चित्तौड़गढ: सांवरिया सेठ के श्रद्धालुओं की थाली आखिर क्यों हुई खाली, जानिए वजह...
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चित्तौड़गढ: सांवरिया सेठ के श्रद्धालुओं की थाली आखिर क्यों हुई खाली, जानिए वजह...

मेवाड़ के प्रमुख कृष्ण धाम सांवरिया सेठ के जल झूलनी मेले की मार श्रद्धालुओं पर पड़ रही है.बाहरी हलवाई और मजदूरों का खर्चा बचाने के लिए तत्काल ही भोजनशाला बंद कर दी गई. 

सांवरिया सेठ की भोजनशाला बंद

Chittoregarh: मेवाड़ के प्रमुख कृष्ण धाम सांवरिया सेठ के जल झूलनी मेले की मार श्रद्धालुओं पर पड़ रही है. मेले के लिए प्रसाद बनाने और वितरण के लिए कर्मचारियों को झोंकते हुए, भोजनशाला पर ताला ठोक दिया गया. जिससे पिछले 8 दिन से दूरदराज से आने वाले गरीब श्रद्धालु निजी भोजनालयों पर जाने को मजबूर हैं, जबकि हर महीने मंदिर मंडल को करोड़ों का चढ़ावा आता है. हालांकि अध्यक्ष भेरू लाल गुर्जर और मंदिर सीईओ गीतेश मालवीय इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन भोजनालय पर ताला लगाने से सदस्यों में भी नाराजगी साफ देखी जा सकती है. मंदिर मंडल के कर्ता-धर्ताओं द्वारा प्रसाद बनाने में एक्स्ट्रा कर्मचारियों का खर्चा बचाने के लिए प्रशासक के समक्ष भोजनशाला के कर्मचारियों को लगाने का प्रस्ताव भेजा गया और प्रशासक द्वारा भी आनन-फानन में इसे हरी झंडी दे दी गई. अचानक भोजन शाला बंद करने के निर्णय से कस्बे के लोग भी हतप्रभ रह गए.

मंदिर मंडल द्वारा वर्षों से बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को रियायती दर पर भोजन उपलब्ध कराने के लिए भोजनशाला का संचालन किया जा रहा है. यहां मात्र 30 रूपयें में श्रद्धालुओं को भोजन उपलब्ध कराया जाता है, जबकि बाहरी भोजनालयों पर 80 से लेकर 100 से 150 रूपयें तक लिए जा रहें हैं. मंदिर मंडल की भोजनशाला बंद होने का निजी भोजनालय संचालक भी जमकर फायदा उठा रहें हैं और मनमर्जी से भोजन के दाम वसूल रहें हैं.

कर्ता-धर्ताओं की मनमानी

मंदिर में 5 से 8 सितंबर तक जलझूलनी एकादशी मेले को देखते हुए अध्यक्ष सहित कुछ पदाधिकारियों द्वारा बाहर से कारीगर नहीं लेने पड़े, इसके लिए भोजनशाला के कर्मचारियों को लगाने की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अतिरिक्त जिला कलेक्टर मालवीय को अनुशंसा भेज दी गई, सीईओ ने भी इसके नुकसान पर जाए बिना तत्काल ही आदेश जारी कर दिया. भोजन शाला में 35 से लेकर 40 लोग काम कर रहें हैं, जबकि मंदिर में कुल 450 कर्मचारी होने के बावजूद भोजनशाला में काम करने वाले कर्मचारियों को प्रसाद बनाने के लिए बाहरी हलवाई और मजदूरों का खर्चा बचाने के लिए तत्काल ही भोजनशाला बंद कर दी गई. यहां तक कि इस बारे में मंदिर मंडल के सदस्यों को भी विश्वास में नहीं लिया गया.

चढ़ता है करोड़ों का चढ़ावा
सांवरिया सेठ मंदिर मंडल को प्रतिमाह चढ़ावें के रूप में करोड़ों रुपए प्राप्त होते हैं. औसतन हर महीने 7 से ₹8 करोड़ रूपए का चढ़ावा मंदिर को प्राप्त होता है. जिसे मंदिर विस्तार कार्य और मेंटेनेंस के साथ-साथ श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर खर्च किया जाता है. मंदिर मंडल के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया दास वैष्णव ने कहा कि प्रति महीने दानपात्र से करोड़ों रूपए का चढ़ावा निकलता है, जो कि श्रद्धालुओं की ही देन है. उन्हें रियायती दर पर भोजन उपलब्ध कराना मंदिर मंडल का दायित्व है. 

पूर्व चेयरमैन सतनारायण शर्मा का कहना है कि सांवलिया सेठ के भक्त मेहमान है, मंदिर बोर्ड से गुजारिश करता हूं की भोजनशाला को बंद नहीं करना चाहिए, यहां से कोई भुखा जाये, ना कोई भूखा सोय इसका जिम्मेदार मंदिर बोर्ड है. आनन-फानन में बिना कोई सोच विचार के भोजनशाला बंद करना पूरी तरह से अनुचित है. दुख इस बात का है कि प्रशासन ने भी श्रद्धालुओं की परेशानियों पर विचार नहीं किया और महज कुछ लोगों को खुश करने के लिए भोजनशाला बंद करने का आदेश दे दिया. मंदिर मंडल के सदस्य भैरूलाल सोनी के अनुसार भोजनशाला बंद करना गलत है, प्रतिदिन हजारों लोगों को इसका लाभ मिल रहा था. ऐसे में अचानक भोजनशाला बंद करना समझ से परे हैं.

Reporter - Deepak Vyas

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