Narmada Jayanti Mahotsav: देश के बाहर ज्योतिर्लिंग में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग इसी नदी के किनारे स्थित है. इसलिए ओमकारेश्वर में नर्मदा जयंती महोत्सव 7 दिन पहले शुरू हो जाता है. इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले श्रद्धालु ओंकारेश्वर महादेव के जलाभिषेक, पूजा पाठ के साथ ही पवित्र नर्मदा नदी की पूजा आराधना करते हैं.
खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र में सात दिवसीय नर्मदा जयंती महोत्सव रविवार से शुरू हो गया है. मुख्य उत्सव 16 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दौरान तीर्थ नगरी में नर्मदा नदी के तटों को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया.
प्रतिदिन शाम को नर्मदा नदी के प्रमुख घाटों पर पूजा पाठ, भजन और नर्मदा आरती की जा रही है. पहले दिन खेड़ी घाट पर 108 दीपों के साथ संगीतमय आरती की गई. इस अवसर पर होशंगाबाद से आए म्यूजिकल ग्रुप के भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे.
हिंदू शास्त्र नर्मदा पुराण के अनुसार नर्मदा का उद्गम माघ महीने की सप्तमी को माना जाता है. यह तिथि इस बार 16 फरवरी को आएगी. पवित्र नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी माना जाता है. इसलिए इसके उद्गम स्थल अमरकंटक से लेकर खम्बात की खाड़ी तक सभी प्रमुख स्थानों पर नर्मदा जयंती मनाई जाती है.
ओंकारेश्वर के पंडित निलेश पुरोहित ने बताया कि देश के बाहर ज्योतिर्लिंग में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग इसी नदी के किनारे स्थित है. इसलिए ओमकारेश्वर में नर्मदा जयंती महोत्सव 7 दिन पहले शुरू हो जाता है. इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले श्रद्धालु ओंकारेश्वर महादेव के जलाभिषेक, पूजा पाठ के साथ ही पवित्र नर्मदा नदी की पूजा आराधना करते हैं. शास्त्रों के अनुसार नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं को पापों से मुक्ति मिलती है.
तीर्थ क्षेत्र में पूरे देश से श्रद्धालु पहुंचते हैं. पूजा पाठ स्नान आदि करने के बाद लौट जाते हैं, लेकिन इन धार्मिक और आध्यात्मिक स्थान की साफ सफाई और संरक्षित करने का काम कोई नहीं करता. ओंकारेश्वर का नर्मदा युवा संगठन के सदस्य पिछले 35 वर्षों से यहां पवित्र नर्मदा नदी और ओमकार पर्वत पर सेवा कार्य करते हैं. इस बार इन युवाओं ने संकल्प लिया है कि और पूरे ओमकार पर्वत और नर्मदा की हर शीला को पवित्र मानते हुए उसे संरक्षित और प्रदूषण मुक्त बनाया जाए.
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