भीलवाड़ा जिले में गायों और भैंसों में लंपी स्किन रोग के बढ़ते संक्रमण पर रोकथाम के लिए अपने नवाचारों के लिए देश भर में ख्यातिप्राप्त मोतीबोर का खेड़ा में स्थित श्रीनवग्रह आश्रम गोदर्शन गौशाला परिवार की ओर से श्रीनवग्रह आश्रम सेवा संस्थान के तत्वावधान में एक बार फिर नवाचार किया है.
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शाहपुरा: गोशाला परिवार की ओर से जिले में पशुओं में रोग की रोकथाम के लिए आयुर्वेद का मिश्रण तैयार कराकर उसका वितरण प्रांरभ किया गया है. गोशाला के संचालक महिपाल चौधरी ने बताया कि आश्रम के संस्थापक हंसराज चौधरी के निर्देशन में तैयार किये गये इस लंपी रोकथाम आयुर्वेद किट को गांव-गांव पहुंच कर लोगों को समझाईश कर निशुल्क वितरण किया गया है. गौशाला की एंबूलेंस से आश्रम के दो चिकित्सकों की अगुवाई में पूरी टीम गावों में पहुंच कर न केवल समझाईश कर रही है, वरन पशुओं का परीक्षण करके उनका उपचार भी कर रहे हैं.
आश्रम के दो चिकित्सकों और टीम ने ग्रामीण क्षेत्र के आधा दर्जन से ज्यादा गांवों का दौरा कर पशुपालकों को पशुओं में फैल रहे संक्रमण रोग से बचाव के लिए घरेलू नुस्खों के साथ आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज की जानकारी दी. इसके लिए तैयार कर मिश्रण का वितरण किया.
इस दौरान टीम ने गांवों का भ्रमण कर पशु पालकों को पशुओं में फैल रही संक्रमण लंम्पी वायरस बीमारी की रोकथाम के उपायों की जानकारी दी. इस टीम में समाज सेवी महिपाल चैधरी, करजालिया सरपंच प्रतिनिधि राजू गुर्जर, महावीर गोशाला के देबीलाल मेघवंशी, चरण सिंह चैधरी, जमना लाल गुर्जर, देवी सिंह राठौड़ आदि शामिल थे. गोदर्शन गोशाला के संचालक महिपाल चोधरी ने बताया कि आज पहले दिन हिराखेड़ीचैराया, खारडा, गंगलास, इरांस, कालियास, करजालिया, ब्राह्मणों की सरेरी, रायला में टीम ने पहुंच कर इस दवा का वितरण कर पशुपालकों को जागरूक किया.
वैद्य हंसराज चौधरी ने बताया कि गायों और भैंसो में चल रहा यह गांठदार त्वचा रोग काफी तेजी से फैल रहा है. अभी यह बीमारी महामारी का रूप ले चुकी है. लिहाजा जरूरी है कि न केवल सरकारें बल्कि पशु पालक भी इसे लेकर जागरुक रहें. यह एक संक्रामक रोग है, इसका कोई इलाज भी नहीं है लेकिन अगर कोई गाय इससे संक्रमित होती है तो कुछ परंपरागत उपचार भी किए जा सकते हैं जो काफी उपयोगी साबित हो रहे हैं. हमारे द्वारा गौशाला में परीक्षण कर वितरण प्रांरभ किया है.
चौधरी ने बताया कि देश के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की ओर से लंपी स्किन रोग के लिए परंपरागत उपचार की विधि बताई गई है. गाय के संक्रमित होने पर अगर इन परंपरागत उपायों को भी कर लिया जाए तो काफी राहत मिल सकती है. हालांकि इस दौरान ध्यान रखें कि बीमारी पशु को स्वस्थ पशुओं से पूरी तरह दूर रखें. बीमार पशु के पास अन्य पशुओं को न जाने दें. न ही इसका जूठा पानी या चारा अन्य पशुओं को खाने दें.
Reporter- Mohammad Khan
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