Maha Kumbh Prayagraj: महाकुंभ भारत की सबसे प्राचीन और भव्य परंपराओं में से एक है. हर 12 साल में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होने वाला यह आयोजन धार्मिक आस्था, संस्कृति और एकता का संगम है.
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Maha Kumbh Prayagraj: महाकुंभ भारत की सबसे प्राचीन और भव्य परंपराओं में से एक है. हर 12 साल में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होने वाला यह आयोजन धार्मिक आस्था, संस्कृति और एकता का संगम है. महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में होगा, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का पवित्र संगम है. इस आयोजन में करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं, जो इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बनाता है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ 2025 को अभूतपूर्व बनाने का संकल्प लिया है. उनके नेतृत्व में इस बार का महाकुंभ भव्यता, दिव्यता और आधुनिकता का अद्वितीय उदाहरण बनेगा.
गंगा आरती और टेंट सिटी का निरीक्षण
सीएम योगी ने हाल ही में प्रयागराज का दौरा किया, जहां उन्होंने दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में हिस्सा लिया. यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व का भी प्रतीक है. उन्होंने महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना की और महाकुंभ के लिए बनाई जा रही टेंट सिटी का निरीक्षण किया. यह टेंट सिटी लाखों श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए तैयार की जा रही है, जिसमें आधुनिक सुविधाएं और सुरक्षा प्रबंध होंगे.
श्रद्धालुओं के लिए नए अनुभव
महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं को कई नए और आकर्षक अनुभव मिलेंगे. इस बार श्री बड़े हनुमान मंदिर कॉरिडोर, अक्षयवट, पातालपुरी, भारद्वाज आश्रम, और सरस्वती कूप कॉरिडोर को विशेष रूप से विकसित किया जा रहा है. इसके अलावा, भगवान राम और निषादराज के मिलन स्थल श्रृंगवेरपुरधाम कॉरिडोर पहली बार श्रद्धालुओं के लिए खोला जाएगा. संगम पर आने वाले भक्तों को मां गंगा का रिवर फ्रंट भी देखने का अवसर मिलेगा, जो उनकी आस्था को और गहरा करेगा.
आधुनिकता और सुविधा का संगम
महाकुंभ 2025 की एक बड़ी खासियत डोम सिटी है. 1400 स्क्वायर फीट में फैली यह डोम सिटी पहली बार कुंभ मेले का हिस्सा बनेगी. इसे लग्जरी होटल की तर्ज पर डिजाइन किया गया है, जिसमें ठहरने के लिए आरामदायक और सुरक्षित व्यवस्थाएं होंगी. यह पहल महाकुंभ को आधुनिकता और परंपरा के अद्भुत संगम के रूप में प्रस्तुत करेगी.
महाकुंभ और पर्यावरण संरक्षण
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है.. यह पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के संदेश को भी बढ़ावा देता है. योगी सरकार ने इस बार गंगा और यमुना के जल को स्वच्छ रखने के लिए विशेष योजनाएं बनाई हैं. संगम क्षेत्र में स्वच्छता बनाए रखने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा.
परंपरा और आधुनिकता का संगम
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखें. उन्होंने जनता से भी अपील की कि वे इस आयोजन को सफल बनाने में अपना योगदान दें.
भारत की पहचान
महाकुंभ 2025 न केवल आस्था का केंद्र होगा, बल्कि यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को विश्व मंच पर प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी होगा. इस आयोजन में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु भाग लेंगे, जिससे यह आयोजन भारतीय संस्कृति और परंपरा का वैश्विक उत्सव बनेगा. महाकुंभ 2025 केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक बनेगा. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह आयोजन आधुनिकता और परंपरा के अद्भुत संगम का उदाहरण होगा.
महाकुंभ का ऐतिहासिक महत्व
महाकुंभ का इतिहास हजारों साल पुराना है. यह आयोजन हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकले अमृत की कथा से जुड़ा है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, अमृत कलश से अमृत की बूंदें चार स्थानों... प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं, जिन्हें कुंभ मेले का आयोजन स्थल माना जाता है. यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता का उत्सव भी है.