जहाजपुर जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के मुख्यालय मथुरा से संस्थाध्यक्ष एवं विश्व विख्यात संत बाबा जयगुरुदेव महाराज के उत्तराधिकारी पंकज महाराज के सानिध्य में निकली शाकाहार- सदाचार, मद्यनिषेध आध्यात्मिक जन जागरण यात्रा 45वें पड़ाव मे जहाजपुर पहुंची
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Jahazpur News : जहाजपुर जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के मुख्यालय मथुरा से संस्थाध्यक्ष एवं विश्व विख्यात संत बाबा जयगुरुदेव महाराज के उत्तराधिकारी पंकज महाराज के सानिध्य में निकली शाकाहार- सदाचार, मद्यनिषेध आध्यात्मिक जन जागरण यात्रा 45वें पड़ाव मे जहाजपुर पहुंची, यहां नागरिकों ने भाव-विभोर होकर स्वागत द्वारों, बैण्ड बाजों, पुष्प वर्षा, आतिशबाजी आदि से भव्य स्वागत किया और जयगुरुदेव आश्रम जहाजपुर में सत्संग समारोह का आयोजन किया गया.
सर्वप्रथम प्रान्तीय अध्यक्ष विष्णु कुमार सोनी, जिला मंत्री सुगन जाट, जिला कोषाध्यक्ष नारायण टांक, जिला मिडिया प्रभारी अनिल सोनी पत्रकार , नगर अध्यक्ष बालूराम खटीक, पंकज सेन, शिवराज सिंह, बालकृष्ण नागौरी, सत्यवान सोनी, अनिल जैन,रामस्वरूप स्वर्णकार ,ओमप्रकाश स्वर्णकार , रामगोपाल टांक, रामप्रसाद टांक ,सहित कस्बे के संगठन भारत विकास परिषद, नवयुवक कला मंडल संस्थान, खटीक समाज ,स्वर्णकार समाज आदि ने पुष्पहार भेंटकर महाराज का स्वागत किया.
पंकज महाराज ने अपने उद्बोधन में सतगुरु और सत्संग की महिमा, अनमोल मनुष्य शरीर पाने का उद्देश्य, शाकाहार अपनाने, शराब जैसी मादक वस्तुओं का त्याग, अच्छे समाज के निर्माण, जीते जी प्रभु की प्राप्ति आदि विषयों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा चौरासी लाख योनियों में मानव तन श्रेष्ठ है, क्योंकि इसमें से प्रभु के पास जाने का दरवाजा है. यह साधना का धाम है. दोनों आँखों के मध्य भाग में आत्मा विराजमान है. इसमें ऊपरी आन्तरिक मण्डलों को देखने की दिव्य दृष्टि (तीसरा नेत्र) और प्रभु के देश से आने वाली आकाशवाणियों, आसमानी आवाज सुनने का कान है.
पंकज महाराज ने कहा कि इस कलियुग में अब पिछले युगों की साधनायें सम्भव नहीं, इसलिये सन्त सद्गुरूओं ने सुरत- शब्द योग (नामयोग) का रास्ता जारी किया जिसे बिना घर बार छोड़े गृहस्थ आश्रम में रहकर किया जा सकता है. उन्होंने "साधन तीन सार उन बरने और साधन बोथे जान" पंक्तियों उद्धृत करते हुये सुरत- शब्द योग (नामयोग) साधना पर गहरा प्रकाश डाला और साधना के लिये नामदान भी दिया नामदान समझाते हुये कहा इस कलयुग में सुमिरन, ध्यान और भजन साधना के तीन अंग है. इसे पाकर सतगुरु की कृपा लेकर अपने जीवन को सफल बना लेना चाहिये.
बाबा पंकज महाराज ने शाकाहार पर बल देते हुये कहा कि जब लोग ईंट-पत्थर के बनाये हुये मन्दिर-मस्जिद को साफ-सुथरा रखते हैं, तो भगवान के बनाये हुये तनरूपी मंदिर में मांस, मछली, अण्डा और शराब डालकर गन्दा क्यों करते हैं ? फिर इस गन्दे हुये शरीर से भगवान का भजन या ख़ुदा की इबादत कैसे होगी ? उन्होंने गुरु की महिमा पर बहुत प्रकाश डाला. गुरु को सर्वोच्च दयागार कहा. गुरु के बराबर कोई नहीं यहां तक कि सतनाम अनामी भी गुरु के आगे कुछ नहीं गुरु मेरे पूर्ण कृपा के आधार है मैं उन्हीं का गुण गाऊँगा. उनके नाम को रोशन करने में अपनी पूरी ताकत पूरा जीवन लगा दूंगा.
बाबा पंकज महाराज ने जयगुरुदेव नाम की महिमा सुनाते हुये कहा कि यह नाम समय का जागृत एवं सिद्ध नाम है संकट की घड़ी में मददगार होगा. मौत के वक्त इस नाम को श्वांस, श्वांस पर याद करने पर मौत की पीड़ा कम होगी, ये ''जयगुरुदेव'' नाम का जहाज हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी महाराज लगा कर गये हैं।. इस जहाज पर जितने भी जीव चढ़ जायेंगे ये जहाज सबको पार उतारेगा. अभी आप क्या देखते हैं. ''जयगुरुदेव'' नाम से ना जाने कितनी रूहें खेप की खेप भवपार चली जायेंगी. सारी दुनिया को शांति इसी नाम से मिलेगी एक दिन सारी दुनिया जयगुरुदेव" नाम को याद करेगी.
इस अवसर पर संस्था के महामन्त्री बाबूराम यादव ,मन्त्री विनय कुमार सिंह, प्रबन्धक सन्तराम चौधरी, संगत दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजय पाल सिंह, बिहार प्रान्त अध्यक्ष मृत्युंजय झा, महाराष्ट्र संगत अध्यक्ष पी.सी. काले, महासचिव म.प्र. बी.बी. दोहरे, सुनील यादव तथा आश्रम संरक्षक उदयलाल सोनी ,तुलसी , गोपाल माली, किशन माली, सहयोगी संगत बरेली के जमुना प्रसाद गंगवार, जानकी प्रसाद आदि उपस्थित रहे. पुलिस प्रशासन ने शान्ति एवं सुरक्षा व्यवस्था में सहयोग दिया. सत्संग के बाद जनजागरण यात्रा अगले पड़ाव जड़ोती रोड छापर ग्राम डोरा तह. तालेड़ा जिला बूंदी के लिये प्रस्थान कर गई.
रिपोर्टर- दिलशाद खान