Ajmer News: BJP के गढ़ कहे जाने वाले अजमेर शहर में कांग्रेस पूरी तरह से विफल साबित होती नजर आ रही है. सरकार में रहते हुए भी अजमेर में कांग्रेस ने अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने के कारण कांग्रेस कार्यकर्त्ता में काफी नाराजगी है.
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Ajmer News: राजनीति में खून पसीना बहाकर पार्टी को सत्ता दिलाने के बाद कार्यकर्ता बदले में कुछ अपेक्षाएं भी रखते हैं . ऐसी ही एक अपेक्षा है अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष की. राजनीतिक नियुक्तियों के जरिए मिलने वाला यह पद इस बार अब तक किसी के खाते में नहीं आया. चुनावी साल में अब महज 8 महीने का वक्त बाकी बचा है . अजमेर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष पद पर नियुक्ति अब दूर की कौड़ी हो रहा है. राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद अजमेर विकास प्राधिकरण को आज तक नए अध्यक्ष का इंतजार है. दिसंबर 2018 में राजस्थान की नई कोंग्रेस सरकार अपने कार्यकर्ताओं के बल पर सत्ता में आई थी. इसके बाद से ही यह पद खाली पड़ा है. इस कारण शहर के विकास के साथ ही विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में भी काफी समस्या आ रही है. अजमेर के कांग्रेस पदाधिकारियों को जहां आज भी आलाकमान की ओर से होने वाली घोषणा का इंतजार कर रहे हैं तो वहीं भारतीय जनता पार्टी लगातार कांग्रेस की चुटकीया ले रही है.एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने में जुट गई है तो वहीं अजमेर शहर कांग्रेस में अब तक संगठन भी तैयार नहीं किया गया है. प्रदेश की खींचतान का सीधा असर अजमेर में भी देखा जा सकता है जिसके चलते यहां साढ़े 4 सालों के बाद भी अजमेर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष भी नियुक्त नहीं हुआ है.
BJP के गढ़ में कांग्रेस के विफल होने की वजह
भारतीय जनता पार्टी के गढ़ कहे जाने वाले अजमेर शहर में कांग्रेस पूरी तरह से विफल साबित होती नजर आ रही है अजमेर कांग्रेस में अलग-अलग गुट प्रदेश आलाकमान के लिए मुसीबत बने हुए हैं . जिसके कारण न तो यहां संगठन विस्तार हो रहा है और ना ही राजनीतिक नियुक्तियों में अजमेर को सौगात मिल रही है. इस खींचतान का सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिल रहा है. बीजेपी के विधायक वासुदेव देवनानी का कहना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन साढ़े 4 सालों में अपनी कुर्सी बचाते हुए ही नजर आए हैं ऐसे में जनता और कार्यकर्ताओं की ओर उनका ध्यान ही नहीं गया कांग्रेस का संगठन हो या फिर एडीए का अध्यक्ष नियुक्त करना हो कांग्रेस हमेशा पीछे ही रही है. इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मान लिया कि वह आगामी चुनाव में मुकाबला नहीं कर पाएगी. वह इस मौके पर अजमेर दक्षिण से विधायक अनिता भदेल ने कहा कि कांग्रेस की गुटबाजी अजमेर ही नहीं प्रदेश में भी साफ देखी जा सकती है जिसका खामियाजा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को उठाने के साथ ही जनता को भी उठाना पड़ रहा है जिसके चलते यहां न तो राजनीतिक नियुक्तियां हो रही है और ना ही पार्टी को कोई मजबूती मिल रही है .
कांग्रेस के कार्यकर्त्ता क्यों है नाराज़ ?
राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने के कारण कांग्रेस को भी अपने कार्यकर्ताओं की ओर से काफी नाराजगी है. हालांकि वह अपनी बातें सबके बीच नहीं कह सकते लेकिन समय समय पर अपने आलाकमान तक राजनीतिक नियुक्तियों और संगठन की बातें पहुंचाते हैं. अजमेर शहर कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन ने बताया कि चुनाव कार्यकर्ताओं की मेहनत से पार्टी अतिथि है और उन्हें भी उम्मीद होती है कि सत्ता में आने के बाद अच्छा काम करने वाले कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्ति के साथ ही संगठन में भागीदारी मिले लेकिन अलगअलग कारण के चलते संगठन नहीं बन पाया. आगामी कुछ दिनों में अजमेर में संगठन बनकर तैयार होगा लेकिन अजमेर विकास प्राधिकरण को लेकर राज्य सरकार और आलाकमान ही निर्णय ले सकते हैं . वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी कहे जाने वाले पूर्व विधायक श्री गोपाल बाहेती का कहना है कि राजस्थान की सरकार कोविड-19 महामारी के साथ ही भारत जोड़ो यात्रा और अलग अलग कार्यक्रमों में व्यस्त रही थी और संगठन भी अपनी भूमिका निभा रहा है. जिसके कारण संगठन का गठन अब तक नहीं हुआ है लेकिन आगामी कुछ दिनों में ही यह पूरी प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी. राजस्थान प्रभारी ने इसे लेकर अजमेर आकर फीडबैक भी लिया था वहीं उन्होंने कहा कि अजमेर विकास प्राधिकरण की नियुक्ति को लेकर अभी भी सभी को इंतजार है. जिसे जल्द पूरा किया जाएगा हालांकि यह निर्णय सरकार और उच्च पदाधिकारियों का है.
राजस्थान में इसी वर्ष दिसंबर में आगामी विधानसभा चुनाव आयोजित किए जाने हैं ऐसे में अजमेर कांग्रेस के साथ ही प्रदेश में चल रही गुटबाजी एक बार फिर कांग्रेस के सामने चुनौती बन सकती है. इस गुटबाजी के चलते न सिर्फ नुकसान होगा. बल्कि विगत 19 सालों से शहर में कोंग्रेस दो बार सरकार में आने के बावजूद सत्ता से दूर रही है. साथ ही अगर उन्हें राजनीतिक नियुक्तियां नहीं मिलती है तो कार्यकर्ताओं का मनोबल भी गिरेगा.