Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में मोहन यादव सरकार बनने के बाद राज्य के अलग-अलग शहरों में कैबिनेट बैठक आयोजित की जा रही है. सिलसिले को जारी रखते हुए मोहन सरकार की अगली कैबिनेट बैठक महेश्वर में आयोजित होगी. महेश्वर एक ऐतिहासिक नगरी है. आइए जानते हैं जानते हैं इसके ऐतिहासिक महत्व के बारे में...
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि वर्ष 2025 मालवा की महारानी पुण्यश्लोका अहिल्या देवी का 300वां जन्म जयंती वर्ष है. लोकमाता अहिल्या देवी का जीवन धार्मिकता, त्याग और करुणा का प्रतीक था. वे न केवल एक कुशल शासिका थीं, बल्कि एक आदर्श नारी और माता भी थीं.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी सरकार ने देवी अहिल्यामाता की 300वीं जन्म जयंती मनाने का निर्णय लिया है. इस उपलक्ष्य में हम पूरे वर्ष अलग-अलग कार्यक्रम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मंत्रिपरिषद की अगली बैठक मालवा की महारानी लोकमाता देवी अहिल्या को समर्पित की जाएगी. उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद की बैठक 24 जनवरी को लोकमाता की राजधानी रही धार्मिक नगरी महेश्वर में होगी.
डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश की पावन धरा वह स्थान है, जहां रानी दुर्गावती जी, लोकमाता अहिल्या महारानी, सम्राट विक्रमादित्य तथा राजा भोज जैसे प्रतापी और सुशासन लाने वाले शासक हुए हैं. इनके नाम और काम पर मध्यप्रदेश सदैव गौरवान्वित होता आया है. इस संदर्भ में महिला शासिका देवी अहिल्या माता का नाम भी अजर-अमर है.
लोकमाता देवी अहिल्याबाई भारत के इतिहास में एक महान शासिका, समाज सुधारक और धर्मपरायण नेत्री के रूप में प्रसिद्ध हैं. उनका जीवन त्याग, नारी सशक्तिकरण, धर्म, और न्याय के आदर्शों से प्रेरित है. देवी अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले के चौंडी गांव में एक साधारण मराठा पाटिल परिवार में हुआ था.
अहिल्याबाई के पिता का नाम मनकोजी शिंदे था. उनका विवाह 1733 में खंडेराव होल्कर से हुआ, जो मालवा के शासक मल्हारराव होल्कर के पुत्र थे. 1754 में खंडेराव की मृत्यु के बाद, अहिल्याबाई ने अपने जीवन को राज्य और प्रजा की सेवा के लिए समर्पित कर दिया. मल्हारराव होल्कर की मृत्यु (1766) के बाद अहिल्याबाई ने इंदौर की गद्दी संभाली.
अहिल्याबाई का शासनकाल (1767-1795) न्यायप्रियता, कुशल प्रशासन, और समाज कल्याण के लिए जाना जाता है. देवी अहिल्याबाई ने महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए काम किया. उन्होंने शिक्षा और धर्म के माध्यम से समाज में एकता और सामंजस्य बढ़ाया. अहिल्याबाई ने कुशल प्रशासन से अपने राज्य को एक सुव्यवस्थित और समृद्ध क्षेत्र बनाया था.
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