Jodhpur News: चूरू सांसद राहुल कसवा ने केंद्रीय बजट, कृषि, रोजगार, शिक्षा और ब्यूरोक्रेसी पर बड़ा बयान दिया. उन्होंने सरकारी नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि ब्यूरोक्रेसी हावी है, मंत्रियों को राजनीति से ज्यादा रुचि नहीं, और युवाओं पर करियर का दबाव बढ़ रहा है. सरकार को ठोस सुधार लाने की जरूरत है.
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Rajasthan News: जोधपुर केंद्रीय बजट को लेकर चूरू सांसद राहुल कसवा ने कहा कि हमारी उम्मीद तो यही है पिछले 11 वर्ष से एग्रीकल्चर क्षेत्र में कैपिटल इन्वेस्टमेंट नहीं हुआ है उसके साथ ही नई इरिगेशन प्रोजेक्ट्स भी नहीं आए हैं डाले और तिलहन जैसे कई ध्यान हमने आयात किए हैं एग्रीकल्चर क्षेत्र में एक बड़े निवेश की आवश्यकता है अगर हम रेन वाटर को इस्तेमाल कर इरिगेशन का इस्तेमाल किया जाए तो नए अवसर हमें मिल सकते हैं आज देश को नए हाई स्पीड कॉरिडोर की आवश्यकता है शिक्षा और रोजगार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है जो वादे करके सरकार ने 2014 में सत्ता में आई वह अभी तक पूरे नहीं किए हैं
यूथ में कंपटीशन क्लियर करने का दबाव, डाक्टर इंजीनियर बनना है सब कुछ नहीं
कोटा में सुसाइड को बच्चों को सलाह देते वायरल हुए वीडियो को लेकर चूरू सांसद राहुल कसवा ने कहा कि आज का यूथ स्ट्रेस के माहौल में है आजकल 90 95% से ऊपर अंक लाना सामान्य हो गया है जिस मॉडल के ऊपर कोचिंग इंस्टिट्यूट खुले हुए हैं. 12 th के बाद कोचिंग इंस्टिट्यूट में कंपटीशन को क्लियर करना का बच्चों पर दबाव है. कोटा - सीकर में कितने बच्चे आज सुसाइड कर रहे हैं हमें सोने की आवश्यकता है कि बच्चों को कैसे कॉन्फिडेंस डेवलप किया जाए परिवार, समाज और कोचिंग इंस्टिट्यूट का प्रेशर कैसे कम किया जाए सरकार को भी इस तरफ कार्य करना चाहिए. इसके साथ अभिभावक को कभी सोचना चाहिए कि डॉक्टर, इंजीनियर बनना ही सब कुछ नहीं होता आप किसी भी क्षेत्र में अच्छा कार्य कर सकते हैं जो आपको पसंद हो आज दुनिया ग्लोबल है और हर क्षेत्र के कार्य की अलग पहचान है.
नरेश मीणा पर बोले अगर चुनाव में गड़बड़ हुई तो सरकार अपना स्टैंड क्लियर करे
नरेश मीणा के मामले में बोलते हुए चूरू सांसद राहुल कसवा ने कहा कि अगर बहुत लंबा समय हो गया है अगर एक जनप्रतिनिधि को लगता है कि अगर चुनाव में कुछ गड़बड़ हुई है तो उसे पर सरकार को अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए चुनाव को खत्म हुए 3 महीने से ज्यादा हो चुके हैं. यह एक लंबा समय है.
ब्यूरोक्रेसी सरकार पर हावी , सरकार को रिफॉर्म लाने की आवश्यकता
ब्यूरोक्रेसी हावी होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि आज राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी सरकार पर हावी है पर सरकार को इसमें रिफॉर्मर लाने की आवश्यकता है जल जीवन मिशन के तहत नल से जल देने की बात की जा रही है लेकिन टेंडर और डीपीआर बनने के बाद में भी 25 से 30% तक अंतर टेंडर में आ चुका है लेकिन फिर भी कार्य नहीं हो रहा है चुरू जिले की ही बात करें तो 3 लाख 8 हजार घर में पानी देना था लेकिन पोर्टल के ऊपर 70% तक कार्य पूरा बताया जा रहा है लेकिन 10% घरों तक भी पानी नहीं पहुंच पा रहा है ब्यूरोक्रेसी की कार्य क्षमता कम होती जा रही है. जब तक स्ट्रक्चरल रिफॉर्म नहीं आएगा डेवलपमेंट आपको नजर नहीं आ सकता हमें लगता है कि सरकार का इस पर कोई फॉक्स ही नहीं है .
मंत्रियों को कार्य से ज्यादा राजनीति में रुचि
कितने ही प्रोजेक्ट गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया लॉन्च करती है लेकिन स्टेट इस इंप्लीमेंट ही नहीं कर पाते मेरे संसदीय क्षेत्र में 1700 कमरे की आवश्यकता स्कूलों में है क्या गवर्नमेंट के पास इतना पैसा नहीं है कि 1700 कमरे बनवा दे? वहीं सांसद फंड से भी यह नहीं बनाया जा सकता भारत सरकार की स्कीम पीएम स्टार्क नाम से स्कीम जो की स्कूल स्ट्रक्चरिंग की स्कीम थी लेकिन आज तक राजस्थान गवर्नमेंट ने उसे इंप्लीमेंट नहीं किया. कोई भी योजना को देखना मंत्रियों का कार्य होता है तब आपको रिफॉर्म्स देखने को मिलते हैं लेकिन आजकल मंत्रियों को भी ज्यादा रुचि नहीं है क्योंकि आजकल हर आदमी राजनीति में दिमाग लगता है
अंग्रेजी भाषा के बिना बच्चों के लिए प्रतिस्पर्धा मुश्किल
सरकार अंग्रेजी माध्यम की स्कूल बंद करने जा रही है? उन्होंने क्या सोचकर यह निर्णय लिया है? कैसे हमारे बच्चे कॉम्पिटेटिव होंगे? हमारे पास इतनी गवर्नमेंट जॉब है? आज हम ग्लोबल वर्ल्ड में रह रहे हैं बच्चों को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना होगा. आज राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी समांतर भाषा है? हमारे बच्चे कैसे प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे? हमारी सरकार क्या सोच कर चल रही है? कौन उन्हें गाइड कर रहा है? और क्यों ऐसे डिसीजन दिए जाते हैं अभी कितनी स्कूल मर्ज कर दिए गए बहुत सी स्कूल की बच्चियों ने आंदोलन किया है? सरकार और ब्यूरोक्रेसी में कोऑर्डिनेशन की कमी नजर आती है?
राइट टू एजुकेशन के तहत निश्चय दूरी पर प्राथमिक विद्यालय होना जरूरी
राइट टू एजुकेशन के तहत एक निश्चित दूरी पर प्राइमरी विद्यालय होना आवश्यक है? रिफॉर्म्स जब तक ब्यूरोक्रेसी लेवल तक नहीं आएंगे आज बदलता हुआ भारत है? 14 से 1600 करोड रुपए का जल जीवन मिशन का बजट चुरू जिले के अंदर है? उसे प्रोजेक्ट को एग्जीक्यूट करने के लिए 400 करोड रुपए की रोड तोड़ दी जाती है? जिससे बजट की लागत आज 2100 करोड रुपए हो गई है? क्या इस तरह का मॉडल ऑफ डेवलपमेंट है?
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