़े हो जाने तक उसकी देखभाल करनी होती है. राजस्थान के रेगिस्तान वाले इलाके में पौधरोपण करना या इसके विषय में कल्पना करना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है. ऐसे में निहाल सिंह जी लांबा द्वारा किए जा रहे पर्यावरण बचाने के का प्रयास सराहनीय है. पेड़ों में हमें फिर से जीवंत करने की शक्ति है. एक पेड़ के नीचे हरी घास पर समय बिताना तनाव को काफी कम कर सकता है.

पेड़ों की शाखाओं पर बैठे पक्षियों की आवाज,  तेज हवाओं से पत्तियों का हिलना और पेड़ों पर पत्तियों और फूलों की गंध इन सबसे मन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और तनाव को कम करने में मदद मिलती है. शोधकर्ताओं का यह भी दावा है कि पेड़ को गले लगाने से भी तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है. तनाव जो कि विभिन्न शारीरिक और मानसिक बीमारियों का कारण है, इन दिनों इस प्रकार पेड़ों से कम किया जा सकता है.

निहाल सिंह लाम्बा ने इन जगहों को बनाया हरा भरा
57 वर्षीय निहाल सिंह लाम्बा की जहां भी पोस्टिंग होती है. लाम्बा वहीं पर पौधे लगाने शुरू कर देते हैं और वहां की कायापलट कर देते हैं. अब तक लांबा तारानगर तहसील के गांव करणपुर, भालेरी, सोमासी, सरदारशहर तहसील के गांव साड़ासर, गिड़गिचिया, चूरू के गाजसर, झारिया, पार्क बालिका, बागला राजकीय विद्यालय, कस्तूरबा गांधी सहित विभिन्न गांव के राजकीय विद्यालयों में अपनी सेवाएं देकर वहां को हरा-भरा बना चुके हैं. इसके अलावा लाम्बा ने डियो ऑफिस, जेडीए ऑफिस सहित शमशान भूमि व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी पौधे लगाए हैं.

ये भी पढ़ें-  Sikar news: राजेंद्र राठौड़ के जन्मदिन पर फतेहपुर में आयोजित हुआ रक्तदान शिविर

 

इंसान हो या पशु-पक्षी हर किसी को आक्सीजन की जरूरत होती है. बिना आक्सीजन के व्यक्ति एक क्षण भी नहीं जीवित रह सकता है इसलिए आक्सीजन बनाने के लिए पौधों का होना अत्यंत आवश्यक है. इसकी महत्ता को हर किसी को समझना होगा. जब तक हर व्यक्ति के अंदर पेड़-पौधों का आदर नहीं होगा तब तक पर्यावरण प्रदूषित होता जाएगा और इंसान के लिए खतरे की घंटी तेज होती जाएगी. ऐसे में निहालसिंह जी लाम्बा जैसे लोगों द्वारा की जा रही है प्रयास सराहनीय है. इन प्रयासों की सराहना के साथ-साथ सम्मान करने की भी आवश्यकता है.

ये भी पढ़ें- Tonk news: अम्बेडकर जयंती पर भीम सेना ने निकाली महारैली, संविधान के जय कार के नारे लगाए गए

Trending news