Churu News: जिले का सबसे बड़ा राजकीय भरतिया अस्पताल अव्यवस्थाओं को लेकर चर्चा में बना हुआ है. जिला मुख्यालय के इस बड़े चिकित्सालय की अव्यवस्थाओं को देखकर लगता है, यह चिकित्सालय भगवान भरोसे ही चल रहा है. जहां अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं व अनियमितता आमजन के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है.
राजकीय डेडराज भरतिया अस्पताल के हालात तो यह कि यहां आए दिन विधुत सप्लाई बाधित होने से चिकित्सा कर्मियों को मोबाइल की टॉर्च जलाकर मरीजों का इलाज करना पड़ता है. दो दिन से चिकित्सालय के आपातकालीन वार्ड का एक वीडियो वायरल भी हो रहा है, जिसमें चिकित्सा स्टाफ मोबाइल की लाइट जलाकर मरीज के टांके लगा रहे हैं.
इस वीडियो को सोशल मीडिया पर देखकर लोग अलग अलग अपनी राय दे रहें हैं. जिले का सबसे बड़ा चिकित्सालय होने के कारण पूरे जिले से यहाँ गंभीर रोगियों व घायलों को रेफर किया जाता है. अन्य चिकित्सालय से यहां बेहतर इलाज की उम्मीद में रेफर किया जाता है.
लेकिन यहाँ हालात तहसील के चिकित्सालयों से भी ज्यादा खराब है. आये दिन बिजली ट्रिप होने से जहाँ मरीज तो परेशान होते ही है, चिकित्सा स्टाफ को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यहाँ पर विधुत सप्लाई सुचारू रखने के लिए इनवर्टर व जनरेटर की सुविधाओं के नाम से भुगतान तो होता है, लेकिन उनकी सुविधाएं अस्पताल को नही मिल पाती.
वहीं चिकित्सालय की व्यवस्थाओं को लेकर जिला कलक्टर व राजनेताओं के द्वारा कई बार निरीक्षण किया जाता है. दिशा निर्देश भी दिए जाते हैं पर चिकित्सालय प्रशासन पर इसका कोई असर आज तक नहीं हुआ. उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद भी चिकित्सालय प्रशासन पर जूं तक नही रेंगती.
चिकित्सालय की अव्यवस्थाओं की बात करें तो आपातकालीन वार्ड मे मिलने को सेवाएं 24 घंटे मिलती है. लेकिन यहां स्थाई और NGO से लगे नर्सिंग कार्मिक लिमिटेड है नर्सिंग सुप्रीडेंट ना तों यहां स्थाई नर्सिंग स्टॉफ की ड्यूटी लगा रहा और जिनकी लगती है वह कुछ रोज बाद अपना जेक, चेक लगा यहां से वापिस कोना देख लेते है.
आपातकालीन की पूरी जिम्मेदारी NGO से लगे नर्सिंग कर्मचारीयों पर आ जाती है और 10 वी 12 वी पास लडके यहां उपचार देने लगते है. लोगों की माने तों आपातकालीन वार्ड मे जाने वाले मरीजों का जूनियर डॉक्टर फिक्स उपचार रखते है. चाहे कोई हादसे मे घायल हुआ हो या कोई MI का पेशेंट यहां आने वाले मरीजों का बीपी, शुगर और ओटा, पेंटा और डाइकलो इंजेक्शन फिक्स उपचार है.