MP Election: मध्य प्रदेश चुनावों में खेल बिगाड़ सकती है 'AAP', BSP-SP के लिए लगा ये अनुमान
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MP Election: मध्य प्रदेश चुनावों में खेल बिगाड़ सकती है 'AAP', BSP-SP के लिए लगा ये अनुमान

देश की राजनीति में इस साल के अंत में होने वाला मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव भूचाल लाने वाला है. हमेशा की तरह इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा.

MP Election: मध्य प्रदेश चुनावों में खेल बिगाड़ सकती है 'AAP', BSP-SP के लिए लगा ये अनुमान

MP Election 2023 latest news: देश की राजनीति में इस साल के अंत में होने वाला मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव भूचाल लाने वाला है. हमेशा की तरह इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा. लेकिन एक मजबूत क्षेत्रीय राजनीतिक संगठन के अभाव में कुछ अन्य दल अपने क्षेत्रों का विस्तार करने का प्रयास करेंगे. पिछले साल 'कोयला नगरी' सिंगरौली में मेयर पद जीतकर शानदार एंट्री करने वाली दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) इस साल पहली बार मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ेगी.

AAP बिगाड़ेगी किसका खेल?

जनवरी में 'आप' ने राज्य की कार्यकारिणी को भंग कर दिया और दो महीने बाद सिंगरौली मेयर का चुनाव रानी अग्रवाल ने जीत लिया. पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी पदोन्नत किया. मार्च में राज्य का दौरा करने के दौरान केजरीवाल ने सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के फैसले की घोषणा की थी. अपनी घोषणा में, उन्होंने मध्य प्रदेश में सत्ता में आने पर मुफ्त बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के लिए 'दिल्ली मॉडल' की अवधारणा का हवाला दिया.

AAP का 'गेम प्लान'

हालांकि 'आप' ने अभी तक मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे की घोषणा नहीं की है, लेकिन सूत्रों ने दावा किया है कि वह बीजेपी (BJP) और कांग्रेस दोनों के कुछ बड़े नेताओं के साथ बातचीत कर रही है. ये भी खबर सामने आ रही है कि कई नेता भाजपा और कांग्रेस से दूर हो गए हैं और राजनीति में आगे बढ़ने के लिए 'आप' में जगह पाने की जुगत में हैं.

पॉलिटिकल पंडितों की राय

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कई कारणों से 'आप' का मध्य प्रदेश में ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन यह भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए खेल बिगाड़ सकती है. राज्य-आधारित एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, मध्य प्रदेश में 'आप' क्यों सफल नहीं होगी? पहला, इसलिए कि उसके कार्यकर्ता जनता के मुद्दों पर लड़ने के लिए सड़कों पर नहीं थे.

दूसरा, क्योंकि मुफ्त उपहारों की इसकी अवधारणा पहले से ही कांग्रेस और भाजपा द्वारा अपनाई जा रही है. तीसरा कारण यह है कि दिल्ली में अपने मंत्रियों के खिलाफ हुए भ्रष्टाचार ने आप को झटका दिया है. अगर इसका थोड़ा सा भी असर हुआ तो यह केवल उम्मीदवारों के कारण होगा, जिन्होंने अपनी खास सीटों पर अपना आधार बनाया है, या तो उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण या भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच की आंतरिक लड़ाई के कारण होगा.

सपा-बसपा की हैसियत क्या रहेगी?

इस बीच, उत्तर प्रदेश स्थित बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) काफी जनाधार गंवाने के बावजूद भी चुनाव लड़ेंगी. जहां सपा के एकमात्र मौजूदा विधायक राजेश शुक्ला (बिजावर) पिछले साल जनवरी में राष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे, वहीं बसपा के मौजूदा विधायक संजीव कुशवाहा भी भगवा पार्टी में शामिल हो गए हैं. हाल ही में रीवा की मनगवां सीट से बसपा की पूर्व विधायक शीला त्यागी कांग्रेस में शामिल हो गईं.

बीआरएस भी मैदान में

इसबीच तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चरशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने भी मध्य प्रदेश में विस्तार करना शुरू कर दिया है और हाल ही में दो प्रमुख चेहरों बुद्धसेन पटेल और व्यापम के व्हिसलब्लोअर आनंद राय को पार्टी में शामिल किया है. सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि बीआरएस जल्द ही महाराष्ट्र की तर्ज पर सभी छह जोन में अपना कार्यालय स्थापित करने की योजना बना रहा है.

(इनपुट: पीटीआई भाषा)

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